पृथ्वी पर बहुत से ऐसे पदार्थ होते हैं, जिनका कोई रंग नहीं होता। उसी प्रकार पानी भी एक ऐसा पदार्थ है, जिसका कोई रंग नहीं है, बल्कि यह जिस रंग में मिलाया जाता है, वह उसी रंग का हो जाता है।
आपने पृथ्वी पर पानी के बहुत रंग देखे होंगे। जैसे काला पानी, लाल पानी, नीला पानी एवं सफेद पानी। उदाहरण के तौर पर यमुना नदी का पानी प्राचीन काल से ही काला था, इसका कारण यमुना नदी के पानी का बहाव बहुत कम है। बहाव कम होने के कारण यहां काई जम जाती है। जिसके कारण यमुना नदी का रंग काला दिखाई देता था, यही वैज्ञानिक कारण है। मगर धार्मिक कारणों में यहां एक काला सांप (नाग) रहता था, जिसके कारण इस नदी का रंग काला हो गया।
मगर वर्तमान समय में दिल्ली के किनारे बसे बड़े शहरों से निकलने वाला गंदा पानी यमुना नदी में मिल जाता है, जिसके कारण इस नदी का रंग काला एवं दूषित होने लगा।
आपने यह भी सुना होगा कि पानी का रंग (समुद्र का रंग) नीला क्यों होता है? इसका कारण यह है कि सूर्य की रोशनी (सूर्य के प्रकाश के कारण) में सात रंग होते हैं। जब सूर्य की किरणें समुद्र के पानी पर पड़ती है तो इसमें मौजूद लाल, हरा एवं पीला रंग समुद्र अवशोषित कर लेता है। क्योंकि इन रंगों की वेवलेंथ लंबी है। वहीं नीले रंग की वेवलेंथ छोटी होने के कारण, यह रंग पानी में परावर्तित होकर बाहर आ जाता है। जिसके करण समुद्र, झील, सागर एवं नदी का रंग नीला दिखाई देता है।
जिस क्षेत्र में मिट्टी का रंग लाल होता है, वहां भी पानी का रंग लाल हो जाता है। क्योंकि उस पानी में मिट्टी के कण मिले होते हैं।
इस प्रकार पानी के बहुत रंग है, मगर वास्तव में पानी का कोई रंग नहीं होता। वर्तमान समय में मानव के क्रियाकलापों के कारण पानी प्रदूषित होता जा रहा है, जो एक मुख्य समस्या है। एक सर्वे के अनुसार, आने वाली पीढ़ी को शुद्ध जल (जमीन से निकला पानी) की कमी हो जाएगी। [ जाने – विश्व की सबसे ठंडी हवा कौन-सी है ]