लवणीय मिट्टी (Saline Soil) ऐसी मिट्टी होती है जिसमें नमक की मात्रा अत्यधिक होती है, जो इसे सामान्य खेती के लिए अनुपयुक्त बना देती है। इसमें सोडियम, मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे लवण अधिक मात्रा में होते हैं, जो पौधों की जड़ों में पानी के अवशोषण को बाधित कर सकते हैं। लवणीय मिट्टी आमतौर पर शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में पाई जाती है।
लवणीय मिट्टी में खेती की विशेषताएं और चुनौतियाँ
- कम फसल उत्पादन: मिट्टी में अधिक लवण के कारण पौधों की वृद्धि कम होती है और उत्पादकता भी घट जाती है।
- जलनिकासी की समस्या: लवणीय मिट्टी में जल निकासी सही नहीं होती, जिससे लवण जड़ों के पास जमा हो जाते हैं।
- पीएच स्तर: लवणीय मिट्टी का पीएच स्तर 8.5 से अधिक हो सकता है, जो पौधों के लिए प्रतिकूल होता है।
लवणीय मिट्टी में खेती के उपाय
- जिप्सम का प्रयोग: जिप्सम एक प्रकार का खनिज है जो मिट्टी के लवणीय प्रभाव को कम करता है।
- धुलाई तकनीक: मिट्टी को बार-बार सिंचाई करके लवण को गहराई में धकेल दिया जाता है।
- लवण-सहिष्णु फसलें: ऐसी फसलें उगाई जाती हैं जो लवणीय मिट्टी में भी अच्छी तरह से बढ़ सकती हैं, जैसे जौ, चुकंदर, सरसों, चावल, खजूर, और कपास।
- कार्बनिक पदार्थों का उपयोग: गोबर की खाद, कम्पोस्ट, और जैविक खादों का प्रयोग मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में सहायक होता है।
- प्राकृतिक जलनिकासी प्रणाली: लवण को मिट्टी से बाहर निकालने के लिए सिंचाई जल की उचित निकासी प्रणाली का उपयोग किया जाता है।
लवणीय मिट्टी में उगाई जा सकने वाली फसलें
- चावल: विशेषकर दलदली और पानी वाले क्षेत्रों में लवण-सहिष्णु किस्में।
- जौ: जौ लवणीय मिट्टी में आसानी से उगाई जा सकती है।
- सरसों और चुकंदर: ये फसलें कुछ हद तक लवणीयता सहन कर सकती हैं।
- खजूर और कपास: ये वृक्ष भी लवणीय मिट्टी में उगाए जा सकते हैं।
इन उपायों और तकनीकों को अपनाकर लवणीय मिट्टी में भी खेती संभव की जा सकती है, जिससे किसान अपनी उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं।