हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने रिलायंस ग्रुप की कंपनी Jio Financial Services को कोर इंवेस्टमेंट कंपनी के लिए मंजूरी दे दी है।
कोर निवेश कंपनी का अर्थ
CIC एक प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी होती है जिसका मुख्य कार्य अंशों (Shares) और प्रतिभूतियों के अधिग्रहण से लाभ कमाना होता है। इस प्रकार की कंपनियाँ अपनी कुल संपत्ति का कम-से-कम 90 प्रतिशत हिस्सा समता अंशों, पूर्वाधिकार अंशों, बॉण्ड्स या ऋणपत्रों में निवेश के रूप में रखती हैं।
RBI द्वारा निर्धारित शर्तों में से एक यह है कि CIC अपनी शुद्ध संपत्ति का कम से कम 90 प्रतिशत इक्विटी शेयरों, प्रिफरेंस शेयरों, बॉन्ड, डिबेंचर, ग्रुप कंपनियों में ऋण या ऋण के रूप में रखे। नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी से कोर इंवेस्टमेंट कंपनी में बदलाव के लिए परिचालन ढांचे में कई महत्वपूर्ण बदलाव शामिल हैं। एक कोर निवेश कंपनी के रूप में, जियो फाइनेंशियल सर्विसेज मुख्य रूप से अपनी सहायक कंपनियों में निवेश और उनके मैनेजमेंट पर फोकस करेगी।
CIC की प्रमुख विशेषताएँ
इस प्रकार की कंपनियाँ अपनी कुल संपत्ति का कम-से-कम 90 प्रतिशत हिस्सा समता अंशों, पूर्वाधिकार अंशों, बॉण्ड्स या ऋणपत्रों में निवेश के रूप में रखती हैं।
इस प्रकार की कंपनियों में समता अंशों पर किया गया निवेश कुल संपत्ति के 60 प्रतिशत से कम नहीं होता है।
कोर निवेश कंपनियों (Core Investment Companies – CIC) पर लागू होने वाले विनियामक दिशा-निर्देशों और ढाँचे की समीक्षा करने के लिये भारतीय रिज़र्व बैंक ने एक कार्यदल का गठन किया है।