The Concept of continental drift has developed in the context of the origin of the present continents and oceans. Under this, it’s accepted that the present form of the world has been determined by the gradual fragmentation and displacement of the oldest large continent of the earth and the various present oceans have originated from a large ocean. The work of presenting such a concept in the form of principle was done by Mr. Wagner in 1912. He suggested that in the Carboniferous period, a large supercontinent, Pangea, was located, in which the present-day continents originated from the gradual fragmentation and displacement.
Panthalassa, a large ocean, was located around the supercontinent Pangaea. The present oceans and seas originated when the waters of Pangea entered the middle of the continents. Wagner collected many evidences to prove this fact, which was also recognized to a great extent in the then circumstances, but the explanation of the reason for the fragmentation of Pangea and the reason for the flow was unscientific and impractical, which was invalidated in later years. .
Holmes’ convection wave first explained the endogenetic forces responsible for the break-up and flow of Pangea. From the study of seismic waves and seismographs, more clear information about the geological structure of the earth has been obtained. At present, it is believed that there is a condition of plastic asthenosphere in almost molten state due to high temperature in the region about 100 km to 200 km below the lithosphere. Due to which the process of fragmentation and displacement takes place in the lithosphere. The displaced continental and oceanic crust of the lithosphere is called a plate. Plate tectonic theory was developed on this basis only. Continental drift was scientifically confirmed by the theory of plate tectonics, but at the same time the mechanism of continental drift began to be understood in terms of plate dynamics.
At present, in the theory of plate tectonics, it is also accepted that the present continents have originated by gradual fragmentation and flow in different directions in the oldest supercontinent Pangea, but at the same time, not only accepting the displacement of the continents but also accepting the displacement of the ocean floor. That is, the concept of continental drift is being understood in the context of the movement of plates.
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महाद्वीपीय विस्थापन की अवधारणा वर्तमान महाद्वीप एवं महासागरों की उत्पत्ति के संदर्भ में विकसित हुई है। इसके अंतर्गत यह स्वीकार किया जाता है कि विश्व के वर्तमान स्वरूप का निर्धारण पृथ्वी के प्राचीनतम एक वृहद महाद्वीप के क्रमिक विखंडन एवं विस्थापन से हुई है और विभिन्न वर्तमान महासागरों की उत्पत्ति एक वृहद महासागर द्वारा हुई है। इस तरह की अवधारणा सर्वप्रथम सिद्धांत के रूप में प्रस्तुत करने का कार्य वैगनर महोदय ने 1912 में किया था। उन्होंने यह बताया कि कार्बोनिफरस काल में एक वृहद महाद्वीप पैंजिया स्थित था, जिसमें क्रमिक विखंडन और विस्थापन से वर्तमान महाद्वीपों की उत्पत्ति हुई।
वृहद महाद्वीप पैंजिया के चारों ओर एक वृहद महासागर पैंथालसा की स्थिति थी। पैंजिया के जल का महाद्वीपों के मध्य में प्रवेश करने से वर्तमान महासागर एवं सागर की उत्पत्ति हुई। वैगनर ने इस तथ्य को प्रमाणित करने के लिए कई साक्ष्य जुटाए, जिसे तत्कालीन परिस्थितियों में बहुत हद तक मान्यता भी मिली, लेकिन पैंजिया के विखंडन का कारण एवं प्रवाह के कारण की व्याख्या अवैज्ञानिक एवं अव्यावहारिक थी, जिसे बाद के वर्षों में अमान्य कर दिया गया।
होम्स के संवहन तरंग द्वारा सर्वप्रथम उत्तरदायी अंतर्जात बलों की व्याख्या की, जो पैंजिया के विखंडन एवं प्रवाह का कारण थी। भूकंपीय तरंगों एवं सिस्मोग्राफ के अध्ययन से भी पृथ्वी की भूगर्भिक संरचना की अधिक स्पष्ट जानकारी प्राप्त हुई है। वर्तमान में यह माना जाता है कि स्थलमण्डल के नीचे लगभग 100 किमी से 200 किमी क्षेत्र में अधिक तापमान के कारण लगभग पिघली हुई अवस्था में प्लास्टिक दुर्बलमंडल की स्थिति है। जिसके प्रभाव से स्थलमंडल में विखंडन एवं विस्थापन की क्रिया होती है। स्थलमंडल के विस्थापित होने वाले महाद्वीपीय एवं महासागरीय भूपटल को प्लेट कहा जाता है। इस आधार पर ही प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत (Plate Tectonic theory) विकसित हुआ। प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत द्वारा महाद्वीपीय विस्थापन की वैज्ञानिक पुष्टि हुई थी, लेकिन साथ ही महाद्वीपीय विस्थापन की क्रिया को प्लेटो की गतिशीलता के संदर्भ में समझा जाने लगा।
वर्तमान में प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत में भी यह स्वीकार किया जाता है कि प्राचीनतम महाद्वीप पैंजिया में क्रमिक विखंडन एवं विभिन्न दिशाओं में प्रवाह द्वारा ही वर्तमान महाद्वीपों की उत्पत्ति हुई है, लेकिन साथ ही केवल महाद्वीपों के विस्थापन को स्वीकार न कर महासागरीय नितल के विस्थापन को स्वीकार किया जाता है अर्थात महाद्वीपीय विस्थापन की अवधारणा को प्लेटों की गतिशीलता के संदर्भ में समझा जा रहा है।