रूस और चीन ने मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (International Lunar Research Station – ILRS) स्थापित करने की योजना बनाई है। यह परियोजना अमेरिका के नेतृत्व वाले आर्टेमिस समझौते के जवाब में है। दोनों देशों का उद्देश्य एक स्वतंत्र चंद्रमा अनुसंधान स्टेशन बनाना है, जिसमें अन्य देशों की भी भागीदारी हो सकती है।
प्रमुख बिंदु
1. अंतर्राष्ट्रीय चंद्र अनुसंधान स्टेशन (ILRS)
- ILRS का उद्देश्य चंद्रमा पर एक वैज्ञानिक अनुसंधान और प्रयोग केंद्र बनाना है, जो विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों, खनिज अनुसंधान, चंद्रमा की सतह पर जीवन समर्थन, और दीर्घकालिक मानव उपस्थिति के लिए अनुकूल होगा।
- ILRS के तहत रूस और चीन मिलकर चंद्रमा की सतह पर अनुसंधान और विकास की संभावनाओं को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसमें रोबोटिक मिशनों के साथ-साथ दीर्घकालिक मानव अभियानों की योजना भी शामिल है।
2. आर्टेमिस समझौते के प्रति विरोध
- आर्टेमिस समझौता अमेरिका द्वारा प्रस्तावित एक अंतरराष्ट्रीय साझेदारी है, जो चंद्रमा पर संसाधनों के दोहन और वहाँ के गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है।
- रूस और चीन आर्टेमिस समझौते को “अत्यधिक अमेरिकी-केंद्रित” मानते हैं और इसे संसाधनों पर एकाधिकार स्थापित करने का प्रयास मानते हैं। इसलिए, वे ILRS को एक वैकल्पिक मंच के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं, जो चंद्रमा की खोज में स्वतंत्र और समतावादी दृष्टिकोण को बढ़ावा देगा।
3. भविष्य की योजना
- रूस और चीन का लक्ष्य 2030 के दशक तक ILRS का विकास करना और 2035 तक इसे पूरी तरह से संचालित करना है।
- इसके अंतर्गत चंद्रमा पर संसाधनों के प्रयोग, मानव अनुसंधान, और संभावित दीर्घकालिक बस्तियों की स्थापना पर काम किया जाएगा।
रूस और चीन का यह कदम अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नया भू-राजनीतिक ध्रुव बनाने का प्रयास है, जिससे अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों द्वारा चंद्रमा पर नियंत्रित संसाधन दोहन के प्रयासों को संतुलित किया जा सके।