हमें गर्मी क्यों लगती है?

विज्ञान के अनुसार, हमारे शरीर का तापमान 98.4 डिग्री फारेनहाइट होता है, जिसे 37.6 डिग्री सेल्सियस कहते हैं। तथा हमारे वातावरण अर्थात जहां हम रहते हैं, उसका तापमान बदलते ऋतु के अनुसार होता है। अर्थात यह तापमान निश्चित नहीं होता, क्योंकि भारत के संदर्भ में यहां 3 प्रकार की ऋतुएं पाई जाती हैं, गर्मी, सर्दी एवं वर्षा ऋतु इत्यादि।

दोस्तों, हमें जो गर्मी लगती है, वह ग्रीष्म ऋतु में अधिक लगती है, बरसात की ऋतु में कम एवं सबसे कम गर्मी सर्दी के मौसम में लगती हैं।

जब हमारे शरीर का तापमान वातावरण के तापमान से कम हो जाता है, तो हमें गर्मी लगती है। उस तरह का तापमान जो हमारे शरीर के तापमान से अधिक हो जाए, यह भारत के संदर्भ में ग्रीष्म ऋतु में होता है। इसलिए हम ग्रीष्म ऋतु में अधिक गर्मी महसूस करते हैं।

जो व्यक्ति शारीरिक कार्य अधिक करता है, उसके शरीर का तापमान वातावरण के तापमान से अधिक हो जाता है। इसीलिए हम कभी-कभी मजदूर को यह कह देते हैं कि तुम्हें गर्मी नहीं लगती क्या? क्योंकि उसका कारण यही होता है कि उसके शरीर का तापमान बाहर के तापमान से अधिक हो जाता है, इसलिए उसे गर्मी का एहसास नहीं होता।

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