1 साल में 2 बार मनाया जाने वाला हिंदू पर्व

महाशिवरात्रि का त्यौहार हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे फागुन महीने के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है। इसके अलावा सावन के महीने में भी इसे धूमधाम से मनाया जाता है। इस प्रकार शिवरात्रि का पर्व वर्ष में दो बार आता है। सावन के महीने में प्रत्येक सोमवार को जल चढ़ाया है।

  • पुराणों के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इसी दिन सृष्टि का निर्माण हुआ था और शंकर भगवान ने माता पार्वती के साथ विवाह रचाया। इसलिए शिव शंकर को प्रसन्न करने के लिए सभी देवताओं ने रात भर नृत्य एवं संगीत का कार्यक्रम किया, जिसके उपलक्ष में महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर ने सभी देवताओं को आशीर्वाद दिया। तभी से इस रात्रि को महाशिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

इस दिन भगवान शंकर की पूजा एवं आराधना की जाती है। उत्तर भारत में इस त्यौहार को विशेष दर्जा दिया गया है। उत्तर भारत के लोग हरिद्वार एवं बृजघाट इसके अलावा जिस क्षेत्र से गंगा नदी निकलती है। वहां से जल भरकर अपने गांव के आसपास मंदिर में श्रद्धा पूर्वक शिवलिंग पर चढ़ाते हैं एवं गंगा जल से भगवान शिव को स्नान कराते हैं।

शिव को चढ़ाया गया प्रसाद

गंगाजल को शिवलिंग पर चढ़ाना या अर्पण करना सबसे पवित्र माना जाता है। इस दिन गंगाजल से शिवलिंग को स्नान कराया जाता है, उसके अलावा बेल के पत्ते, विभिन्न प्रकार के फूल, उबले हुए आलू, गाजर का हलवा एवं अन्य मिष्ठान को प्रसाद के रूप में शिवलिंग पर चढ़ाया जाता है। इसके साथ-साथ भांग को शिवलिंग पर चढ़ाना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव भांग का सेवन करते थे, इसलिए श्रद्धालु भगवान शिव को अप्रत्यक्ष रूप से भांग का सेवन कराते हैं।

भारतीय संस्कृति के अंतर्गत प्रत्येक त्यौहार को ग्रामीण क्षेत्र में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। शिवरात्रि के दिन बच्चे अपने माता-पिता के साथ मेला देखने जाते हैं एवं विभिन्न प्रकार के खिलौने, मिठाइयां एवं अन्य सामान खरीदते हैं। इस दिन अन्न ग्रहण नहीं किया जाता है, बल्कि फल, मिठाई एवं आलू से बने भोजन का सेवन किया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन शिवरात्रि का व्रत रखा जाता है, जिसमें अन्न ग्रहण नहीं किया जाता।