अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान है। इसका मुख्यालय वाशिंगटन डीसी, अमेरिका में है। इसकी स्थापना 1945 में की गई थी, मगर इस संस्था की स्थापना जुलाई 1944 में संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यू हेंपशायर में संपन्न ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में की गई थी।
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद विश्वव्यापी संकट से जूझ रहे देशों के पुनर्निर्माण में सहायता के लिए विश्व बैंक के साथ-साथ IMF की स्थापना भी की गई। वर्तमान समय में इस संगठन में 190 सदस्य देश हैं। भारत 1991 से IMF में उपस्थित है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सदस्य देशों के साथ मिलकर वैश्विक मौद्रिक सहयोग को बढ़ावा देने, वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा देने, अंतरराष्ट्रीय व्यापार को बढ़ावा देने, रोजगार एवं सतत आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने जैसे कार्यों को संपादित करता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के उद्देश्य
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का प्राथमिक उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करना है।
- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा ऋण प्रदान करने के लिए अपना संसाधन सदस्य देशों द्वारा प्रदान किए जाते हैं, जो मुख्य रूप से अपने कोटे के भुगतान के रूप में प्राप्त होता है।
- प्रत्येक सदस्य देश का अपना एक कोटा निर्धारित होता है, जिसे विश्व अर्थव्यवस्था में इसकी सापेक्ष स्थिति के आधार पर तय किया जाता है।
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के कार्य
- सदस्य देशों की आर्थिक और वित्तीय नीतियों की निगरानी करना
- वित्तीय सहायता
- तकनीकी सहायता एवं प्रशिक्षण
- भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
- संसाधन जुटाना
- प्रशासन एवं संगठन तैयार करना
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का बुनियादी मिशन अंतरराष्ट्रीय तंत्र में स्थिरता बनाए रखना है। यह तीन तरीके से काम करता है, वैश्विक अर्थव्यवस्था और सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था पर निगरानी रखकर, भुगतान संतुलन में कठिनाई वाले देशों को ऋण देकर तथा सदस्यों को व्यवहारिक सहायता देकर। भारत में IMF का काम भारत सरकार, रिजर्व बैंक तथा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के बीच सूचना के प्रवाह में मदद करना तथा रिजर्व बैंक और राष्ट्रीय तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों को प्रशिक्षण देने का है। IMF का मुख्यालय भारत में नई दिल्ली में स्थित है।
- मुख्यालय – वाशिंगटन डीसी (अमेरिका)
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष बनाम विश्व बैंक
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक साथ-साथ काम करते हैं, हालांकि यह दोनों अलग-अलग संस्थाएं हैं। दोनों का मुख्य कार्य भी वित्त से संबंधित है। इसलिए दोनों को एक साथ बनाया गया। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है अर्थात यह कम समय के लिए लोन देता है। मगर वहीं विश्व बैंक का ध्यान दीर्घकालिक, आर्थिक समाधान और गरीबी में कमी दोनों पर केंद्रित है। यहां विश्व बैंक लंबे समय तक ऋण प्रदान करता है।
वर्तमान में IMF में SDR का कोटा
SDR को पेपर गोल्ड के रूप में भी जाना जाता है। इसका पूरा नाम Special Drawing Rights है। IMF में भारतीय कोटा 2.67 प्रतिशत है। वहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका का कोटा सबसे अधिक 17.46 प्रतिशत, जिसके बाद जापान 6.48 प्रतिशत व चीन 6.41 प्रतिशत है। SDR को IMF की मुद्रा के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत निम्नलिखित मुद्राओं को शामिल किया गया है, जिनमें अमेरिकी डॉलर, यूरो, जापानी येन तथा पाउंड स्टर्लिंग आती हैं। 1 अक्टूबर 2016 को चीन ने पांचवीं मुद्रा के रूप में युआन को शामिल किया है।
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