क्रिया का अर्थ :
जिस शब्द से किसी कार्य का करना या होना पाया जाता है, वह उसे क्रिया कहते है।
उदाहरण : पढना, खेलना, दौड़ना, खाना, पीना, सोना आदि।
क्रिया के प्रकार :
क्रिया के मुख्य रूप से दो भाग होते हैं।
- अकर्मक क्रिया (गैर-परिमित क्रिया)
- सकर्मक क्रिया (परिमित क्रिया)
अकर्मक क्रिया : जिस क्रिया का कार्य कर्ता तक ही सीमित रहा अर्थात जहाँ कर्म का आभाव होता है उसे अकर्मक क्रिया कहते हैं।
उदाहरण :
- मीरा गाती है।
- मोहन खेलता है।
सकर्मक क्रिया : जिस क्रिया के कार्य का फल कर्ता से निकलकर दूसरे वस्तु पर पड़ता है या जिसमें कर्म भी होता है उसे सकर्मक क्रिया कहती है।
उदाहरण :
- मीरा भजन गाती है।
- मोहन फुटबाल खेलता है।
घोष – अघोष :
संकर के आधार पर हिंदी वर्णमाला के दो अंग होते हैं।
- अघोष
- घोष
अघोष व्यंजन : जिन वर्णों के उच्चारण में नाद की जगह केवल शवाँस का उपयोग होता है, उन्हे अघोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 13 होती है। जो इस प्रकार है :
- क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, ष, स, ह
घोष व्यंजन : जिन वर्णों के उच्चारण में केवल नाद का उपयोग होता है, उन्हे घोष वर्ण कहते हैं। इनकी संख्या 31 होती है। जो इस प्रकार है: इसमें सभी स्वरूप ‘अ’ से ‘ओ’ तक और –
- ग, घ, ङ
- ज, झ, ञ
- ड, ढ, ण
- द, ध, न
- ब, भ, म
- य, र, ल, व, ह