मार्क्स का जनसंख्या सिद्धांत | Marx’s Theory of Population

मार्क्स ने साम्यवादी विचार के अंतर्गत जनसंख्या संबंधी विचार दिया, जो मुख्यतः श्रम सिद्धांत (Labor theory) है। उन्होंने किसी भी देश की जनसंख्या संरचना (Population structure) का कारण वहां की विशेष सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक व्यवस्था में विशिष्ट जनसंख्या संरचना होती है। और इसमें गत्यात्मकता (Dynamic) पायी जाती है। 

मार्क्स ने माल्थस के जनसंख्या सिद्धांत को पूर्णतः अस्वीकृत करते हुए, उसे पूंजीवादी अर्थव्यवस्था पर आधारित सिद्धांत कहा और जनसंख्या वृद्धि एवं जनसंख्या संबंधी समस्याओं का कारण पूंजीवादी अर्थव्यवस्था (Capitalist Economy) को माना।

इनके अनुसार यदि साम्यवाद (Communism) की स्थापना हो जाए, तो जनसंख्या संबंधी समस्या समाप्त हो जाएगी। क्योंकि साम्यवाद में संसाधनों का वितरण और पूंजी का लाभ समाज के प्रत्येक समुदाय को प्राप्त होता है।

अतः जनसंख्या वृद्धि समस्या के रूप में नहीं होती। जनसंख्या वृद्धि पूंजीवाद के अंतर्गत ही समस्या का रूप लेती है। 

मार्क्स ने अपने जनसंख्या संबंधी विचार में पूंजीपति वर्ग, श्रमिक वर्ग, श्रम की मांग, श्रम की उपलब्धता, बेरोजगारी, गरीबी को आधार बनाया। मार्क्स के अनुसार जीवन स्तर में वृद्धि की स्थिति में जनसंख्या में कमी आती है। और निम्न स्तर के श्रमिकों की तुलना में उच्च स्तर के श्रमिकों में जन्म दर निम्न होती है। अतः साम्यवाद के अंतर्गत श्रमिकों के जीवन स्तर की गुणवत्ता बनी रहती है। जिससे जनसंख्या वृद्धि की समस्या उत्पन्न नहीं होती।

मार्क्स के अनुसार, पूंजीवाद में स्पष्ट रूप से 2 वर्ग होते हैं।
  1. पूंजीपति वर्ग (Capitalist Class)
  2. श्रमिक वर्ग (Labor Class)
पूंजीपति वर्ग कारखाना एवं उद्योगों में धन लगाता है और उसका उद्देश्य अधिक लाभ प्राप्त करना होता है। इस प्रकार पूंजीपति वर्ग का उद्देश्य धन संचय करना होता है। 

जबकि श्रमिक वर्ग जो गरीब वर्ग होते हैं। वह श्रम लगाता है और इसका उद्देश्य श्रम संचय करना होता है। श्रमिक वर्ग श्रम संचय के क्रम में अधिक जनसंख्या वृद्धि करता है। लेकिन यह जनसंख्या अतिरिक्त श्रमिक के रूप में उपलब्ध हो जाती है। ऐसे में श्रम की मांग की तुलना में श्रम की उपलब्धता अधिक होती है, जिससे अतिरिक्त जनसंख्या अर्द्ध-बेरोजगारी एवं बेरोजगारी से ग्रसित हो जाती है। इस प्रकार श्रम संचय की क्रिया ही अंतः गरीबी की समस्या को जन्म देती है।

अतिरिक्त श्रमिकों की उपलब्धता के कारण श्रम के मूल्य में भी कमी आती है। इस प्रकार पूंजीवादी अर्थव्यवस्था में जनसंख्या वृद्धि की प्रवृतियां गरीब जनसंख्या में देखी जाती है। जिसका निराकरण (Resolution) साम्यवाद में ही संभव है। मार्क्स के अनुसार बेरोजगारी अर्द्ध-रोजगारी (Semi-Employment) की समस्या पूंजीवादी अर्थव्यवस्था का ही परिणाम है।

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