गिफिन वस्तुएं (Giffen Goods) उन वस्तुओं को कहा जाता है, जिनकी मांग उनकी कीमत बढ़ने पर भी बढ़ जाती है, जबकि सामान्यतः कीमत बढ़ने पर मांग कम होती है। यह व्यवहार गिफिन विरोधाभास कहलाता है, जिसे 19वीं सदी के अर्थशास्त्री सर रॉबर्ट गिफिन के नाम पर रखा गया है।
गिफिन वस्तुएं क्यों विशेष होती हैं?
गिफिन वस्तुओं का व्यवहार आम मांग-आपूर्ति के नियम से विपरीत होता है। जब इन वस्तुओं की कीमत बढ़ती है, तो उपभोक्ता अपनी अन्य महंगी वस्तुओं की खपत कम कर देते हैं और गिफिन वस्तुओं की खपत बढ़ा देते हैं, क्योंकि उनके पास सीमित आय होती है।
उदाहरण:
गिफिन वस्तुओं का सबसे अच्छा उदाहरण रोटी या आलू हो सकता है। यदि गरीब वर्ग के लोगों के लिए रोटी या आलू की कीमतें बढ़ जाती हैं, तो उनके पास अन्य महंगे खाद्य पदार्थ खरीदने की क्षमता नहीं होती। वे अपनी बची हुई आय से अधिक रोटी या आलू खरीदते हैं, क्योंकि यह उनके लिए सस्ता और पोषण का स्रोत है।
मुख्य विशेषताएं:
- विपरीत मांग व्यवहार: कीमत बढ़ने पर मांग भी बढ़ती है।
- प्रमुख वस्त्र: ये आमतौर पर निम्न वर्ग के उपभोक्ताओं द्वारा खरीदी जाने वाली वस्तुएं होती हैं।
- स्थापित नियमों के खिलाफ: सामान्य अर्थशास्त्र के मांग-आपूर्ति नियमों के विपरीत चलता है।
गिफिन वस्तुएं आमतौर पर तभी देखी जाती हैं जब उपभोक्ता अत्यधिक सीमित आय के अंतर्गत होते हैं, और उनके पास विकल्प बहुत कम होते हैं।