हमारे भारतीय किसान प्राचीन काल से ही परंपरागत तरीके से खेती करते आ रहे हैं, कृषि व्यवसाय के साथ-साथ कुछ व्यवसाय ऐसे हैं, जो किसान को कृषि में मदद करते हैं, जैसे पशुपालन, मुर्गी पालन, मछली पालन, ट्रैक्टर मशीन का व्यवसाय, ट्रक फार्मिंग आदि बहुत से व्यवसाय ऐसे हैं, जो कृषि के साथ-साथ किए जाते हैं। मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जो किसानों की आय को दोगुना करने में काफी मददगार साबित हो रहा है। वर्तमान समय में मधुमक्खी पालन एक लघु व्यवसाय के अंतर्गत आता है।
देश में एकीकृत कृषि प्रणाली के हिस्से के रूप में मधुमक्खी पालन के महत्व को ध्यान में रखते हुए सरकार ने राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन के लिए 3 वर्ष 2020 -21 से 2022-23 के लिए 500 करोड़ के आवंटन को मंजूरी दी है। मिशन की घोषणा ANB योजना के एक भाग के रूप में की गई थी। ABHM का लक्ष्य मीठी क्रांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए देश में वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन के समग्र प्रचार और विकास के लिए प्रयास करना है, जिसे राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड के माध्यम से लागू किया जा रहा है। 17 दिसंबर 2021 तक एबीएचएम के तहत 88.87 करोड की सहायता के लिए कुल 45 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई।
मधुमक्खी पालन एक कृषि आधारित गतिविधि है, जो IFS के एक भाग के रूप में ग्रामीण क्षेत्र के किसानों या भूमिहीन मजदूरों द्वारा लागू की जा रही है। मधुमक्खी पालन फसलों के परागण में उपयोगी रहा है, जिससे फसलों की उपज बढ़ाने, शहद और अन्य उच्च मूल्य मधुमक्खी उत्पादों को उपलब्ध कराने के माध्यम से किसानों/मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि हुई है, जैसे मधुमक्खी का मोम, मधुमक्खी पराग, मधुमक्खी का जहर, इत्यादि। भारत की विविध कृषि जलवायु परिस्थितियां मधुमक्खी पालन या शहद उत्पादन और शहद के निर्यात के लिए काफी संभावनाएं और अवसर प्रदान करती है।
मीठी क्रांति के लिए आवश्यक दशाएं
मीठी क्रांति अर्थात मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने के लिए मौसम एवं आर्थिक दशाएं होनी आवश्यक है।
- मधुमक्खी पालन का व्यवसाय करने के लिए सबसे आवश्यक मौसमी दशाएं वसंत ऋतु का होता है। यह समय रवि फसल का होता है। इस दौरान सरसों और गेंहू की खेती की जाती है। सरसों के फूल से मधुमक्खी सबसे ज्यादा शहद का उत्पादन करती है। इस समय का शहद पूर्ण रूप से शुद्ध होता है, क्योंकि मधुमक्खी पालन करने वाली मधुमक्खियों को जीवित रखने के लिए चीनी का प्रयोग नहीं करते हैं।
- मधुमक्खी पालन से प्राप्त होने वाले शहद को बेचने के लिए बाजार का होना बहुत आवश्यक है।
- मधुमक्खी परिवार का उचित रखरखाव एवं प्रबंधन जैसे रोगों से मुक्त रखना, खाद्य प्रबंधन की व्यवस्था, शिक्षा संबंधित उपकरण इत्यादि आवश्यक है।
- मधुमक्खी पालन के लिए एक उचित तापमान की आवश्यकता होती है। जहां का तापमान 10 डिग्री सेंटीग्रेड से नीचे चला जाता है, वहां पर मधुपालन में थोड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इसीलिए मधुमक्खी पालन के बक्से को ढककर रखना चाहिए।
मधुमक्खी के भोजन संबंधी स्रोत
मधुमक्खी वैसे तो सभी प्रकार की वनस्पतियों से शहद इकट्ठा कर लेती हैं, लेकिन कुछ वनस्पति जो शहद इकट्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जैसे सरसों, मटर, अमरूद, यूकेलिप्टस, सूरजमुखी, बरसीम, तरबूज, नीम का फूल, जामुन, भिंडी, टमाटर और अरहर आदि फसलों के माध्यम से मधुमक्खियों को शहद उत्पादन करने में ज्यादा परेशानी नहीं होती।
मधुमक्खियों का परिवार
मधुमक्खी के छत्ते में बहुत मधुमक्खियां होती हैं, जिनमें एक रानी मक्खी, कई हजार कमेरी मक्खियां (Working Bee) (शहद बनाने वाली) और लगभग 100 से 200 नर मधुमक्खियां होती हैं।
रानी मक्खी विकसित मादा होती है और यह परिवार का निर्माण करती है अर्थात परिवार की जननी होती है। रानी मधुमक्खी का कार्य अंडे देना है। यह औसतन 700 से 1000 अंडे देती है। इसकी उम्र लगभग 2 से 3 वर्ष की होती है।
श्रमिक मक्खियां (Working bee) विकसित मादा नही होती है। यह निम्न कार्य करती हैं, जैसे अंडो एवं बच्चों का पालन पोषण करना, फल एवं पानी के स्रोत का पता लगाना, रस इकट्ठा करना, परिवार अर्थात छत्ते की देखभाल करना एवं शत्रुओं से अपने परिवार की रक्षा करना आदि कार्य श्रमिक मक्खियों के होते हैं।
नर एवं रानी मधुमक्खी दोनों अपने वंश को आगे बढ़ाते हैं। नर मधुमक्खी संभोग करने के तुरंत बाद मर जाता है, इसलिए इनकी उम्र लगभग 2 महीने की होती है।