रक्षा बंधन का त्यौहार 2024

हिंदी कलैण्डर के अनुसार, रक्षा बंधन का पर्व हर साल सावन/श्रावण मास की पूर्णिमा/पूर्णमासी की तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाइयों की कलाई में राखी बांधती है और भाई अपने बहनों की रक्षा का बचन देते हैं। रक्षा बंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक माना जाता है। जिस भाई की बहन नहीं होती वह अपनी बुआ यानि पापा की बहन से भी राखी बंधवा सकता है। कहीं-कहीं तो भाई के साथ भाभी के भी राखी बांधी जाती है। 

इस दिन खाने में जबे, खीर तथा मिठाई का भोज किया जाता है। बहने जब तक अपने भाई के राखी नहीं बांध देती तब तक वह किसी प्रकार का भोजन या पेय पदार्थ ग्रहण नहीं करती है। कुछ भाई भी राखी बंधवाने के बाद ही खाना खाते हैं।

इस दिन यानि रक्षाबंधन पर कहीं-कहीं पर तो मेलें का आयोजन भी किया जाता है। कुछ मुस्लिम लोग भी इस त्यौहार को बड़े उल्लास के साथ मनाते हैं। यह त्यौहार न केवल हिन्दू धर्म में मनाया जाता है बल्कि अन्य धर्मों के लोग भी इस त्यौहार को मनाते हैं। यह भाई का अपनी बहन के प्रति प्रेम तथा उसकी रक्षा का प्रतीक माना जाता है।
सरकार भी इस त्यौहार में जनता के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध कराती है जैसे इस दिन सभी महिलाओं का किराया (बसों में) माफ कर दिया जाता है ताकि वह समय पर पहुंचकर अपने भाई को राखी बांध सकें।

अगर हम इतिहास की तरफ जाते हैं तो राजपूत जब लड़ाई पर जाते थे तब महिलाएँ उनको माथे पर कुमकुम तिलक लगाने के साथ-साथ हाथ में रेशमी धागा भी बाँधती थी। इस विश्वास के साथ कि यह धागा उन्हे विजयश्री के साथ वापस ले आयेगा यह परम्परा आज भी है। 

राखी के साथ एक और प्रसिद्ध कहानी जुड़ी हुई है। कहते हैं कि मेवाड़ की रानी कर्मावती को बहादुरशाह द्वारा मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी लड़ऩे में असमर्थ थी। अत: उसने मुगल बादशाह हुमायूँ को राखी भेजकर रक्षा की याचना की। हुमायूँ ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुँचकर बहादुरशाह के विरूद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती व उसके राज्य की रक्षा की 

एक अन्य प्रसंगानुसार सिकन्दर की पत्नी ने अपने पति के हिन्दू शत्रु पुरूवास को राखी बाँधकर अपना मुँहबोला भाई बनाया और युद्ध के समय सिकन्दर को न मारने का वचन लिया। पुरूवास ने युद्ध के दौरान हाथ में बँधी राखी और अपनी बहन को दिये हुए वचन का सम्मान करते हुए सिकन्दर को जीवन-दान दिया।
इस बार रक्षा बंधन का त्योहार पंचांग के अनुसार, तिथि 19 अगस्त, 2024 को सुबह 03 बजकर 04 मिनट पर शुरू होगी और उसी दिन रात 11 बजकर 55 मिनट पर इसका समापन होगा

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