What is Ocean Floor Spreading Theory | Sagar Nital Prasaran Siddhant | हेरीहेस का सागर नितल प्रसरण सिद्धांत

On the basis of Masson’s Theory of Palaeomagnetism, Herrhys gave the Ocean floor spreading theory in 1960. According to them, the way the plastic asthenosphere located under the earth’s crust affects the continental crust, in the same way it affects the ocean floor. Herrhys presented the ocean floor diffusion theory on the study of ridges present in the North and South Atlantic Ocean.
The convective energy wave emanating from the Plastic Asthenosphere, along with the surface magma basalt, breaks the oceanic crust of lesser thickness and causes displacement in the horizontal direction. This process goes on continuously. Some part of magma basalt moves in horizontal direction on both sides and some part moves upwards. The orderly development of parallel wheels from the horizontal direction part and ridges are formed from the upward moving part.

Due to the formation of parallel belts, displacement is seen in the opposite direction in the continents on both sides. The reason for which was considered to be the pressure on the continents in the opposite direction due to the continuous formation of belts between the continents.

Hence, the displacement of the continents is confirmed by the spreading action of the ocean floor.

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मैसन के पुराचुंबकत्व सिद्धांत के आधार पर हेरीहेस ने 1960 में सागर नितल प्रसरण सिद्धांत दिया। इनके अनुसार पृथ्वी के अंदर भूपटल के नीचे स्थित प्लास्टिक दुर्बलमंडल जिस प्रकार का महाद्वीपीय भूपटल को प्रभावित करता है, उसी प्रकार सागर नितल को भी प्रभावित करता है। हेरीहेस ने उत्तरी एवं दक्षिणी अटलांटिक महासागर में उपस्थित कटक के अध्ययन पर सागर नितल प्रसारण सिद्धांत प्रस्तुत किया।
प्लास्टिक दुर्बल मंडल से निकलने वाली संवहन ऊर्जा तरंग धरातलीय मैग्मा बेसाल्ट के साथ महासागर की कम मोटाई के भूपटल को तोड़कर क्षैतिज दिशा में विस्थापन का कार्य करती है। यह प्रक्रिया लगातार चलती रहती है। मैग्मा बेसाल्ट का कुछ भाग क्षैतिज दिशा में दोनों ओर एवं कुछ भाग ऊपर की ओर गतिशील रहता है। क्षैतिज दिशा वाले भाग से समानांतर पहियो का क्रमबद्ध विकास एवं ऊपर की ओर गतिशील भाग से कटक का निर्माण होता है।

समानांतर पट्टियों के निर्माण के कारण ही दोनों ओर के महाद्वीपों में विपरीत दिशा में विस्थापन देखा जाता है। जिसका कारण पट्टियों का महाद्वीपों के मध्य लगातार निर्माण द्वारा महाद्वीपों पर विपरीत दिशा में दबाव माना गया। अतः सागर नितल की प्रसारण क्रिया द्वारा महाद्वीपों में विस्थापन की पुष्टि होती है।
महाद्वीपीय विस्थापन की अवधारणा 

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