भारत की संसद

संसद केंद्र सरकार का विधायी अंग है। संविधान के अनुसार, भारत की संसद के तीन अंग है – राष्ट्रपति, लोकसभा और राज्यसभा।
राष्ट्रपति के पास संसद के दोनों सदनों में से किसी भी सदन को बुलाने या स्थगित करने अथवा लोकसभा को भंग करने की शक्ति प्राप्त है। राज्यसभा को उच्च सदन तथा लोकसभा को निम्न सदन कहते हैं।

  • भारत के (14वें) वर्तमान राष्ट्रपति :  श्री रामनाथ कोविंद
  • उपराष्ट्रपति :  श्री वेंकैया नायडू
  • लोकसभा/निम्न सदन के अध्यक्ष :  श्री ओम बिडला
  • राज्यसभा के सदस्यों की संख्या :  245
  • लोकसभा में सदस्यों की संख्या :  545

लोकसभा में अधिकतम संख्या 550 हो सकती है, जो सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। उच्च सदन या राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें अधिकतम संख्या 250 तक हो सकती है। राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष के लिए होता है। मगर प्रत्येक 2 वर्ष बाद एक तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त हो जाते हैं।
राष्ट्रपति के संदर्भ में, दोनों सदनों द्वारा पास किया गया कोई विधेयक तभी कानून बन सकता है, जब राष्ट्रपति उस पर अपनी मोहर लगा देता है। भारत के राष्ट्रपति भारत गणराज्य के कार्यपालक अध्यक्ष होते हैं। संघ के सभी कार्यपालक कार्य उनके नाम से किए जाते हैं। अनुच्छेद-53 के अनुसार, संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित है। सभी तरह के आपातकाल लगाना, हटाना, युद्ध की घोषणा करना उसी के हाथ में होता है। वह तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति होता है। वह भारत का प्रथम नागरिक भी है। राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्तियां होती हैं, परंतु वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री में निहित होती है।

भारत के राष्ट्रपति नई दिल्ली के राष्ट्रपति भवन में रहते हैं, जिसे रायसीना हिल के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रपति दो या दो से अधिक बार भी राष्ट्रपति पद पर रह सकते हैं इसकी कोई सीमा नहीं है। दो बार राष्ट्रपति बनने वाले व्यक्ति राजेंद्र प्रसाद है।

भारत की पहली महिला राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटिल थी। राष्ट्रपति का चुनाव अनुच्छेद-55 के अनुसार, आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा तथा साथ ही विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं। 
राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष होनी चाहिए। अनुच्छेद-61 राष्ट्रपति के महाभियोग से संबंधित है, जिसमें राष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया है। यह संविधान का उल्लंघन करने पर होता है। पद से हटाने से पहले राष्ट्रपति को 14 दिन पूर्व नोटिस दिया जाता है।

संविधान के अनुच्छेद-72 में राष्ट्रपति को न्यायिक शक्तियां मिली है, जिसमें दंड का उन्मूलन, क्षमा, आहरण तथा उनमें परिवर्तन करता है।

राष्ट्रपति को वीटो की शक्ति प्राप्त है, जिसमें विधायिका को किसी कार्यवाही की विधि बनाने से रोकने की शक्ति वीटो कहलाती है। राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है। इसकी स्वीकृति के बिना कोई भी बिल पास नहीं हो सकता या सदन में ही नहीं लाया जा सकता है।

  1. रूस की संसद का नाम ड्यूमा या संघीय परिषद है।
  2. अनुच्छेद-79 के अनुसार, भारतीय संसद का निर्माण होता है।
  3. प्रश्नकाल के 1 घंटे बाद शून्यकाल चलता है। लोकसभा में 12 बजे शून्य काल निर्धारित है। मगर राज्यसभा में पहला एक घंटा शून्यकाल के लिए निर्धारित होता है।
  4. वर्तमान में 17वीं लोकसभा चल रही है।
  5. संसदीय सदस्य बनने के लिए लोकसभा में 25 वर्ष तथा राज्यसभा में 30 वर्ष उम्र होनी चाहिए।
  6. जापान की संसद का नाम डायट, द्विसदनीय विधान पालिका है।
  7. अमेरिका संसद का नाम अमेरिकी कांग्रेस है।
  8. ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, दक्षिण अफ्रीका की संसद का नाम पार्लियामेंट है।
  9. इजरायल की संसद को The Knesset कहते हैं।

विधानसभा :  विधानसभा या वैधानिक सभा जिसे भारत के विभिन्न राज्यों में निचला सदन भी कहा जाता है। दिल्ली एवं पांडिचेरी 2 केंद्रशासित प्रदेशों को मिलाकर।

7 राज्यों में द्विसदनीय सरकार है। विधानसभा के सदस्य प्रत्यक्ष चुनाव द्वारा चुने जाते हैं। प्रत्येक विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष के लिए होता है, जिसे आपातकाल के समय बढ़ाया या भंग किया जा सकता है सिर्फ एक बार में 6 महीने के लिए। मुख्यमंत्री के अनुरोध पर इसे 5 वर्ष से पहले भी भंग किया जा सकता है।
विधानसभा सदस्य बनने हेतु उसे भारत का नागरिक एवं 25 वर्ष की आयु पूरी कर लेनी चाहिए। सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सिर्फ विधानसभा में पारित किया जा सकता है। मनी बिल को केवल विधानसभा में लाया जाता है, इससे पास होकर विधानपरिषद में जाता है और इसे यहां अधिकतम 14 दिनों तक रखा जाता है, उसके बाद पारित मान लिया जाता है। विधानपरिषद विधानमंडल का अंग है। आंध्र प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में द्विसदनीय व्यवस्था है। विधानसभा का सत्र आहूत करने की शक्ति राज्यपाल में निहित है। किसी भी सत्र की अंतिम बैठक और आगामी सत्र की प्रथम बैठक के बीच 6 महीने से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।

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