पथरी की बीमारी | पथरी को बनने से कैसे रोकें | पथरी को निकालने के उपाय

थरी का रोग वर्तमान समय में सबसे ज्यादा होने वाला रोग है। प्रत्येक तीसरा मनुष्य इस बीमारी का शिकार है। यह बीमारी लगभग 20 साल के बाद होनी शुरू हो जाती है। इसके कारण मनुष्य को पेट (पीठ) में बहुत दर्द होता है। 

पेशाब में कैल्शियम ऑक्सलेट एवं अन्य पदार्थों के धीरे-धीरे जमने के कारण पथरी बनती है। वास्तव में पथरी बनने के बहुत कारण होते हैं। यह कैल्शियम के साथ-साथ ज्यादा मात्रा में प्रोटीन लेने के कारण भी बन जाती है। इसके विभिन्न आकार होते हैं। जब तक यह छोटी 3-4 MM (मिली मीटर) तक होती है, तब तक तो यह कम दर्द करती है। मगर 5 MM होने के बाद ही यह ज्यादा दर्द करने लगती है और जल्दी से इसके दर्द से आराम भी नहीं मिलता। 1-8 MM तक यह किडनी से आसानी से निकल जाती है। क्योंकि हमारी यूरिन नली का साइज लगभग 8 MM का होता है।

वहीं महिलाओं में 8 MM से भी ज्यादा साइज की पथरी आसानी से बाहर आ जाती है। क्योंकि स्त्री की यूरिन नली का साइज पुरुष के यूरिन नली के साइज से बड़ा होता है। इसलिए पुरुषों के मुकाबले स्त्रियों में पथरी कम बनती है। अगर किसी भी पुरुष के गुर्दे में 14 MM की पथरी है तो उसे किसी भी प्रकार का अल्कोहल (बीयर या शराब) का प्रयोग नहीं करना चाहिए। क्योंकि अल्कोहल से पेशाब की मात्रा ज्यादा होने के कारण पथरी गुर्दे से निकलकर पेशाब की नली में फसने का डर होता है। जिसका एकमात्र इलाज सिर्फ ऑपरेशन है। वरना गुर्दे के खराब होने की संभावना हो जाती है।

पथरी को निकालने के लिए कुछ आसान नुक्से


  1. 1 दिन (24 घंटे) में कम से कम 5 लीटर पानी का सेवन करना चाहिए।
  2. पानी शुद्ध होना चाहिए क्योंकि देखने में जमीन का पानी साफ होता है। मगर वास्तव में वह नदी-नालियों से भी अशुद्ध होता है। इसलिए RO का पानी प्रयोग करना चाहिए। वरना घर का नल या समरसेबल 300 फीट की गहराई का होना चाहिए तभी पानी शुद्ध होगा।
  3. अगर पथरी का साइज 15 MM से अधिक हो तो किसी भी प्रकार का अल्कोहल का प्रयोग नहीं करना चाहिए।
  4. देसी दवा का प्रयोग करने से पहले ध्यान रखना कि उससे गुर्दे पर ज्यादा प्रभाव न पड़े।
  5. चाय, सोयाबीन, भिंडी, कॉफी तथा मांस का प्रयोग कम करना चाहिए। क्योंकि ज्यादा प्रोटीन होने से भी पथरी बनने के आसार ज्यादा होते हैं।
  6. फलों को छीलकर ही खाना चाहिए क्योंकि छिलके में प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है।
  7. अगर आप प्रतिदिन सुबह उठकर व्यायाम करते हैं तो आपको पथरी बनने की संभावना बहुत कम हो जाती है।

हमारे शरीर में पथरी दो अंगो में पाई जाती है।

  • गुर्दे की पथरी
  • पित्त की थैली की पथरी : पित्त की थैली की पथरी दवा से ठीक नहीं होती। इसका एकमात्र इलाज ऑपरेशन ही कारगर होता है।

पथरी से संबंधित कुछ जांचे


  1. मूत्रमार्ग की सोनोग्राफी/अल्ट्रासाउंड और पेट के एक्स-रे की मदद से पथरी का पता किया जाता है।
  2. आई. वी. पी. (Intra Venous Pyelography) की जाँच: साधारणतः यह जाँच निदान के लिए एवं ऑपरेशन अथवा दूरबीन द्वारा उपचार के पहले की जाती है।
  3. इस जाँच द्वारा पथरी की लंबाई- चौड़ाई, आकर और स्थान की सही जानकारी तो मिलती ही है और साथ ही किडनी की कार्यक्षमता कितनी है और किडनी कितनी फूली हुई है, यह जानकारी भी मिल जाती है।
  4. पेशाब और खून की जाँच के द्वारा पेशाब के संकमण एवं उसकी तीव्रता और किडनी की कार्यक्षमता के संबंध में जानकारी मिलती है।

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