ग्रामीण विद्युतीकरण की परियोजनाओं के संदर्भ में जुलाई 1969 में एक ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की स्थापना की गई थी। इस निगम की स्थापना के समय अर्थात 1969 में 13 प्रतिशत गांवों में बिजली थी। देश में ग्रामीण विद्युतीकरण के लिए विभिन्न योजनाएं सरकार द्वारा चलाई गई तथा इस दिशा में लक्ष्य की ओर बढ़ने की बजाय पीछे लौटने जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। शत प्रतिशत ग्रामीण विद्युतीकरण का दावा करने वाले राज्यों की संख्या 1991 में 11 थी, वहीं 2005 के अंत में 5 ही रह गई।
पहले के मानकों के तहत किसी गांव की राजस्व सीमा में किसी भी कार्य में विद्युत का प्रयोग होने पर उस गांव को विद्युतीकृत मान लिया जाता था। देश के लगभग 6 लाख गांव में से 1.5 लाख गांव 2006 के अनुसार विद्युतीकृत नहीं थे अर्थात 1.5 लाख गांवों में बिजली नहीं थी। इस मामले में बिहार, झारखंड और उड़ीसा की स्थिति सबसे दयनीय थी, जहां ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 10 प्रतिशत बिजली उपलब्ध थी। तथा दिल्ली, गोवा, हरियाणा, पंजाब व केरल पांच ऐसे राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश हैं, जहां ग्रामीण विद्युतीकरण शत-प्रतिशत था। ऐसा सरकार मानती थी।
मगर नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद, इस सरकार ने बिजली के क्षेत्र में काफी उन्नति की है। 2020 के अनुसार, India Residential Energy Consumption Survey (IRES) के अनुसार, भारत में 97 प्रतिशत भाग पर बिजली आ चुकी है, अर्थात 97 प्रतिशत क्षेत्र विद्युतीकृत हो चुका है। जिसमें 96 प्रतिशत गांव तथा 99 प्रतिशत शहर विद्युतीकरण के अंतर्गत आते हैं। जिसमें आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, केरल, असम, महाराष्ट्र, तेलंगना, दिल्ली, उत्तराखंड तथा उड़ीसा राज्यों में शत-प्रतिशत विद्युतीकरण हो चुका है।
इसके अलावा गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा उत्तर प्रदेश में लगभग 95-99 प्रतिशत तक बिजली पहुंच चुकी है।
एक सर्वे के अनुसार
पंजाब, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा में 1 दिन में लगभग 24 घंटे बिजली की पूर्ति की जाती है।
जम्मू कश्मीर, लद्दाख तथा उत्तर-पूर्वी राज्यों को छोड़कर पूरे भारतवर्ष में एक दिन में कम से कम 18 घंटे बिजली की पूर्ति की जाती है।
इस प्रकार अगर देखा जाए तो पूरे भारतवर्ष में एक दिन में औसतन 21 घंटे बिजली की सप्लाई होती है, जिसमें ग्रामीण क्षेत्र के एक दिन में 18 घंटे बिजली आती है।
IRES के अनुसार
93 प्रतिशत घरों में मीटर लगाए जा चुके हैं एवं 91 प्रतिशत घरों में बिल लगातार आते हैं। जिसमें सिर्फ 17 प्रतिशत Electricity Bill डिजिटल माध्यम से चुकाते हैं, जबकि भारत के 70 प्रतिशत लोगों के पास स्मार्टफोन है।
IRES की रिपोर्ट के अनुसार
2.4 प्रतिशत भाग पर अभी विद्युतीकरण नहीं हुआ है। जिसका कारण कोरोनावायरस है। यह 2.4 प्रतिशत भाग जो अभी विद्युतीकृत नहीं हुआ है, जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। इस प्रकार संपूर्ण भारत में विद्युतीकरण हो जाएगा।
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