विशेषण का अर्थ | विशेषण के प्रकार | विशेषण की अवस्थाएं

विशेषण का अर्थ

वह विकारी शब्द जो किसी संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बतलाता हो, विशेषण कहलाता है। जिस संज्ञा या सर्वनाम की विशेषता बताई जाती है, उसे विशेष्य कहा जाता है।

जैसे : मोटा लड़का दौड़ता है।

प्रयुक्त वाक्य में ‘मोटा’ विशेषण हैं तथा लड़का विशेष्य है।

  • विशेषण : जातिवाचक संज्ञा को मर्यादित करते हैं।

जैसे :- मेरे पास गाय है। संपूर्ण गाय जातिवाचक है।

मेरे पास काली गाय है। यहां विशेष गाय की बात है।

  • प्रविशेषण : यह शब्द जो विशेषण की भी विशेषता बताते हैं।

जैसे :  राम एक बहुत होशियार विद्यार्थी है।

बहुत – प्रविशेषण,

होशियार – विशेषण,

विद्यार्थी – विशेष्य

विशेषण का प्रयोग :

  1. विशेष्य – विशेषण प्रयोग
  2. विधेय – विशेष्य प्रयोग

विशेषण के प्रकार

विशेषण चार प्रकार के होते हैं, जो इस प्रकार है।

  1. गुणवाचक विशेषण
  2. संख्यावाचक विशेषण
  3. परिमाणवाचक विशेषण
  4. सार्वनामिक विशेषण

गुणवाचक विशेषण : 

जो शब्द संज्ञा या सर्वनाम के गुण, दोष, रूप, रंग, आकार, स्वभाव व दशा का बोध कराते हैं, गुणवाचक विशेषण कहलाते हैं। गुणवाचक विशेषण छ: प्रकार के होते हैं।

  1. कालबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा किसी वस्तु का गुण उसके काल (समय) से पता चलता हो वह काल बोधक गुण विशेषण कहलाता है। जैसे – नया कपड़ा, पुराना घर, मौसमी फल, ताज फूल व प्राचीन मंदिर।
  2. रंगबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा किसी वस्तु का गुण व रंग के माध्यम से पता चले, वह रंगबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाता है।
  3. दशाबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा किसी वस्तु के गुण का पता उसकी दशा (स्थिति) के माध्यम से चले, उसे दशाबोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं।
  4. गुणबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा किसी व्यक्ति के गुण का पता उसके गुण के माध्यम से चले, जैसे – अच्छा खाना, भला व्यक्ति, बुरा व्यवहार व सच्चा मित्र।
  5. आकारबोधक गुणवाचक विशेषण : जिस विशेषण के माध्यम से किसी व्यक्ति या वस्तु के गुणों का पता उसके आकार के माध्यम से चले उसे आकार बोधक गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे गोल बिंदीी, तिकोना प्लॉट व चौड़ा रास्ता।
  6. स्थानबोधक गुणवाचक विशेषण : वह विशेषण जिसके द्वारा किसी व्यक्ति या वस्तु की स्थानीयता के गुण का बोध हो, स्थानबोधक गुणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – भारतीय लोग, भीतरी दीवार, बाहरी खाना, दायां, बायां इत्यादि।

संख्यावाचक विशेषण :

वह विशेषण, जो अपने विशेष्यों की निश्चित या अनिश्चित संख्याओं का बोध कराएं अर्थात संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध कराते हैं। संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। इसके दो भेद होते हैं।
निश्चित संख्यावाचक व अनिश्चित संख्यावाचक :

  • निश्चित संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जिसके द्वारा संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध हो, वह निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – एक सेब, दूसरा लड़का व चार गुना आदि। निश्चित संख्यावाचक विशेषण पांच प्रकार के होते हैं।
  1. क्रमबोधक संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जो क्रम के अनुसार किसी संज्ञा या सर्वनाम की गणना का बोध कराता हो, वह क्रम बोधक संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे पहला लड़का, सौवां हिस्सा व तृतीय श्रेणी आदि।
  2. गणनाबोधक संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जिसके द्वारा किसी वस्तु की गणना की जाती है जैसे सात, बारह व पांच आदि।
  3. आवृत्तिबोधक संख्यावाचक विशेषण – वह शब्द जो एक वस्तु का दूसरी वस्तु से आधिक्य का अनुपात बताता हो वह आवृत्तिबोधक संख्यावाचक विशेषण कहलाता है। जैसे सौ गुना, दस गुना व दोगुना आदि।
  4. समुदायबोधक संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जो किसी व्यक्ति या वस्तु के समुदाय का बोध कराता है। वह समुदायबोधक संख्यावाचक विशेषण कहलाता है, जैसे चारों ओर, आठों दिन, तीनों साथी आदि।
  5. प्रत्येकबोधक संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जिसके द्वारा अनेक वस्तुओं में से हर एक का बोध हो, वह प्रत्येकबोधक संख्यावाचक विशेषण कहलाता है, जैसे प्रत्येक व्यक्ति, हर एक व्यक्ति व एक-एक अपराधी आदि।
  • अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण :  वह शब्द जिसके द्वारा किसी वस्तु की अनिश्चित संख्याओं का बोध हो, उसे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहा जाता है। जैसे – कुछ आदमी, कई लोग, थोड़ा समय, अनेक व्यक्ति, काफी सामान, काफी समय, कितने छात्र व कितनी देर बाद।

परिमाणवाचक विशेषण :

जिस शब्द से संज्ञा या सर्वनाम के परिमाण (नाप-तौल) का बोध हो, उसे परिमाणवाचक विशेषण कहा जाता है। इसके दो प्रकार होते हैं।

  1. निश्चित परिमाणवाचक विशेषण :  जिस शब्द के द्वारा किसी निश्चित परिमाण का बोध हो, वह निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे आठ किलो घी व पांच कुन्टल गन्ना आदि।
  2. अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण :  जिस शब्द के द्वारा किसी निश्चित परिमाण का बोध न हो, वह अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाता है। जैसे – थोड़ा दूध व बहुत पानी आदि।

सार्वनामिक विशेषण :

जो सर्वनाम विशेषण के रूप में प्रयुक्त होते हैं, वह सार्वनामिक विशेषण कहलाते हैं। यें दो प्रकार के होते हैं।

(1) मौलिक सार्वनामिक विशेषण :  वह सार्वनामिक शब्द जो बिना किसी रूपांतर के किसी संज्ञा के पूर्व अगर उसकी विशेषता बतलाता है मौलिक सार्वनामिक विशेषण कहलाता है। जैसे –

  1. यह किताब फटी है।
  2. वह घर मेरा है।
  3. कोई आदमी रो रहा है।

(2) योगिक सार्वनामिक विशेषण :  वह सार्वनामिक शब्द जो रूपांतरित होकर संज्ञा शब्दों की विशेषता बतलायें यौगिक सार्वनामिक विशेषण कहलाता है। जैसे –

  1. ऐसा आदमी नहीं देखा।
  2. कैसा घर चाहिए?
  3. जैसा देश वैसा भेष।

विशेषण की अवस्थाएं

तुलनात्मक विशेषण :  वह शब्द जिसके द्वारा दो या अधिक वस्तुओं की विशेषताओं की तुलना की जाती है, वह तुलनात्मक विशेषण कहलाता है।

हिंदी में :  से, अपेक्षा, सामने, सबमें व सबसे आदि शब्द लगाकर विशेषणों की तुलना की जाती है।

तुलनात्मक विशेषण की तीन अवस्थाएं :

(1) मूलावस्था तुलनात्मक विशेषण – वह विशेषण जिसके द्वारा किसी संज्ञा या सर्वनाम की मूल अवस्था को बताया जाता है, उसे मूलावस्था तुलनात्मक विशेषण कहा जाता है। इसमें विशेषण किसी अन्य विशेषण से तुल्य न होकर स्वयं की विशेषताओं से व्यक्त होता है। जैसे :

  1. सूरज एक अच्छा लड़का है।
  2. राम तेज दौड़ता है।

(2) उत्तरावस्था तुलनात्मक विशेषण – वह विशेषण जिसके द्वारा दो संज्ञा या सर्वनाम में से किसी एक को दूसरे से बेहतर बताया जाए, वह उत्तरावस्था तुलनात्मक विशेषण कहलाता है। जैसे –

  1. राम श्याम से अच्छा है।
  2. भारतीय सेना चीन की सेना से अधिक कुशल है।

(3) उत्तमावस्था तुलनात्मक विशेषण – वह विशेषण जिसके द्वारा दो या अधिक संज्ञा या सर्वनामों में से किसी एक को सबसे बेहतर या बुरा बताया जाए। जैसे –

  1. आम सबसे अच्छा फल है।
  2. भारत के पास सबसे ज्यादा युवा शक्ति है।

विशेषणों की अवस्थाओं में परिवर्तन

हिंदी की प्रकृति संस्कृत से भिन्न होने के कारण सामान्यतः ‘तर’ के स्थान पर ‘से’ और ‘में’ का और ‘तम’ के स्थान पर सबसे और सबमें जैसे शब्दों का प्रयोग क्रमश: उत्तरावस्था एवं उत्तमावस्था में प्रयोग होता है।

(मूलावस्था)    (उत्तरावस्था)   (उत्तमावस्था)

कोमल            कोमलतर           कोमलतम

प्रिय                 प्रियतर              प्रियतम्

निम्न                निम्नतर            निम्नतम्

वृहत्                 वृहत्तर              वृहत्तम्

निकृष्ट              निकृष्टतर          निकृष्टतम्

अधिक             अधिकतर         अधिकतम्

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