Carbon Footprint kya hai | कार्बन फुटप्रिंट | Carbon Footprint in Hindi

कार्बन फुटप्रिंट

ग्रीनहाउस गैसों के प्रति व्यक्ति या प्रति औद्योगिक इकाई उत्सर्जन की मात्रा को उस व्यक्ति या औद्योगिक इकाई का कार्बन फुटप्रिंट कहा जाता है। कार्बन फुटप्रिंट को निकालने के लिए विश्व भर में Life Cycle Assessment विधि का प्रयोग किया जाता है। इस विधि के अंतर्गत व्यक्ति या औद्योगिक इकाई द्वारा वातावरण में उत्सर्जित कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य ग्रीन हाउस गैसों की कुल मात्रा को जोड़ा जाता है। आमतौर पर कार्बन फुटप्रिंट को कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन में मापा जाता है, क्योंकि ग्रीन हाउस गैसों का ग्लोबल वार्मिंग में योगदान कमोवेश कार्बन डाइऑक्साइड जितना ही होता है। अमेरिका में कार्बन फुटप्रिंट का औसत अत्यधिक अर्थात प्रति व्यक्ति वार्षिक 20 टन है। वहीं भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 1.32 टन है। इस प्रकार संसार में सर्वाधिक ग्रीन हाउस गैसों का प्रति व्यक्ति उत्सर्जन ऑस्ट्रेलिया में पाया जाता है।

माशेल्कर समिति का संबंध

राष्ट्रीय ऑटो फ्यूल नीति के लिए गठित मालिश कर समिति ने अपनी फाइल रिपोर्ट और केंद्र पेट्रोलियम मंत्री श्री राम नायक को 2002 में प्रस्तुत की। जिसका संबंध वाहनों के धुंए से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए यूरो 3 और यूरोप 4 को अध्यारोपित करना था।

जेट्रोफा ऑयल के प्रयोग की योजना

पेट्रोलियम आयात के भार में कमी लाने के लिए जेट्रोफा के बीजों के तेल को डीजल के विकल्प के रूप में उपयोग में लाने की सरकार की योजना है।

[जाने – कार्बन डेटिंग पद्धति किसे कहते है? ]

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