ज्वालामुखी का अर्थ | ज्वालामुखी के प्रकार | विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी

ज्वालामुखी का अर्थ


पर्वत जिसके शिखर पर एक छिद्र होता है, जिससे प्राय: भाप, गैस, राख तथा गर्म पिघली चट्टान बाहर निकलती है, उसे ज्वालामुखी कहा जाता है।

ज्वालामुखी के प्रकार


उदगार के अनुसार ज्वालामुखी दो प्रकार के होते हैं।

  1. केंद्रीय उद्गार वाले ज्वालामुखी
  2. दरारी उद्गार वाले ज्वालामुखी

(1) केंद्रीय उद्गार वाले ज्वालामुखी :

इसमें ज्वालामुखी का उद्गार भयंकर विस्फोट के साथ किसी नालिका या केंद्रीय मुख (Crater) के सहारे होता है। उदगार की विशेषताओं के आधार पर यह पांच प्रकार के होते हैं।

  • हवाईयन तुल्य ज्वालामुखी : इस प्रकार के ज्वालामुखी का उद्गार शांत होता है। हवाई दीप के मोनालोआ ज्वालामुखी के आधार पर नामांकन किया गया है।
  1. इसमें लावा पतला, गैसे कम मात्रा में तथा विखंडित पदार्थ भी कम होते हैं।
  2. हवाई दीप के लोग आकाश में लहराते लावा को, अग्नि देवी पीली की केश राशि कहते हैं।
  • स्ट्रोमबोलियन तुल्य ज्वालामुखी : भूमध्य सागर के सिसली द्वीप के उत्तर में लीपारी द्वीप के स्ट्राम्बोली ज्वालामुखी के आधार पर इसका नामांकन किया गया।
  1. इसमें सतत उद्भेदन होता रहता है।
  2. स्ट्रांबोली को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ (light pillar of Mediterranean sea) कहा जाता है।
  • वॉल कैनियन तुल्य ज्वालामुखी : इसमें निकलने वाला लावा गाढ़ा होता है।
  1. प्रत्येक उद्गार के बाद ज्वालामुखी बंद हो जाता है, जिसे दोबारा तोड़ने के लिए भीषण उदगार होता है।
  2. इसमें गैस एवं धूल की विशाल राशि होती है जिसके कारण गोभी के फूल की तरह मेघ आकाश में छा जाते हैं।
  • विसुवियस तुल्य ज्वालामुखी : यह वॉल कैनियन ज्वालामुखी तरह ही है।
  1. इसमें भी गोभी के फूल जैसी आकृति बन जाती है।
  2. इसे प्लीनियन प्रकार का ज्वालामुखी भी कहते हैं।
  • पीलियन तुल्य ज्वालामुखी : यह सर्वाधिक विनाशकारी ज्वालामुखी होते हैं। इसका उद्गार भयंकर और विस्फोट से होता है। इसमें निकलने वाला लावा सबसे अधिक गाढ़ा और चिपचिपा होता है, जैसे क्राकाटाओ ज्वालामुखी।

(2) दरारी उद्गार वाले ज्वालामुखी : 

इसमें लावा का उद्गार किसी केंद्र या क्षेत्र या नली से नहीं होता है, बल्कि कई दरारों से होता है। जब लावा में गैसों की मात्रा कम होती है, तब दरार उद्भेदन होता है। 

  1. इससे पठारो की रचना होती है, जैसे दक्कन का पठार, कोलंबिया का पठार, ब्राजील का पठार आदि। 1783 में आइसलैंड (लाकी) में दरारी उद्गार ही हुआ था।

सक्रियता के अनुसार ज्वालामुखी के प्रकार


सक्रियता या उद्गार की अवधि के अनुसार ज्वालामुखी 3 प्रकार के होते हैं।

  1. सक्रिय या जागृत ज्वालामुखी (Active volcano)
  2. प्रसुप्त ज्वालामुखी (Dormant volcano)
  3. शांत ज्वालामुखी (Extinct volcano)

(1) सक्रिय ज्वालामुखी :

वैसे ज्वालामुखी जिनसे लावा, गैस, राख, धुआं तथा विखंडित ठोस पदार्थ (पायरोक्लास्टिक) सदैव निकलते रहते हैं। उन्हें सक्रिय या जागृत ज्वालामुखी कहते हैं।

  1. यह सदैव सक्रिय रहते हैं।
  2. विश्व में वर्तमान में लगभग 500 ज्वालामुखी जागृत है।
  3. स्ट्रांबोली, भूमध्य सागर में सिसिली के उत्तर में लिपारी द्वीप पर स्थित है। यह हमेशा जागृत रहती है। जिसके कारण आस-पास का भाग प्रकाशमान रहता है। इसी कारण इस ज्वालामुखी को भूमध्य सागर का प्रकाश स्तंभ (Light pillar or house of Mediterranean sea) कहा जाता है।

(2) प्रसुप्त ज्वालामुखी :

वैसे ज्वालामुखी जो उद्गार के बाद कुछ अवधि तक शांत रहते हैं तथा पुनः उदगार के लक्षण नहीं दिखते, परंतु अचानक सक्रिय हो जाते हैं। प्रसुप्त ज्वालामुखी कहलाते हैं।

  1. ऐसे ज्वालामुखी अधिक विनाशकारी होते हैं, क्योंकि उद्गार के बाद लंबी अवधि तक शांत रहने के कारण यहां मानव अधिवास हो जाता है, जिसके कारण यहां पर अचानक विस्फोट होने के कारण जानमाल की हानि होती है।
  2. विसुवियस ज्वालामुखी लगभग 700 वर्षों तक शांत रहने के बाद 79 ईसवी में सक्रिय हुआ, जिससे पॉम्पेई और हरकुलेनियम नगरों में भारी विनाश हुआ। इसके बाद भी कई बार उद्गार हुआ, वर्तमान में यह प्रसुप्त अवस्था में है।
  3. कोलंबिया का नेवादोडोल रूइज ज्वालामुखी 390 वर्ष तक शांत रहने के बाद 1985 में सक्रिय हो गया, जिससे आरमेरो नगर नष्ट हो गया।
  4. विसुवियस, क्राकाताओ, नेवादोडेल रूइज प्रमुख प्रसुप्त ज्वालामुखी है।

(3) शांत ज्वालामुखी :

वैसे ज्वालामुखी जो पूर्णतया निष्क्रिय हो चुके है तथा भविष्य में उद्गार की कोई संभावना नहीं है, उन्हें शांत ज्वालामुखी कहते हैं।

  1. ऐसे ज्वालामुखी के क्रेटर या मुख में झील बन जाती है तथा बस्तियां भी बस जाती हैं।
  2. ऐसे ज्वालामुखी में प्राचीन काल में उद्गार हुआ होता है, लेकिन एक लंबे समय से यह शांत होता है, अतः इसे निष्क्रिय मान लिया जाता है। जैसे इरान का कोह सुल्तान तथा देवबंद, म्यांमार का पोपा शांत ज्वालामुखी के उदाहरण है।

ज्वालामुखी के लाभ

  1. ज्वालामुखी के उद्गार के काफी समय बाद झीलों का निर्माण हो जाता है।
  2. ज्वालामुखी के चारों ओर काफी बड़े क्षेत्र में राख के जमा होने से मिट्टी काफी उपजाऊ हो जाती है और काली मिटटी का निर्माण होता है जो कपास के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है।
  3. ज्वालामुखी से पठारों की शृंखला का निर्माण होता है जिसके पत्थर से मकान, पुल, सड़कें आदि का निर्माण होता है।
  4. ज्वालामुखी के कारण हमे पृथ्वी की आंतरिक गतिविधियों का पता चलता है।
  5. नयी शोध के अनुसार इससे बिजली का उत्पादन हो सकता है।

ज्वालामुखी से हानि


  1. ज्वालामुखी विस्फोट से निकलने वाले मैग्मा या लावे के नीचे बहुत-सी वनस्पति तथा जीव-जन्तु दब जाते हैं।
  2. इसके कारण समीपवर्ती भागों में प्रायः भूकम्प भी आ जाते हैं।
  3. लावा निकलने से काफी दूर तक खेत, मकान वन्यजीव जंतु आदि नष्ट हो जाते हैं।
  4. समुद्र में विस्कोट से जल उबलने लगता है, जिसे बड़वानल कहा जाता है, इससे समुद्री जीव मर जाते हैं।

महत्वपूर्ण तथ्य


  1. विश्व की सबसे ऊँचाई पर स्थित सक्रिय ज्वालामुखी ‘ओजस डेड सालाडो’ (6885 मीटर) एण्डीज पर्वतमाला में अर्जेन्टीना-चिली देश की सीमा पर स्थित है।
  2. ज्वालामुखी के दौरान निकलने वाली जैसे : जलबाष्प, कार्बन-डाई आक्साइड, सल्फर-डाई आक्साइड, नाइट्रोजन.
  3. ज्वालामुखी से बचाव के उपाय :  ज्वालामुखी जैसे आपदा से बचने के लिए अनेक उपाय होते रहे हैं जैसे संवेदनशील क्षेत्रों से दूर मानव बसाव, ज्वालामुखी उद्गार के समय शीघ्र हटने की सुविधा, ज्वालामुखी उद्भेदन का पूर्वानुमान और ऐसी वनस्पतियों का रोपण जिनकी सहन क्षमता पर्याप्त हो।

विश्व के प्रमुख सर्वाधिक ऊंचें सक्रिय ज्वालामुखी


  1. कोटोपैक्सी       –  इक्वेडोर दक्षिण अमेरिका
  2. कलुचेवस्काया  –  रूस
  3. ब्रेनगल             –  संयुक्त राज्य अमेरिका अलास्का
  4. मोनालोआ       –  हवाई दीप यूएसए
  5. कैमरून           –  कैमरुन अफ्रीका
  6. ऐरेबस             –  अंटार्कटिका रास सागर
  7. चिल्लन            –  चिली
  8. असामा           –  जापान
  9. न्याउरूहोरे     –  न्यूजीलैंड
  10. हेवेला             –  आइसलैंड
  11. स्ट्रांबोली         –  लीपारी द्वीप भूमध्य सागर
  12. एटना             –  इटली

विश्व के प्रमुख ज्वालामुखी


  1. माउंट एरेबस   –   अंटार्कटिका (रास सागर)
  2. माउंट टेरर  –   अंटार्कटिका (रास सागर)
  3. माउंट एकांकागुआ   –   चिली (विश्व का सर्वाधिक ऊंचा ज्वालामुखी)
  4. आजो सडेल सेलेडो  –   अर्जेंटीना, चिली
  5. कोटोपैक्सी   –   इक्वाडोर (विश्व का सर्वाधिक ऊंचा सक्रिय ज्वालामुखी)
  6. चिम्बोरेजो    –   इक्वेडोर
  7. पोपोकैटिपेटल   –   मेक्सिको
  8. माउंट शस्ता    –   संयुक्त राज्य अमेरिका
  9. माउंट रेनियर   –   संयुक्त राज्य अमेरिका
  10. माउंट हुड    –   संयुक्त राज्य अमेरिका
  11. फ्यूजीयामा  –   जापान का सर्वाधिक ऊंचा ज्वालामुखी
  12. फिजोकू    –   जापान
  13. कटमई    –   अलास्का
  14. माउंट ताल   –   फिलीपींस
  15. माउंट मेयाना    –   फिलीपींस
  16. स्ट्रांबोली    –   इटली, भूमध्य सागर
  17. एटना    –   इटली के सिसली द्वीप
  18. विसुवियस  –   नेपल्स की खाड़ी (इटली)
  19. टकान   –   सियरामाद्रे (ग्वाटेमाला)
  20. देवबंद   –   ईरान
  21. कॉल सुल्तान    –   ईरान
  22. एलबुर्ज   –   काकेशस (जॉर्जिया)
  23. वोल्केनो  –   भूमध्य सागर, इटली (लीपारी दीप)
  24. फैआल   –   एजोर्स द्वीप (पुर्तगाल)
  25. अरारत    –   आर्मेनिया
  26. किलिमंजारो   –   तंजानिया (अफ्रीका)
  27. कैमरून    –   कैमरुन (पश्चिमी अफ्रीका)
  28. माउंट कीनिया   –   कीनिया (अफ्रीका)
  29. मेरु, एल्गन, विरून्गा, रंगवी – अफ्रीका की भ्रंश घाटी में
  30. लाकी   –   आइसलैंड
  31. हेकला    –   आइसलैंड
  32. हेल्गाफेल   –   आइसलैंड
  33. लेसर एंटीलीस    –   दक्षिण अटलांटिक महासागर
  34. दक्षिण एंटीलीस   –   दक्षिण अटलांटिक महासागर
  35. सेंट हेलेना   –   दक्षिण अटलांटिक महासागर (UK)
  36. मोनालोआ   –   हवाई द्वीप,  प्रशांत महासागर (USA)
  37. मोनाकी    –   हवाई द्वीप (USA)
  38. माउंट पोपा   –   म्यांमार
  39. माउंटपीली   –   मार्टिनीक द्वीप (पश्चिमी द्वीप समूह)
  40. क्राकाटाओ   –   इंडोनेशिया (सुण्डा स्ट्रीट)
  41. बेसेन पीक    –   केलिफोर्निया, USA (कॉस्केड श्रेणी)
  42. ब्रेन्गेल     –   अलास्का, USA
  43. लैसकर     –   इण्डीज (चिली)
  44. टूपुंग टीटो     –   इण्डीज (चिली)

ज्वालामुखी से सम्बंधित करंट की घटनाएं :

  • हाल ही में, इंडोनेशिया के जावा द्वीप पर स्थित माउंट मेरापी ज्वालामुखी 27 जनवरी, 2021 की रात को फट गया। यह इंडोनेशिया का सबसे सक्रीय ज्वालामुखी है और इसकी ऊंचाई 2963 मीटर है। इससे पहले यह 2010 में फटा था जिसके कारण 347 लोगों की जान चली गई थी।
  • माउंट नीरागोंगो ज्वालामुखी – कांगों, हाल ही में इसमें विस्फोट हुआ है।
  • हाल ही में, 16 जनवरी, 2022 को टोंगा आईलैंड पर समुद्र के भीतर ज्वालामुखी का विस्फोट हो गया। टोंगा 169 दीपों का समूह है जो दक्षिणी प्रशांत महासागर में स्थित है। जिसका असर न्यूजीलैंड तथा फिजी में भी देखा गया।

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