साधारण भाषा में समझौता हालातों से हारने के बाद होता है। जब व्यक्ति के हाथ से सब चला जाता है तो वह जिंदगी के साथ समझौता कर लेता है। समझौता अगर आप अपनी जिंदगी को शुरुआत करने से पहले करते हैं, यानी 18 साल से पहले तो आपकी जिंदगी में लगभग सभी खुशियां होंगी। परिवार, समाज एवं आपके दोस्त सब आपसे प्रसन्न होंगे। कहीं न कहीं आप अपने जीवन की गाथा को अच्छी तरह से जी सकते हैं। आपके पास वह हर खुशी होगी जो आप चाहते हो। प्रत्येक कार्य समय के अनुसार होगा, सही होगा और होगा भी आपके अनुसार।
आपके कामयाब होने का अनुपात बहुत बढ़ जाएगा। समाज आपके बारे में अच्छी बातें करेगा। आपको यह देखकर बहुत प्रसन्नता होगी। जैसे मैं चाहता था वैसा ही हुआ। समाज में दो तरह के व्यक्ति होते हैं –
- साधारण व्यक्ति,
- महत्वाकांक्षी व्यक्ति
साधारण व्यक्ति जिंदगी से समझौता करते हैं एवं अपने जीवन को आनंदपूर्वक व्यतीत करते हैं। जिसके बारे में ऊपर बताया जा चुका है। अगर हम कामयाबी का अनुपात देखें तो यह अधिकतर कामयाब होते हैं। इनके पास अच्छी नौकरी, अच्छा व्यापार एवं आय के अन्य साधनों के साथ जीवन प्रसन्नता पूर्वक गुजर जाता है।
मगर महत्वकांक्षी या इच्छावादी कहीं-कहीं इन्हें पागल भी बोला जाता है। ये वे व्यक्ति होते हैं जिनके अंदर कुछ अलग करने का कीड़ा होता है। यह उन रास्तों पर चलते हैं जिन रास्तों से लोग बचना चाहते हैं। इसका अंजाम यह होता है कि या तो वह सफल हो जाते हैं या अविष्कार करते हैं। यह जब तक शांत नहीं बैठते तब तक यह मर नहीं जाते। उदाहरण के लिए मान लो अगर इनको नौकरी मिल भी जाती है तो जो कीड़ा इनके अंदर है। वह शांत नहीं होता, क्योंकि यह समाज से अलग करना चाहते हैं। यह स्वयं को हमेशा उकसाते रहते हैं। यह उस रास्ते पर नहीं चलते जिन पर सब चलते हैं।
कामयाबी का अनुपात इनका बहुत कम होता है लेकिन जब यह कामयाब होते हैं तो इतिहास लिखा जाता है। वही साधारण लोग इनके बारे में कहानियां पढ़कर अपने बच्चों को सुनाते हैं। इन्हें किसी चीज के खोने का कोई गम नहीं और न किसी वस्तु के पाने की खुशी होती है। क्योंकि इनके लिए इन वस्तुओं का कोई मूल्य नहीं होता।
महत्वाकांक्षी व्यक्ति उस स्तर तक चला जाता है जहां साधन लोग सोच भी नहीं सकते। चाहें वह निम्न स्तर (बर्बादी का स्तर) हो या उच्च स्तर (कामयाबी का स्तर)। इनके लिए मूल्य, सिद्धांत, एटीट्यूड इनकी सोच इनका लक्ष्य सब कुछ होता है। यह जिसके बारे में ठान लेते हैं, उसे करके ही रहते हैं। उदाहरण के तौर पर हम कुछ नाम ले सकते हैं। जैसे – अब्राहिम लिंकन, कल्पना चावला, डॉक्टर अब्दुल कलाम आजाद एवं नरेंद्र मोदी आदि ऐसी शख्सियत है, जिन्होंने अपना सबकुछ खोलने के बाद सब वह प्राप्त कर लिया जो उन्होंने सोचा भी नहीं था।
किसी ने बड़ी प्यारी कहावत कही है कि –
शेर मर जाएगा। लेकिन
घास नहीं खाएगा।।
न जाने लोग चापलूसी करके आगे बढ़ने की सोच रखते हैं। कभी रात को सोने से पहले एक बार अपने दिल पर हाथ रख कर देखो जो हम कर रहे हैं, वह सही है क्या। झूठी शानोशौकत के लिए हम क्या से क्या बन जाते हैं।
भारत के भौगोलिक संदर्भ में देखा जाए तो पूर्वी भारत के लोग ज्यादातर नरम स्वभाव के तथा पश्चिमी भारत के लोग गर्म स्वभाव के होते हैं।वर्ग के तौर पर भी राजपूत लोग कम समझौता करते हैं। इनके लिए इनके सिद्धांत ज्यादा मूल्य रखते हैं।इस ब्लॉग के लिखने का मतलब किसी भी प्रकार का दुख नहीं पहुंचाना है। यह किसी जाति, भेदभाव, रंगभेद या लिंग भेद के आधार पर नहीं लिखा गया है।
Compromise यानी एक अच्छी सोच न कि किसी प्रकार का किसी को दुख पहुंचाना। अगर आप समझौता नहीं करते और आप की दिशा एवं लक्ष्य दोनों सही हैं तो एक दिन इतिहास जरूर रचा जाएगा।