पृथ्वी की भूगर्भिक संरचना को तीन मुख्य परतों में विभाजित किया गया है तथा 5 संक्रमण परत को दर्शाया गया है।
तीन मुख्य परत :
- भूपटल (Crust),
- मेण्टल (Mantle),
- क्रोड (Core)
पांच संक्रमण परत :
- मोहो असम्बद्धता,
- गुटेनबर्ग असम्बद्धता,
- कोनार्ड असम्बद्धता,
- रेपती असम्बद्धता,
- लेहमेन असम्बद्धता
- भूपटल (Crust) : पृथ्वी की सतह से 33 किमी क्षेत्र को भूपटल कहते हैं। जिसका घनत्व 2.8 है। जिसे दो भागों में विभाजित किया जाता है – ऊपरी पटल व निचली पटेल
- विभाजित सीमा को कोनार्ड असम्बद्धता कहते हैं।
- मेण्टल (Mantle) : भूपटल के 33 किमी क्षेत्र से 2900 किमी क्षेत्र को मेण्टल कहते हैं। जिसका घनत्व 4.5 से 5.5 होता है। जिसे दो भागों में विभाजित किया जाता है। ऊपरी मेंटल तथा निचली मेंटल।
भूपटल से मेण्टल को विभाजित करने वाली परत को मोहो असम्बद्धता कहते हैं, जो 30 किमी से 35 किमी भाग में उपस्थित होती है। ऊपरी मेंटल और निचली मेंटल की विभाजित परत रेपती असम्बद्धता कहलाती है।
मेंटल में Mg, Fe व बेसाल्ट की अधिकता के कारण तापीय उर्जा तरंग, ज्वालामुखी क्रिया एवं भू-संचलन का स्रोत है।
- क्रोड (Core) : मेंटल के 2900 किमी से 6371 किमी केंद्रीय भाग तक का क्षेत्र कोर कहलाता है। जिसका औसत घनत्व 13 है। कोर को भी दो भागों में विभाजित किया जा सकता है। विभाजित सीमा लेहमेन असम्बद्धता कहलाती है। कोर और मेण्टल को विभाजित करने वाली परत गुटेनबर्ग असम्बद्धता कहलाती है।
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