मौर्य वंश की स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य द्वारा की गई थी। चाणक्य/विष्णुगुप्त की सहायता से मगध राजा घनानंद को हराने के बाद चंद्रगुप्त मौर्य को चाणक्य ने राजा घोषित किया। चंद्रगुप्त के प्रधानमंत्री कोटिल्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र जिसका संबंध राजनीति से है। 305 ईसा पूर्व में सेल्युकस निकेटर को हराया था। सेल्युकस निकेटर ने अपनी पुत्री कार्नेलिया की शादी चंद्रगुप्त मौर्य के साथ कर दी और युद्ध में उपहार के तौर पर काबुल, कंधार, हैरात और मकरान चंद्रगुप्त को दिए। यह हिंदुस्तान का पहला अंतर्जातीय विवाह था। चंद्रगुप्त ने जैन धर्म स्वीकार किया और जैनी गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की शिक्षा ली और अपना अंतिम समय कर्नाटक के श्रवणबेलगोला नामक स्थान पर बिताया।
चंद्रगुप्त मौर्य का उत्तराधिकारी बिंदुसार हुआ, जो 298 ईसा पूर्व में मगध की राज गद्दी पर बैठा। बिंदुसार को अमित्रघात के नाम से जाना जाता है। उसके बाद बिंदुसार का पुत्र –
चक्रवर्ती सम्राट अशोक ने भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यांमार के अधिकांश भागों पर कब्जा कर लिया।
संक्षिप्त जानकारी
- शासन अवधि : 269 BC – 232 BC तक
- राज्याभिषेक : 270 BC
- पिता : बिंदुसार
- जन्म स्थान : 304 BC पाटलिपुत्र पटना
- समाधि (मरण स्थान) : पाटलिपुत्र
- पत्नी : देवी, कारुवाकी, पद्मावती, तिष्यरक्षिता
- संतान : महेंद्र, संघमित्रा, तीवण, कुणाल, चारुमति
अशोक ने अपने जीवन का एक युद्ध भी नहीं हारा, इसलिए उनको चक्रवर्ती सम्राट अशोक कहा जाता है। अशोक के समय में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला और कंधार आदि 23 विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी। बौद्ध पंथ का सिद्धांत अशोक ने शुरू किया।
सम्राट अशोक बिंदुसार की रानी धर्मा का पुत्र था। अशोक ने अपने अभिषेक के 8वें वर्ष में (261 BC) कलिंग पर आक्रमण कर दिया। इस युद्ध ने अशोक के हृदय में बड़ा परिवर्तन कर दिया और यह करुणा की तरफ मुड़ गए, और बौद्ध धर्म अपना लिया। निगोथ नामक भिक्षु द्वारा बौद्ध धर्म की दीक्षा दी गई और उसके बाद मोगाली पुत्र निस्स के प्रभाव से वह पूर्णता बौद्ध हो गए।
दिव्यावदान के अनुसार, सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने का श्रेय उपगुप्त नामक बौद्ध भिक्षु को जाता है। अशोक का पुत्र महेंद्र ने श्रीलंका के राजा तिस्स को बौद्ध धर्म में दीक्षित किया तथा तिस्स ने बौद्ध धर्म अपना लिया। अशोक ने स्वयं देवानामप्रिया की उपाधि धारण की। अशोक के शासनकाल में भी पाटलिपुत्र में तृतीय बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ, जिसकी अध्यक्षता मुगाली पुत्र निस्स ने की थी। यही अभिधम्मपिटक की रचना हुई। अशोक ने मनुष्य को आदर्श जीवन जीने के लिए शिलालेखों पर लेख लिखवायें। पूर्वी क्षेत्रों में ब्रह्म लिपि में,पश्चिमी क्षेत्रों में संस्कृत और खरोष्ठी लिपि में, तथा यूनानी भाषा तथा और अरामाई भाषा में भी लिखे गए, ताकि लोगों को समझने में आसानी हो।
- अशोक ने 36 वर्षों तक शासन किया, जिसके बाद 232 ईसा पूर्व में उनकी मृत्यु हो गई।
- अशोक के गुरु चाणक्य/कोटिल्य/विष्गुगुप्त थे।
- कलिंग युद्ध अशोक और अनंत पद्मनाथन के बीच 262 ईसा पूर्व में हुआ था।
- अंतिम मौर्य सम्राट वृहद्रथ था, जिसे उसके सेनापति सम्राट पुष्यमित्र शुंग ने मारकर शुंग राज्य की स्थापना की।
- इस प्रकार मौर्य वंश का अंत हुआ।