न्यायालय कितने प्रकार के होते हैं?

भारत में उच्च न्यायालय संस्था का गठन 1862 में हुआ था। जब कोलकाता, मुंबई तथा मद्रास उच्च न्यायालय की स्थापना हुई। 1866 में 4वें उच्च न्यायालय की स्थापना इलाहाबाद (प्रयागराज) में हुई। 1950 के बाद प्रांत का उच्च न्यायालय संबंधित राज्य का उच्च न्यायालय बन गया। प्रत्येक राज्य का एक उच्च न्यायालय होगा, मगर 7वें संशोधन अधिनियम 1956 में संसद को यह अधिकार दिया गया कि वह दो या दो से अधिक राज्यों में (संघ प्रदेशों को मिलाकर) एक साझा उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकती है।
इस समय देश में 25 उच्च न्यायालय हैं। आंध्र प्रदेश के अमरावती देश का 25वां उच्च न्यायालय बना। दिल्ली में उच्च न्यायालय 1966 में स्थापित संघ में एकमात्र राज्य है, जहां पर उच्च न्यायालय हैं।

संसद हाईकोर्ट के न्यायिक क्षेत्र में विस्तार, किसी संघ राज्य क्षेत्र में कर सकती है। तथा उसे बाहर भी कर सकती हैं। संविधान के भाग-VI अनुच्छेद-214-231 तक हाईकोर्ट का वर्णन है।  प्रत्येक राज्य में एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य न्यायाधीश राष्ट्रपति की इच्छा पर होंगे।

उच्च न्यायालय के न्यायधीश से सम्बंधित प्रमुख तथ्य

नियुक्ति

  • उच्च न्यायालय का न्यायाधीश – राष्ट्रपति द्वारा।
  • मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति भारत के मुख्य न्यायाधीश और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श के बाद राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।

योग्यताएं

    • भारत का नागरिक हो।
    • भारत के न्यायिक कार्य में 10 वर्ष का अनुभव अथवा उच्च न्यायालय में 10 वर्ष तक (लगातार) वकील रहा हो।
    • न्यूनतम आयु की सीमा नहीं है।

शपथ

  • राज्यपाल के समक्ष

कार्यकाल

  • कार्यकाल निर्धारित नहीं किया गया है।
  • 62 वर्ष की आयु तक पद पर रह सकते हैं।
  • त्याग पत्र राष्ट्रपति को।
  • संसद की सिफारिश से राष्ट्रपति उसे पद से हटा सकता है।
  • High Court के न्यायालय के न्यायाधीश का वेतन एवं भत्ते समय समय पर संसद द्वारा निर्धारित किया जाता है।
  • सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश और अन्य न्यायाधीश उनके द्वारा आहरित अंतिम माह के वेतन का 50% प्रति माह पेंशन पाते हैं।

स्थानांतरण

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश से परामर्श करने के बाद राष्ट्रपति द्वारा।
  • राष्ट्रपति निम्न परिस्थितियों में योग्य व्यक्तियों को उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं, जिसकी अवधि 2 वर्ष से अधिक नहीं की होगी।
  • यदि अस्थायी रूप से उच्च न्यायालय का कामकाज बढ़ गया हो।
  • उच्च न्यायालय में बकाया कार्य अधिक है।
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राष्ट्रपति के प्रसादपर्यंत नहीं रहते, बल्कि उन्हें राष्ट्रपति द्वारा ही नियुक्त किया जाता है।
  • भारत की संचित निधि पर भारित होती है उनकी तनख्वाह।
  • जब किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होता है, तो वह हाईकोर्ट (अनुच्छेद-226), सुप्रीमकोर्ट (अनुच्छेद 32) में जा सकता है।
  • 15वें संविधान संशोधन 1963 द्वारा सेवानिवृत्ति की आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई।
  • अनुच्छेद 223 कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति।
  • अनुच्छेद 224 – अतिरिक्त एवं कार्यवाहक न्यायाधीशों की नियुक्ति।
  • अनुच्छेद 224 (A) उच्च न्यायालयों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति।
  • अनुच्छेद 225 – उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार
  • अनुच्छेद 231 दो या अधिक राज्यों के लिए एक साझें उच्च न्यायालय की स्थापना।
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