परमाणु अप्रसार संधि का अर्थ
परमाणु अप्रसार संधि को NPT (Nuclear Non-Proliferation Treaty) के नाम से जाना जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के साथ-साथ परमाणु परीक्षण पर अंकुश लगाना है। इस संधि पर वर्ष 1968 में हस्ताक्षर किये गए तथा वर्ष 1970 यह प्रभाव में आई। वर्तमान में इसके 191 हस्ताक्षरकर्त्ता सदस्य हैं। इस संधि के अनुसार कोई भी देश न वर्तमान में और न ही भविष्य में परमाणु हथियारों का निर्माण करेगा। हालाँकि सदस्य देशों को परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग की अनुमति होगी।
NPT के लक्ष्य
- परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकना
- निरस्त्रीकरण को प्रोत्साहित करना तथा
- परमाणु तकनीक के शांतिपूर्ण उपयोग के अधिकार को सुनिश्चित करना।
भारत उन पाँच देशों में शामिल है, जिन्होंने या तो संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं अथवा बाद में इस संधि से बाहर हो गए हैं। भारत के अतिरिक्त इसमें पाकिस्तान, इजराइल, उत्तर कोरिया तथा दक्षिण सूडान शामिल हैं।
भारत का विचार है कि NPT संधि भेदभावपूर्ण है। अतः इसमें शामिल होना उचित नहीं है। भारत का तर्क है कि यह संधि सिर्फ पाँच शक्तियों (अमेरिका, रूस, चीन, ब्रिटेन और फ्राँस) को परमाणु क्षमता का एकाधिकार प्रदान करती है तथा अन्य देश जो परमाणु शक्ति संपन्न नहीं हैं, सिर्फ उन्हीं पर लागू होती है।
वर्तमान में काफी देश परमाणु शक्ति का प्रयोग कर रहे हैं, चाहे वह हथियार के रूप में हो या ऊर्जा के रूप में। रिपोर्ट के अनुसार जिन देशों ने परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर किए हैं। वें परमाणु हथियारों का उत्पादन नहीं कर सकते, मगर ऐसा नहीं है।
हाल ही में, रूस-यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर अगर परमाणु युद्ध हुआ तो उन देशों के पास भी परमाणु हथियारों का जाखीरा मिलेगा, जिन्होंने इस संधि हस्ताक्षर किए हुए हैं। कोई प्रत्यक्ष रूप से परमाणु हथियारों का निर्माण करता है तो कोई दूसरे देशों से मंगवाकर अपने देश को परमाणु संपन्न बना देता है। वर्तमान में पाकिस्तान के पास भारत से ज्यादा परमाणु अस्त्र है।
परमाणु बमों की संख्या
रिपोर्ट के अनुसार, चीन के पास 350 परमाणु बम हैं। उसके बाद फ्रांस और ब्रिटेन का नाम आता है। भारत से ज्यादा परमाणु बम पाकिस्तान के पास है। पाकिस्तान के पास कुल 165 एटम बम हैं, जबकि भारत के पास 156 परमाणु बम हैं।