पोंगल त्योहार दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में हिंदू परिवारों का एक त्यौहार है। 2024 में यह त्यौहार 15-18 जनवरी तक मनाया जाएगा। इसे उत्तर भारत में मकर सक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार फसल से संबंधित है। पारंपरिक रूप से यह एक संपन्नता का प्रतीक है, जिसमें समृद्धि लाने के लिए धूप, वर्षा, पानी तथा घर में पालतू जानवरों की पूजा की जाती है। विश्व के अन्य देशों में जहां पर तमिल लोग रहते हैं, वहां यह त्यौहार धूमधाम से मनाया जाता है। उदाहरण के लिए सिंगापुर, कनाडा, अमेरिका, श्रीलंका, मलेशिया तथा मॉरीशस।
यह जनवरी में मनाया जाने वाला त्यौहार है। हिंदू धर्म कैलेंडर के अनुसार पौष माह में आता है। इसका सीधा संबंध सूर्य की उपासना से है, जिसमें सूर्य, मकर रेखा की ओर प्रस्थान करता है। उत्तर भारत के पंजाब राज्य में इसे लोहड़ी के नाम से जाना जाता है।
इस त्यौहार का नाम पोंगल इसलिए रखा गया, क्योंकि इस दिन सूर्य भगवान को जो प्रसाद चढ़ाया जाता है, उसे पगल कहते हैं। इस प्रकार पगल शब्द से पोंगल शब्द की उत्पत्ति हुई। और दक्षिण भारत के लोग इसे पोंगल कहने लगे।
यह त्यौहार 4 दिनों तक चलता है और चारों दिन यह अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जैसे…
- पहले दिन इसे भोगी पोंगल कहते हैं, जिसमें देवराज इंद्र की आराधना की जाती है।
- दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहते हैं, इसमें भगवान सूर्य की उपासना की जाती है।
- तीसरे दिन को मट्टू पोंगल कहा जाता है, जिसमें तमिल लोग मट्टू भगवान शंकर की पूजा करते हैं।
- तथा अंतिम दिन के त्यौहार को कानुम पोंगल के नाम से जाना जाता है, इसे तिरुवल्लूर के नाम से भी पुकारते हैं।
इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैं तथा उनके सिंगो से तेल लगाते है एवं उन्हें सजाते हैं। जिसके बाद उनकी पूजा की जाती है। बहन भी अपने भाइयों की लंबी उम्र के लिए पूजा करती हैं एवं भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
पोंगल त्योहार पर मिष्ठान के रूप में चावल, गुड़ और दूध से खीर बनाई जाती है। इसके अलावा कोकोनट राइस पोंगल के त्यौहार पर बनाया जाने वाला एक पसंदीदा भोजन है।