ब्रेन ड्रेन या प्रतिभा पलायन शब्द का अर्थ
जब प्रतिभाशाली एवं शिक्षित व्यक्ति बेहतर सुख-सुविधाओं को पाने के लिए अपना देश छोड़कर दूसरे देश में नौकरी या व्यापार करते हैं, तो उसे ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) या प्रतिभा पलायन कहा जाता है। ब्रेन ड्रेन सबसे ज्यादा विकासशील देशों में देखने को मिलता है। भारत इसका एक उदाहरण है। यह किसी देश के लिए नकारात्मक प्रभाव है। इसका कारण यह है कि उस देश में रोजगार की कमी है।
प्रतिभा पलायन शब्द की उत्पत्ति यूरोप से हुई थी। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप के बहुत से वैज्ञानिक एवं इंजीनियरों ने उत्तरी अमेरिका की तरफ रुख किया। जिसका एकमात्र कारण सुख सुविधा एवं सुरक्षा भी था। उदाहरण के लिए वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन। वर्तमान समय में भारत से सबसे ज्यादा पलायन किया जा रहा है। उत्तरी अमेरिका में भारत के 38 प्रतिशत डॉक्टर, 12 प्रतिशत वैज्ञानिक तथा 30 प्रतिशत इंजीनियर अमेरिका में रह रहे हैं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा में लगभग 35 प्रतिशत वैज्ञानिक भारतीय हैं। विश्व प्रसिद्ध व्यक्ति सुंदर पिचाई, नेल्सन मंडेला, विनोद खोसला, अजय भट्ट, शांतनु नारायण तथा सबीर भाटिया आदि प्रतिभाशाली व्यक्ति अमेरिका में रह रहे हैं।
[ क्या आप जानते है कि Hotmail को बनाने वाला एक भारतीय है? ]
प्रतिभा पलायन के कारण
जिस प्रकार विकासशील एवं विकसित दोनों प्रकार के देशों से प्रतिभा पलायन हो रहा है, उसके निम्नलिखित कारण है।
- किसी देश की अस्थिर राजनीतिक परिस्थितियां
- अच्छे रोजगार की कमी
- बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का अभाव
- उच्च शिक्षा संस्थानों की कमी
- उच्च स्तर के अनुसंधान एवं लैब का अभाव
- कम सैलरी पैकेज
- व्यापार से संबंधित समस्याएं
- प्रमोशन की समस्या
- असुरक्षित महसूस करना
ब्रेन ड्रेन को रोकने के उपाय
किसी भी देश के लिए ब्रेन ड्रेन एक नकारात्मक पहलू होता है। किसी भी देश का ब्रेन ड्रेन होना उस देश की शक्ति को कमजोर कर देता है। इस प्रकार ब्रेन ड्रेन को रोकने के निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं।
- विभिन्न महंगे करो (Taxes) से राहत जो ब्रेन ड्रेन को रोकने का एक आसान तरीका है।
- अपने देश में औद्योगीकरण का विकास करना।
- देश में उच्च शिक्षण संस्थानों का निर्माण करना।
- अनुसंधान एवं उच्च कोटि की लेबोरेटरी (Lab) की व्यवस्था करना।
- प्राइवेट नौकरियों में स्थिरता लाना तथा मिनिमम सैलरी को स्थिर करना।
- शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाना तथा शिक्षा को अंतरराष्ट्रीय स्तर से जोड़ना।
- डॉक्टर, इंजीनियर और वैज्ञानिकों के लिए कुछ संस्थानों की व्यवस्था करना ताकि वे अपने अनुसंधान को पूर्ण रूप दे सके।
- भारतीय बाजार को अंतरराष्ट्रीय बाजार से जोड़ना।
- राजनीतिक अशांति को स्थिर करना।
- देश में असुरक्षा (Unsafe) के माहौल (Environment) को खत्म करना।
हाल ही में, मोदी सरकार के आने के बाद से प्रतिभा पलायन (Brain Drain) रुक सा गया है और अब ब्रेन गेन (Brain Gain) हो रहा है यानी जो भारतीय विदेश में अपनी सेवाएं दे रहे थे, वह धीरे-धीरे अपने वतन की ओर वापस आने लगे हैं। सरकार ने वैज्ञानिकों और युवाओं के लिए स्कॉलरशिप तथा उच्च शिक्षण संस्थाओं जैसी व्यवस्था की है। तथा जो वैज्ञानिक और व्यापारी भारत से बाहर है, वह भी अब भारत आकर व्यापार करना चाहते हैं। जिसका कारण NRI (Non Resident Indian) लोगों का भारत की तरफ लगाव तथा कर व्यवस्था (Tax System) का लचीला होना है। तथा भारत वर्तमान में एक अंतरराष्ट्रीय बाजार के रूप में उभर कर सामने आया है। तथा विश्व का सबसे बड़ा बाजार है।
ब्रेन ड्रेन के दुष्परिणाम
- संसार में असमानता पैदा होती है, क्योंकि उच्च अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को अधिक लाभ प्राप्त होता है एवं पिछड़ी अर्थव्यवस्था वाले देश और अधिक पिछड़ जाते हैं।
- ब्रेन ड्रेन (Brain Drain) के कारण उच्च अर्थव्यवस्था वाले देशों में नवाचार या अनुसंधान अधिक होते हैं, जबकि पिछड़ी अर्थव्यवस्था नवाचारों (Innovations) से वंचित रह जाती है। जिसका लाभ विकसित देशों को प्राप्त होता है।
- विकसित देश और अधिक विकसित हो जाता है, जबकि गरीब देश गरीब रह जाता है।
- ब्रेन ड्रेन के कारण रोजगार में कमी तथा राजस्व कमजोर पड़ जाता है।