Global Warming in Hindi | ग्लोबल वार्मिंग क्या है?

ग्लोबल वार्मिंग का अर्थ


ग्लोबल वार्मिंग से तात्पर्य वैश्विक औसत तापमान में हुई वृद्धि से है, पिछले कुछ सालों से पृथ्वी और इसके वायुमंडल का तापमान लगातार बढ़ रहा है वैश्विक तापमान के इसी वृद्धि को ग्लोबल वार्मिंग की संज्ञा दी गई।

ग्लोबल वार्मिंग के कारण


ग्लोबल वार्मिंग का मुख्य कारण पर्यावरण प्रदूषण के लिए उत्तरदाई ग्रीन हाउस गैसें तथा पर्यावरण प्रदूषण है। ग्रीन हाउस गैसें कार्बन डाईऑक्साइड, क्लोरोफ्लोरोकार्बन, मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड तथा ओजोन है। पृथ्वी से पार्थिव विकिरण के रूप में उत्सर्जित ऊष्मा को अनंत वायुमंडल में जाने से रोक होती है। जिसके कारण वायुमंडल के औसत तापमान में वृद्धि हो जाती है। स्पष्ट है कि ग्लोबल वार्मिंग के लिए सबसे जिम्मेदार गैस कार्बन डाइऑक्साइड है। ग्लोबल वार्मिंग में कारण बन रही गैसों को मापने के लिए PPM का प्रयोग किया जाता है।

ग्लोबल वार्मिंग, औद्योगिक क्रांति के बाद से औसत वैश्विक तापमान में वृद्धि को दर्शाता है। 1880 के बाद से औसत वैश्विक तापमान में लगभग एक डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है। ग्लोबल वार्मिंग एक सतत प्रक्रिया है, वैज्ञानिकों को आशंका है कि 2035 तक औसत वैश्विक तापमान अतिरिक्त 0.3 से 0.7 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है और इसके कारण भारत के कुछ द्वीप  जलमग्न हो सकते हैं। हाल ही में रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल वार्मिंग के कारण समुद्री जल में वृद्धि के कारण भारत का लक्ष्यद्वीप धीरे-धीरे जलमग्न होता नजर आ रहा है। इस प्रकार विश्व में बहुत से द्वीप  ऐसे हैं, जो जलमग्न हो गए हैं और जलमग्न होने की कगार पर है। इस प्रकार ग्लोबल वार्मिंग को रोकने के लिए हमें गैसों में हो रही वृद्धि को रोकना होगा ताकि सूर्य से प्राप्त होने वाली उष्मा पृथ्वी से वापस आकाश में चली जाए।
नोट :  PPM (Parts Per Million) क्लोरीन वजन के हिसाब से हवा के 10 लाख हिस्से में क्लोरीन के एक हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है, जो कि 1.45 Mg/M-3 है। PPM इकाई मुख्य रूप से उत्तरी अमेरिका में उपयोग की जाती है।

ग्लोबल वार्मिंग को कम करने के उपाय


  1. दुनिया का 29 फ़ीसदी से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन चीन करता है, अमेरिका 14.02 फीसदी और भारत 7.02 फीसदी। ये तीनों सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश है। अगर कार्बन फुटप्रिंट कम किया जाए तो जलवायु का असर कम करने में मदद हो सकती है। उर्जा खपत की वजह से 76 फीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होती है।
  2. घर में अक्षय ऊर्जा का इस्तेमाल करके प्रति व्यक्ति 1.5 टन कार्बन कम किया जा सकता है।
  3. शाकाहारी खाना अपनाकर आधा टन कार्बन बचाया जा सकता है। सब्जियों से 4.9 फ़ीसदी ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है तो पोल्ट्री, सी फूड और अंडों से 14 फीसदी। इसके अलावा डेरी प्रोडक्ट 19 फ़ीसदी ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन करते हैं।
  4. रीसाइकिल, रीयूज और लोकल प्रोडक्ट खरीदकर व प्लास्टिक बैग इस्तेमाल न करके, हम 10 फ़ीसदी कचरा कम कर सकते हैं। इससे वातावरण में से करीब 1200 पाउंड कार्बन कम हो सकता है।
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