Skip to content- अंधे के आगे रोना – व्यर्थ प्रयत्न करना
- अंगारों पर चलना – स्वयं को खतरे में डालना
- अंगारे उगलना – क्रोध में लाल-पीला होना
- अड़ियल टट्टू – जिद्दी
- अरण्य रोदन – व्यर्थ प्रयास
- अंधेरे घर का उजाला – एकलौता पुत्र
- अक्ल के घोड़े दौड़ाना – केवल कल्पनाएं करते रहना
- अपने मुंह मियां मिट्ठू बनना – अपनी प्रशंसा करना
- अंडे सेना – घर में बैठकर अपना समय नष्ट करना
- अंगूठा दिखाना – इन्कार करना
- अंधे की लकड़ी – एकमात्र सहारा
- अंधे के हाथ बटेर लगना – अचानक ही मिलना
- अन्न जल उठना – किसी स्थान से संबंध टूटना
- अक्ल के अंधे – मूर्ख बुद्धिमान
- अपना उल्लू सीधा करना – स्वार्थ सिद्ध करना
- अपनी खिचड़ी अलग पकाना – अलग अलग रहना
- अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना – मूर्खतापूर्ण कार्य करना
- अक्ल पर पत्थर पड़ना – कुछ समझ में न आना
- अटका बनिया देय उधार – मजबूर व्यक्ति द्वारा अनचाहा कार्य करना
- अंग-अंग ढीला पड़ना – बहुत थक जाना
- अंकुश लगाना – रोक लगाना
- अंक में समेटना – गोद में लेना
- अंग बन जाना – सदस्य बनना
- अपना सा मुंह लेकर रह जाना – शर्मिंदा होना
- अंगूर खट्टे होना – मनचाही वस्तु प्राप्त न होने पर अपनी कमी उजागर न करते हुए कोई और बहाना करना
- अंगूठी का नगीना – सजीला और सुंदर
- अल्लाह मियां की गाय – सरल प्रकृति वाला
- अंतरियो में बल पड़ना – संकट में पड़ना
- अंधा बनाना – मूर्ख बनाकर धोखा देना
- अंग लगाना – आलिंगन करना
- अंकुश न मानना – न डरना
- अन्न का टन्न करना – बनी चीज को बिगाड़ देना
- अन्न जल बदा होना – कहीं का जाना और रहना अनिवार्य हो जाना
- अधर काटना – बेवसी का भाव प्रकट करना
- अपनी हांकना – आत्म प्रशंसा करना
- अढ़ाई दिन की बादशाहत – थोड़े दिन की शान शौकत
- अठखेलियां सूझना – हंसी दिल्लगी करना
- अंग न समाना – अत्यंत प्रसन्न होना
- अंगूठे पर मारना – परवाह न करना
- अंग टूटना – थकावट से शरीर में दर्द होना
- अंधाधुंध लूटाना – बहुत अपव्यय करना
- अपनी खाल में मस्त रहना – अपनी दशा से संतुष्ट होना
- अन्न न लगना – खा पीकर भी मोटा न होना
- अधर में लटकना या झूलना – दुविधा में पड़ा रह जाना
- अंधेर नगरी – जहां धांधली हो
- आग-पानी या आग और फूस का बैर होना – स्वाभाविक शत्रुता होना
- आठ-आठ आंसू रोना – बहुत अधिक रोना
- आंखें बिछाना – आदरपूर्वक स्वागत करना
- आड़े हाथों लेना – शर्मिंदा करना
- आसमान पर थूकना – अच्छे व्यक्ति को कलंकित करना
- ईंट का जवाब पत्थर से देना – किसी के आक्रमण का अधिक कठोर जवाब देना
- ईंट तक बिकवा देना – सब नष्ट करना
- ईंट से ईंट बजाना – कड़ी टक्कर लेना
- एक मछली सारा तालाब गंदा कर देती है – एक की बुराई के साथी भी बदनाम होते हैं।
- एक हाथ से ताली नहीं बजती – लड़ाई का कारण दोनों पक्ष होते हैं।
- एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा – बुरे से और अधिक बुरा होना
- कागज की नाव नहीं चलती – बेईमानी के किसी कार्य में सफलता नहीं मिलती
- काला अक्षर भैंस बराबर – बिल्कुल निरक्षर होना
- कंगाली में आटा गीला – संकट पर संकट आना
- कोयले की दलाली में हाथ काले – बुरे काम का परिणाम भी बुरा होता है
- का वर्षा जब कृषि सुखानी – अवसर बीत जाने पर साधन की प्रप्ति बेकार है।
- काबुल में क्या गधे नहीं होते – मूर्ख सब जगह मिलते हैं।
- कहने पर कुम्हार गधे पर नहीं चढ़ता – कहने से जिद्दी व्यक्ति काम नहीं करता।
- कोउ नृप होउ हमें का हानि – अपने काम से मतलब रखना
- कौवा चला हंस की चाल भूल गया अपनी भी चाल – दूसरों के अनधिकार अनुकरण से अपने रीति रिवाज भूल जाना।
- कभी घी घना तो कभी मुट्ठी चना – परिस्थितियां सदा एक सी नहीं रहती।
- करले सो काम भजले सो राम – एक निष्ठ होकर कर्म और भक्ति करना।
- काज परै कछ और काज सरै कछु और – दुनिया बड़ी स्वार्थी है काम निकाल कर मुंह फेर लेते हैं।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया – अधिक परिश्रम से कम लाभ होना।
- खग जाने खग हीं की – मूर्ख व्यक्ति मूर्ख की भाषा समझता है।