उत्तरी अमेरिका में सदाबहार वनस्पति से लेकर मरुस्थलीय वनस्पति तक पाई जाती है। यहां वृहद हिमाच्छादित क्षेत्रों में काई तथा लाइकेन जैसी हिमाच्छादित वनस्पतियां भी मिलती हैं। वनस्पतियों के विकास में जलवायु, मिट्टी तथा स्थलाकृतियों का व्यापक प्रभाव पड़ा है। यहां वनस्पतियों के वितरण तथा वर्षा के वितरण में एकरूपता पाई जाती है। यहां विविध प्रकार की वनस्पतियों का विकास विशिष्ट जलवायु प्रदेशों में हुआ है।
उत्तरी अमेरिका में निम्नलिखित वनस्पति प्रदेश पाए जाते हैं, जैसे :
टुंड्रा तुल्य वनस्पति
यह प्रदेश कनाडा के उत्तरी भाग में टुंड्रा जलवायु प्रदेश में स्थित है। यहां मास (काई) या लाइकेन के रूप में वनस्पति पाई जाती है। यहां ग्रीष्मकाल में बर्फ के पिघलने से वनस्पतियां उगती हैं, जो घास के रूप में होती है। इन्हीं घास क्षेत्र को आर्कटिक प्रेयरी भी कहते हैं।
टैगा या कोणधारी वनस्पति
टुंड्रा प्रदेश के दक्षिण, विशाल वनों का क्षेत्र पाया जाता है, जिसे कोणधारी या टैगा वन कहते हैं। यह वृक्ष लंबे, सदाबहार तथा मोटी छालों वाले होते हैं।
प्रशांत तटीय कोणधारी वनस्पति
यहां टैगा प्रदेश से अधिक सघन वन पाए जाते हैं, क्योंकि यह क्षेत्र टैगा प्रदेश से अधिक गर्म तथा आर्द्र है। यहां का मुख्य वृक्ष डगलसफर, लाल सिडार तथा हमलोक हैं।
पर्वतीय वनस्पति
यहां कुछ पर्वतीय भागों में सघन कोणधारी वन पाए जाते हैं। मेक्सिको तथा मध्य अमेरिका के ऊंचे कॉर्डिलेरा पर जहां वर्षा पर्याप्त होती है, वहां पाइन तथा सिडार के वन मिलते हैं। यहां कुछ स्थानों पर सवाना घास भी पाई जाती है।
उत्तरी-पूर्व की कटी लकड़ियों की वनस्पति
यह क्षेत्र पर्याप्त वर्षा का क्षेत्र है, जहां कुछ कड़ी लकड़ी वाले वृक्ष जैसे वर्च, मैपल, ओक, सफेद चीड़ आदि।
दक्षिण-पूर्व की कटी लकड़ियों की वनस्पति
यहां अप्लेसियन पर्वत की ऊंचाई पर कोणधारी वन पाए जाते हैं। ये कठोर लकड़ी के हैं।
दक्षिण-पूर्व चीड़ के वन
संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिण-पूर्वी भाग में चीड़ के वन पाए जाते हैं।
उष्णार्द वन तथा घास के मैदान
उत्तरी अमेरिका के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में खासकर मेक्सिको के तटीय भागों तथा पश्चिमी द्वीप समूह में उष्णार्द वन पाए जाते हैं।
भूमध्यसागरीय सदाबहार वन
इस प्रकार की वनस्पति उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तटीय भाग में 30 डिग्री से 40 डिग्री अक्षांश के मध्य है। इस प्रकार की वनस्पतियां मुख्यतः मध्य कैलिफोर्निया राज्य में है। भूमध्य सागरीय जलवायु प्रदेश में विशेष प्रकार की वनस्पतियों का विकास हुआ है। कुछ सदाबहार वृक्ष होते हैं।
पत्तियां मोटी, चिकनी, कांटेदार होती है। वृक्षों की जड़े लंबी होती है, जिससे ग्रीष्म काल में भी अधिक गहराई से नमी प्राप्त कर लेती है और सदा हरा भरा रहता है, जैसे अंजीर, जैतून, नारंगी, अनार, नींबू व नारंगी के वृक्ष आदि।
प्रेयरी घास के प्रदेश
यहां वर्षा की कमी के कारण वृक्षों की जगह घासो का विकास हुआ है। यहां गेहूं की खेती प्रमुखता से की जाती है।
मरुस्थलीय वन/झाड़ियां
यह कम वर्षा का क्षेत्र है, जहां पर खजूर, ताड़, नागफनी तथा अन्य कटीली झाड़ियां मिलती है। यहां कैक्टस तथा क्रियोसेट मुख्य वनस्पतियां है।