पठार किसे कहते है | पठारों के प्रकार | भारत और विश्व के पठार

यह सपाट एवं विस्तृत शिखर वाला होता है, जिसके पार्श्व समिपि धरातल से तीव्र या खड़े ढाल वाला होता है। मैदान की अपेक्षा पठार का अधिक उच्चावच पाया जाता है अथवा धरातल का विशिष्ट स्थल रूप जो अपने आस-पास की जमींन से पर्याप्त ऊँचा होता है और जिसका ऊपरी भाग चौड़ा और सपाट हो पठार कहलाता है। समतल भूपटल के 28 प्रतिशत भाग पर पठार, 43 प्रतिशत भाग पर मैदान, 18 प्रतिशत भाग पर पहाड़ियां तथा 11 प्रतिशत भाग पर पर्वत है।

भौगोलिक स्थिति के अनुसार पठारों का वर्गीकरण


(1) अन्तपर्वतीय पठार (Intermontane plateau) चारों ओर से पर्वतों से घिरा पठार, विश्व के सर्वोच्च पठार इसी प्रकार के हैं।

  • तिब्बत, बोलिविया, मेक्सिको, कोलंबिया व पेरू का पठार आदि।
  • तिब्बत का पठार विश्व में सर्वोच्च (4000-6000 मीटर) है। इसके उत्तर में कुनलून तथा दक्षिण में हिमालय श्रेणी है।

(2) गिरिपदीय पठार (Piedmont plateau) पर्वतों के आधार पर स्थित पठार जिसके एक ओर ऊंचे पर्वत एवं दूसरी ओर मैदान या सागर स्थित होता है। यह पठार पर्वत के निर्माण के साथ ही निर्मित होते हैं, जैसे – 

  •  USA का पीडमाव पठार व कोलेरेडो पठार
  •  दक्षिण अमेरिका का पेटागोनिया पठार
  •  भारत का शिलांग का पठार

(3) महाद्वीपीय पठार (Continental plateau) विस्तृत एवं प्राय: पर्वतों से दूर स्थित होते हैं। भारत का प्रायद्वीपीय पठार, अरब का पठार, दक्षिण अफ्रीका का पठार, ऑस्ट्रेलिया का पठार, ब्राजील का पठार, ग्रीनलैंड, लैब्राडोर, साइबेरिया और अंटार्कटिका का पठार आदि।

निर्माण क्रिया के अनुसार पठार के प्रकार


(1) ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित : भारत का दक्कन का पठार, कोलंबिया, आइसलैंड, पेटागोनिया, ब्राजील का पुराना पठार, दक्षिण अफ्रीका का पठार, न्यूजीलैंड का इग्निब्राइट पठार तथा साइबेरिया का पठार आदि।

(2) पटल विरूपण पठार (Diastropic plateau) : पर्वत निर्माण कार्य के दौरान विस्तृत श्रेणियों के बीच उच्च पठारों की रचना होती है, जैसे –

  • हिमालय एवं कुनकुन के बीच – तिब्बत पठार
  • एण्डीज की श्रेणियों के बीच – बोलिविया पठार
  • रॉकी में सियरा आर्द्रे पर्वतों से घिरा – मेक्सिको पठार

ज्वालामुखी क्रिया के द्वारा जब गुंबदकार उभार होता है, तो पठार कहलाता है।

  •  छोटानागपुर पठार (भारत)
  •  ओजार्क पठार (USA)

(3) जलकृत पठार (Fluvial Plateau) : तलछट के निक्षेप के पश्चात उसमें भू-संचलन से उत्थान होने पर पठार निर्मित होते हैं।

  • विध्ययन का पठार, मेघालय का पठार (भारत)
  • शान का पठार (म्यांमार)

(4) हिमानी निर्मित पठार (Glacial Plateau) : पर्वतीय क्षेत्रों में हिमानी अपरदन द्वारा घिसकर सपाट पठार का निर्माण करती है, उदहारण के लिए – अण्टार्कटिका तथा ग्रीनलैंड में हिमानियों के अपरदन से कई पठार विकसित हुए हैं।

  •  भारत – गढ़वाल, कश्मीर का मर्ग
  •  जर्मनी – पर्शिया का पठार

(5) पवन कृत पठार : पवन अपने साथ मिटटी के बारीक कण उड़ाकर लाती है, तथा उनको निश्चित स्थान पर निक्षेप कर देती है। इस तरह लम्बे समय तक निक्षेप के कारण मिट्टियाँ शैल में बदल जाती है और पठार का निर्माण हो जाता है (पवन के अपवाहन क्रिया द्वारा निक्षेप से निर्मित पठार)

  •  चीन का पठार – लोयस पठार
  •  पाकिस्तान – पोटावार पठार

आकृति के अनुसार पठार के प्रकार


(1) गुम्बदाकार पठार (Dome Shaped) : वलन की क्रिया द्वारा जब स्थलमंडल में इस तरह का उत्थान हो जाता है कि बीच का भाग ऊँचा होता है तथा किनारे वाले भाग गोलाकार होते है, तो उसे ‘गुंबदाकार पठार’ कहते है यह पर्वतों से अधिक छोड़ा तथा कम ऊँचा होता है ज्वालामुखी के द्वारा भी इस तरह के पठार का निर्माण होता है, जैसे –

  • भारत छोटा नागपुर पठार रामगढ़ गुंबद चंबल क्षेत्र
  • USA ओजार्क पठार और (अरीय अपवाह) के क्षेत्र

(2) विच्छेदित पठार (Dissected) : असम का पठार

(3) सोपानाकार पठार (Steplike plateau) : अनेक कगार युक्त पठार, जैसे विध्ययन पठार।

(4) चौरस पठार (Flat plateau) : पर्वतों से घिरा सपाट धरातल युक्त पठार, जैसे तिब्बत का पठार।

जलवायु के अनुसार पठार के प्रकार


(1) मरुस्थलीय या शुष्क पठार (Desert or Arid Plateau) : पाकिस्तान का पोटाबार पठार, अरब का पठार (उष्णकटिबंधीय पठार)

  •  USA का कोलोरेडो (मध्य अक्षांशीय पठार)
  •  मध्य एशिया – तारिम बेसिन

(2) आर्द्र पठार (Humid) : अधिक वर्षा के कारण विषम वाला धरातल पठार, जैसे मेघालय का पठार।

(3) हिमाच्छादित पठार (Ice Covered) : जैसे ग्रीनलैंड तथा अंटार्कटिका का पठार

विकास की अवस्था के अनुसार पठार के प्रकार


(1) युवा पठार (Young plateau) : युवा पठारी भागों में चट्टानों की संरचना क्षैतिज होती है, इन पठारों पर नदियां कम पायी जाती है, परन्तु निम्न कटाव द्वारा गहरी घाटियों का निर्माण होता है पठार सतही या जमीन से ऊचां (पर्वतों को छोड़कर) होता है, इसे मैदानी क्षेत्रों से आसानी से देखा जा सकता है जैसे

  •  कोलोरेडो का पठार
  •  इदाहो का पठार (संयुक्त राज्य अमेरिका)

(2) प्रौढ़ पठार (Zodiac plateau) – प्रौढ़ावस्था में अपरदन द्वारा पठार की सतह इतनी असमान हो जाती है कि जिससे नुकीली चोटियों का अधिक संख्या में विस्तार हो जाता है, इसी आधार पर कुछ लोग इसे पहाड़ समझ लेते है। उदाहरण के लिए 

  •  अप्लेसियन पठार (USA)

(3) जीर्ण या वृद्ध पठार (Old plateau) : अत्यधिक अपरदन के बाद पठार के उच्चावच घिसकर लगभग समाप्त हो जाते है तथा पठार एक पेनीप्लेन के रूप में परिवर्तित हो जाता है। जैसे 

  •  रांची का पठार (मेसा) लगभग समप्राय मैदान की स्थिति में है।

(4) पुनर्युवनति पठार (Rejuvenated Plateau) : पठार की जीर्णावस्था की प्राप्ति के बाद यदि पठार में दुबारा उभार हो जाता है तथा उसकी ऊंचाई ज्यादा हो जाती है, तो उसे पुनर्युवनति पठार कहते है या नवोन्मेष से उत्पन्न पठार जैसे विश्व के पठार खनिजों के वृहद भण्डार भी हैं। भारत में भी अधिकतर खनिज पठारों पर ही पाये जाते है।

  •  मिसौरी पठारी – USA
  •  पाट पठार – रांची

महत्वपूर्ण तथ्य


  1. USA का पीडमाउन्ट पठार मध्यवर्ती मैदान से नीचा है।
  2. कैनेडियन शिल्ड की सडबरी की खान विश्व की सर्वाधिक निकल उत्पन्न करने वाली खान है।
  3. मध्यप्रदेश को लोहे के भंडार की दृष्टि से विश्व का खनिज आश्चार्य कहा जाता है।
  4. छोटा नागपुर का पठार विश्व का सर्वाधिक लाख उत्पादन करता है।
  5. दक्कन का पठार जिसे विशाल प्रायद्वीपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है, भारत का विशालतम पठार तथा त्रिभुजाकार आकृति में है, जिसके पठार का एक भाग उत्तर-पूर्व में भी देखा जाता है तथा जिसे स्थानीय रूप से ‘मेघालय या शिलांग का पठार’ तथा ‘उत्तर कचार पहाड़ी’ के नाम से जाना जाता है।
  6. गंगा व यमुना के दक्षिण उभरता हुआ विशाल भूखंड भारत का प्रायद्वीपीय पठार कहलाता है। इसका आधार गंगा की घाटी से दक्षिण कन्याकुमारी तक स्थित है दक्कन का पठार एक लावा पठार इसके उदाहरण है।

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