भारत के औद्योगिक घराने

औद्योगिक घराना से तात्पर्य ऐसे घरेलू उद्योग समूह से है, जो राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके कई औद्योगिक फॉर्म होते हैं तथा इनकी पूंजी विभिन्न क्षेत्रों में निवेशित होती है। भारत में स्वतंत्रता के पूर्व से ही कई औद्योगिक घरानों ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वतंत्रता के बाद मिश्रित क्षेत्र की अवधारणा के अंतर्गत निजी क्षेत्र एवं औद्योगिक घरानों की आर्थिक विकास में भूमिका स्वीकार की गई तथा इनका योगदान लिया जाता रहा है। इन्हें भारतीय आर्थिक नीति के निर्धारण में सहयोगी बनाया जाता है।

टाटा समूह, बिरला समूह, बजाज समूह, रिलायंस समूह, डालमिया समूह तथा महिंद्रा समूह इस प्रकार के औद्योगिक घराने हैं, जिनका योगदान राष्ट्र के विकास में व्यापक है। यह सभी कंपनियां बहुराष्ट्रीय कंपनियों का रूप ले चुकी है। वर्तमान में इनका योगदान विभिन्न क्षेत्रों तथा आधारभूत संरचना, उर्जा, संचार, मोटर-वाहन व बीमा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

टाटा घराना लोहा, इस्पात, मोटर-वाहन, बड़े वाहन, परिवहन, रेलवे, मोबाइल एवं संचार व नमक जैसे विभिन्न क्षेत्र में उद्योग एवं व्यापार में संलग्न है। बिरला समूह का योगदान सीमेंट, इंजीनियरिंग सामान व मोबाइल के क्षेत्र में है। बजाज समूह का योगदान दुपहिया तथा तिपहिया वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, विद्युत तथा बीमा क्षेत्र में है। रिलायंस का योगदान पेट्रोलियम, मोबाइल, संचार एवं दूरसंचार, फाइनेंस व पेट्रो उत्पाद जैसे व्यापक क्षेत्र में है। इसके अतिरिक्त सरकार इन घरानों का सहयोग सामाजिक तथा पर्यावरण विकास में भी लेती है।

प्राकृतिक विपदा में भी इन घरानों का महत्वपूर्ण योगदान रहता है यह सरकार के अलावा विपदा पीड़ित लोगों को आर्थिक रूप से मदद करते हैं।

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