फ्लाई ऐश (Fly Ash) अर्थात उड़ने वाली राख, प्रायः कोयला संचालित विद्युत संयंत्र से उत्पन्न प्रदूषक है, जिसे दहन कक्ष से निकास गैसों द्वारा ले जाया जाता है। फ्लाई ऐश में पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन डाइऑक्साइड, एलुमिनियम ऑक्साइड, फेरिक ऑक्साइड और कैल्शियम ऑक्साइड शामिल होते हैं। इसे इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसिपिटेटर या बैग फिल्टर द्वारा निकास गैसों से एकत्रित किया जाता है।
फ्लाई ऐश का उपयोग
फ्लाई ऐश का उपयोग कंक्रीट, सीमेंट उत्पादों और रोड बेस, मेटल रिकवरी और मिनरल फिलर आदि में किया जाता है। फ्लाई ऐश के कण जहरीले वायु प्रदूषक हैं। वह हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और स्ट्रोक को बढ़ा सकते हैं। यह जल के साथ मिलने पर भूजल में भारी धातुओं के मिश्रण का कारण बनते हैं। साथ ही मृदा को भी प्रदूषित करते हैं और पेड़ों की जड़ों की विकास प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित संयुक्त समिति द्वारा प्रयुक्त वर्ष 2020-21 के दौरान फ्लाई ऐश उत्पादन और उपयोग की सारांश रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इस उप-उत्पाद के सकल अल्प उपयोग के कारण 1670 मिलियन टन फ्लाई ऐश का संचय हुआ है।
फ्लाई ऐश वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। फैक्ट्रियों से निकली राख इसका उदाहरण है। इसे सही तरीके से नियंत्रित करने के लिए वर्तमान में इसका प्रयोग ईंट बनाने में किया जा रहा है। इस तरह की ईंट का वजन मिट्टी से बनी ईंट के वजन से कम होता है एवं यह साधारण ईंट से मजबूत भी होती है। जिसे पुल बनाने, मकान बनाने एवं अन्य प्रकार के कंस्ट्रक्शन में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
महत्वपूर्ण तथ्य
- राख से बनने वाली ईंटों में 55 फीसदी फ्लाई ऐश, 35 फीसदी रेत और 10 फीसदी सीमेंट की जरूरत होती है।
- फ्लाई–ऐश ईट से घर बनाने में लागत लगभग 30 प्रतिशत कम हो जाती है।