कैलीग्राफी अथवा अक्षरांकन लिखने की एक दृश्यात्मक शैली है। कैलीग्राफी दरअसल देखने में सुंदर लिखावट की कला है। इसका चलन प्राचीन काल से ही है। पहले इसका प्रयोग पत्थरों पर हुआ करता था, फिर समय बदला और बाद में धातु के प्लेटों पर सुंदर अक्षरों में लिखा जाने लगा। यह चौड़े नोक वाले लेख उपकरणों जैसे कि ब्रश, हथौड़ी एवं अन्य उपकरण आदि के द्वारा अक्षरों को एक पटल पर उभारने की कला है। वर्तमान समय में लोग अपने घर पर नाम प्लेट लगवाने के लिए इस कला का प्रयोग करते हैं। संकेतों को एक अर्थपूर्ण, सुव्यवस्थित और कौशल पूर्ण तरीके से आकार प्रदान करने की कला कैलीग्राफी है। कैलीग्राफी विधि से मंत्रों, श्लोकों, दोहा, भजन तथा धार्मिक आयातों को उकेरा जाता है।
जब कागज का आविष्कार हुआ तो सरकडे (बांस) की कलम, पक्षियों के पैरों की कलम, माह का सुंदर अक्षरों में लिखा जाने लगा यह कला विकसित होती रही और जब फाउंटेन पेन की निब का आविष्कार हुआ, तो स्याही के जरिए निब से सुंदर अक्षरों में लिखा जाने लगा अपने देश में अशोक के स्तंभ पत्थर पर कैलीग्राफी कला के बेहतर नमूने हैं।
जब आप किसी धार्मिक तीर्थ स्थल पर घूमने के लिए जाते हैं तो वहां पर मिले स्तंभों, गुंबद, भवन की दीवारों तथा छोटे-छोटे पत्थर के बने नोटिस बोर्ड लगाकर उस स्थल के बारे में जानकारी दी जाती है।
कैलीग्राफी आज भी विवाह और अन्य समारोह के निमंत्रण पत्रों, फाउंटेन पेन और मुद्रण कला, मौलिक हस्तनिर्मित प्रतीक चिन्ह, निर्माण कला, सामग्री, घोषणा, ग्राफिक डिजाइन, प्रस्तर लेख आदि कार्यों में प्रयुक्त की जाती है। फिल्म जगत में भी कैलीग्राफी का प्रयोग किया जाता है। एडवर्ड जॉनस्टन को कैलीग्राफी का जनक माना जाता है।