हिंदी के कुछ मुहावरे एवं लोकोक्तियां

    1. अंधे के आगे रोना – व्यर्थ प्रयत्न करना
    2. अंगारों पर चलना – स्वयं को खतरे में डालना
    3. अंगारे उगलना – क्रोध में लाल-पीला होना
    4. अड़ियल टट्टू – जिद्दी
    5. अरण्य रोदन – व्यर्थ प्रयास
    6. अंधेरे घर का उजाला – एकलौता पुत्र
    7. अक्ल के घोड़े दौड़ाना – केवल कल्पनाएं करते रहना
    8. अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना – अपनी प्रशंसा करना
    9. अंडे सेना – घर में बैठकर अपना समय नष्ट करना
    10. अंगूठा दिखाना – इन्कार करना
    11. अंधे की लकड़ी – एकमात्र सहारा
    12. अंधे के हाथ बटेर लगना – अचानक ही मिलना
    13. अन्न जल उठना – किसी स्थान से संबंध टूटना
    14. अक्ल के अंधे – मूर्ख बुद्धिमान
    15. अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना
    16. अपनी खिचड़ी अलग पकाना – अलग अलग रहना
    17. अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना – मूर्खतापूर्ण कार्य करना
    18. अक्ल पर पत्थर पड़ना – कुछ समझ में न आना
    19. अटका बनिया देय उधार – मजबूर व्यक्ति द्वारा अनचाहा कार्य करना
    20. अंग-अंग ढीला पड़ना – बहुत थक जाना
    21. अंकुश लगाना – रोक लगाना
    22. अंक में समेटना – गोद में लेना
    23. अंग बन जाना – सदस्य बनना
    24. अपना सा मुंह लेकर रह जाना – शर्मिंदा होना
    25. अंगूर खट्टे होना – मनचाही वस्तु प्राप्त न होने पर अपनी कमी उजागर न करते हुए कोई और बहाना करना
    26. अंगूठी का नगीना – सजीला और सुंदर
    27. अल्लाह मियां की गाय – सरल प्रकृति वाला
    28. अंतरियो में बल पड़ना – संकट में पड़ना
    29. अंधा बनाना – मूर्ख बनाकर धोखा देना
    30. अंग लगाना – आलिंगन करना
    31. अंकुश न मानना – न डरना
    32. अन्न का टन्न करना – बनी चीज को बिगाड़ देना
    33. अन्न जल बदा होना – कहीं का जाना और रहना अनिवार्य हो जाना
    34. अधर काटना – बेवसी का भाव प्रकट करना
    35. अपनी हांकना – आत्म प्रशंसा करना
    36. अढ़ाई दिन की बादशाहत – थोड़े दिन की शान शौकत
    37. अठखेलियां सूझना – हंसी दिल्लगी करना
    38. अंग न समाना – अत्यंत प्रसन्न होना
    39. अंगूठे पर मारना – परवाह न करना
    40. अंग टूटना – थकावट से शरीर में दर्द होना
    41. अंधाधुंध लूटाना – बहुत अपव्यय करना
    42. अपनी खाल में मस्त रहना – अपनी दशा से संतुष्ट होना
    43. अन्न न लगना – खा पीकर भी मोटा न होना
    44. अधर में लटकना या झूलना – दुविधा में पड़ा रह जाना
    45. अंधेर नगरी – जहां धांधली हो
    46. आग-पानी या आग और फूस का बैर होना – स्वाभाविक शत्रुता होना
    47. आठ-आठ आंसू रोना – बहुत अधिक रोना
    48. आंखें बिछाना – आदरपूर्वक स्वागत करना
    49. आड़े हाथों लेना – शर्मिंदा करना
    50. आसमान पर थूकना – अच्छे व्यक्ति को कलंकित करना
    51. ईंट का जवाब पत्थर से देना – किसी के आक्रमण का अधिक कठोर जवाब देना
    52. ईंट तक बिकवा देना – सब नष्ट करना
    53. ईंट से ईंट बजाना – कड़ी टक्कर लेना
    54. एक मछली सारा तालाब गंदा कर देती है – एक की बुराई के साथी भी बदनाम होते हैं।
    55. एक हाथ से ताली नहीं बजती – लड़ाई का कारण दोनों पक्ष होते हैं।
    56. एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा – बुरे से और अधिक बुरा होना
    57. कागज की नाव नहीं चलती – बेईमानी के किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती
    58. काला अक्षर भैंस बराबर – बिल्कुल निरक्षर होना
    59. कंगाली में आटा गीला – संकट पर संकट आना
    60. कोयले की दलाली में हाथ काले – बुरे काम का परिणाम भी बुरा होता है
    61. का वर्षा जब कृषि सुखानी – अवसर बीत जाने पर साधन की प्रप्ति बेकार है।
    62. काबुल में क्या गधे नहीं होते – मूर्ख सब जगह मिलते हैं।
    63. कहने पर कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता – कहने से जिद्दी व्यक्ति काम नहीं करता।
    64. कोउ नृप होउ हमें का हानि – अपने काम से मतलब रखना
    65. कौवा चला हंस की चाल भूल गया अपनी भी चाल – दूसरों के अनधिकार अनुकरण से अपने रीति रिवाज भूल जाना।
    66. कभी घी घना तो कभी मुट्ठी चना – परिस्थितियां सदा एक सी नहीं रहती।
    67. करले सो काम भजले सो राम – एक निष्ठ होकर कर्म और भक्ति करना।
    68. काज परै कछ और काज सरै कछु और – दुनिया बड़ी स्वार्थी है काम निकाल कर मुंह फेर लेते हैं।
    69. खोदा पहाड़ निकली चुहिया – अधिक परिश्रम से कम लाभ होना।
    70. खग जाने खग हीं की – मूर्ख व्यक्ति मूर्ख की भाषा समझता है।
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