मौसम व जलवायु का अर्थ | मौसम एवं जलवायु में अन्तर

जलवायु विज्ञान परिभाषा एवं क्षेत्र


भूगोल विज्ञान के अंतर्गत पृथ्वी के निवास स्थान के रूप में पृथ्वी का अध्ययन किया जाता है। मानव के निवास स्थान को मानव के चारों ओर स्थित भौतिक पर्यावरण के संदर्भ में समझा जाना अत्यंत आवश्यक है। मानव एवं भौतिक पर्यावरण के पारस्परिक संबंधों की विवेचना एवं उसका वैज्ञानिक विश्लेषण ही भूगोल का मुख्य विषय है। जलवायु भौतिक पर्यावरण का सर्वप्रमुख अंग है। जलवायु ही वास्तविक अर्थ में मानव अधिवास एवं क्रियाओं को निर्देशित करता है। जलवायु के अंतर्गत किसी भी प्रदेश एवं विश्व के जलवायविक दशाओं यथा तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, वर्षण इत्यादि का अध्ययन किया जाता है।

जलवायु विज्ञान


 

जलवायु विज्ञान अर्थात Climatology ग्रीक भाषा के दो शब्दों Klima एवं Logos से मिलकर बना है। Klima का अर्थ होता है पृथ्वी का ढाल और Logos का अर्थ अध्ययन या वर्णन करना होता है। यहां पृथ्वी के ढाल विभिन्न अक्षांशों का प्रतीक है। जलवायु विज्ञान के अंतर्गत पृथ्वी पर पाए जाने वाली जलवायु का अध्ययन किया जाता है। हार्टशोन ने अपनी पुस्तक Perspective on the Nature of Geography में जलवायु विज्ञान को भूगोल का ऐसा महत्वपूर्ण अंग माना है, जिसका मूल उद्देश्य जलवायु के तत्वों की क्षेत्रीय विभिन्नताओं का अध्ययन है। कार्ल सावर ने जलवायु के महत्व को बताते हुए कहा था कि प्राकृति भू-दृश्यवलियों में विद्यमान समानता अथवा विषमता मुख्य रूप से जलवायु के कारण पायी जाती है।

मौसम एवं जलवायु में अंतर


सामान्यतः मौसम एवं जलवायु के एक ही संदर्भ में लिया जाता है, लेकिन जलवायु विज्ञान में दोनों में मूलभूत अंतर है।

मौसम/Weather


मौसम वायुमंडल के अल्पकालिक या क्षणिक दशाओं को कहा जाता है। यदि हम किसी विशेष दिन, सप्ताह या माह की वायुमंडलीय दशाओं का किसी विशेष क्षेत्र या स्थान के संदर्भ में उल्लेख करते हैं तो यह मौसम को बताता है। ट्रेवार्था के अनुसार किसी स्थान का मौसम वहां की वायुमंडलीय दशाओं, तापमान, वायुदाब, आर्द्रता, पवन एवं वृष्टि का अल्पकालिक योग है। मौसम की उत्पत्ति के लिए आवश्यक तत्व निम्नलिखित हैं।

  • सौर विकिरण
  • वायु का तापमान
  • वायुदाब
  • पवन
  • आर्द्रता एवं वर्षा
  • मेघाच्छादन

जलवायु/Climate


जलवायु किसी स्थान या प्रदेश के मौसम के दीर्घकालिक दशाओं का औसत का योग है। किसी स्थान अथवा प्रदेश के दिन-प्रतिदिन के मौसम में दीर्घकालिक औसत को वहां की जलवायु कहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय मौसम संस्थान (World Meteorological Organisation) ने जलवायु के निर्धारण के लिए मौसम के विभिन्न तत्वों का औसत निकालने के लिए 31 वर्षों की अवधि को प्रमाणिक माना है। ट्रेवार्था ने दिन-प्रतिदिन के मौसम की दशाओं की विविधता का समन्वय अथवा साधारणीकरण को जलवायु कहा है। क्रिचफिल्ड ने जलवायु को औसत मौसम से कहीं व्यापक माना है। इनके अनुसार किसी प्रदेश की जलवायु का चित्रण के लिए वहां की जलवायु दशाओं के लिए औसत, उनकी प्रवृत्तियों तथा संभावनाओं के अतिरिक्त उनकी अतिशयताओं का भी समन्वय किया जाना चाहिए।
ग्रिफिथ टेलर के अनुसार जलवायु मौसम का समाकलन (Integration) है तो मौसम जलवायु का विभेदन है। किसी भी प्रदेश की जलवायु को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक निम्नलिखित हैं – 

  1. अक्षांश
  2. स्थल एवं जल का विस्तार
  3. समुद्र तल से ऊंचाई
  4. आर्द्र स्थायी निम्न एवं उच्च दाब की पेटियां
  5. वायु राशियों
  6. वायुमंडलीय विक्षोभ
  7. सागरीय धाराएं
  8. परवर्ती अवरोध

इसके अतिरिक्त कई गौण कारक भी है। मौसम का कोई तत्व किसी विशेष परिस्थिति में जलवायु को निर्धारित करने वाला कारक बन जाता है। जैसे पवन की दिशा, वेग, सूर्य प्रकाश की अवधि मौसम एवं जलवायु को नियंत्रित करता है।

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