कृष्ण क्रांति का संबंध किससे है?

पेट्रोलियम या खनिज तेल की दिशा में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए कृष्ण क्रांति का सरकार का इरादा है। इसके लिए इथेनॉल का उत्पादन बढ़ाकर पेट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण 10 प्रतिशत तक बढ़ाने तथा बायोडीजल का उत्पादन करने की दिशा में सरकार की योजना है। इस परिप्रेक्ष्य में पेट्रोलियम मंत्रालय ने वर्ष 2004 को बायो ट्रेड के रूप में मनाया था। कोयला भी कृष्ण क्रांति के अंतर्गत ही आता है।

जिस प्रकार खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता पाने के लिए हरित क्रांति को लाया गया, दूध को बढ़ावा देने के लिए एवं पशुओं की नस्ल को सुधारने के लिए श्वेत क्रांति को लाया गया। उसी प्रकार पेट्रोलियम उत्पादों के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कृष्ण क्रांति अर्थात काली क्रांति को लाया गया।

Black Revolution को हिंदी में काली क्रांति के नाम से जाना जाता है। जिसका उद्देश्य है पेट्रोलियम से संबंधित सभी उत्पादों में आत्मनिर्भर बनना है। पेट्रोलियम का कच्चा तेल काले रंग का होता है, इसलिए इस क्रांति को कृष्ण क्रांति कहा गया।

पेट्रोलियम के उत्पाद

पेट्रोलियम को जब तेल रिफाइनरी के माध्यम से संशोधित किया जाता है तो प्राप्त होने वाली सामग्री को पेट्रोलियम उत्पाद कहते हैं। जैसे पेट्रोल, डीजल, लिक्विड पेट्रोलियम गैस (LPG), पैराफिन मोम, डामर, चिकनाई वाले तेल, पेट्रोकेमिकल्स, जेट इंधन, गैसोलीन, मिट्टी का तेल एवं एस्फाल्ट इत्यादि।
पेट्रोलियम या कच्चा तेल एक अत्यधिक उपयोगी पदार्थ है, जिसका उपयोग दैनिक जीवन में सबसे अधिक होता है। वर्तमान समय में सबसे मूल्यवान वस्तु के रूप में पेट्रोलियम अपनी जगह बनाए हुए हैं। जिसका निर्माण कोयले की तरह ही वनस्पतियों का पृथ्वी के नीचे दबने तथा कालांतर में उनके ऊपर उच्च दबाव तथा ताप के कारण इसका निर्माण हुआ। प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पेट्रोलियम को क्रूड ऑयल (Crude Oil) के नाम से भी जानते हैं, जो काले रंग का एक गाढ़ा द्रव होता है। प्रभाजी आसवन विधि से LPG, पेट्रोल, डीजल, प्राकृतिक गैस, केरोसिन, वैसलीन, तारकोल एवं लुब्रिकेंट तेल प्राप्त किया जाता है। [ जाने – क्या है सफेद क्रांति ]

पेट्रोलियम को जब प्रभाजी आसवन विधि द्वारा संशोधित किया जाता है, तो उससे प्राप्त उत्पाद निम्नलिखित हैं। जैसे

  • गैसोलीन :   40 प्रतिशत
  • डीजल एवं अन्य ईंधन :   26 प्रतिशत
  • जेट इंजन :   9 प्रतिशत
  • एस्फाल्ट :  3 प्रतिशत
  • भारी ईंधन ऑयल :   4 प्रतिशत
  • लुब्रिकेंट :  1 प्रतिशत
  • अन्य उत्पाद :   11 प्रतिशत