अटलांटिक महासागर की जलधारायें | Atlantic Ocean currents

अटलांटिक महासागर समान्यतया एक संकीर्ण क्षेत्र है तथा उसकी अधिकतम चौड़ाई 5000 किमी है। तटीय रेखा समुद्र के सामान्तर फैली है, जिसकी आकृति S अक्षर के समान है। इस सागर का संबंध उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवीय सागरों से स्पष्ट है। दक्षिणी सीमा में कोई स्थलीय क्षेत्र नहीं है, जबकि उत्तरी सीमा पर ग्रीनलैंड, आइसलैंड आदि द्वीप स्थित है। इसके चारों ओर कई सीमांत सागर और महाद्वीपीय मग्नतट के भाग फैले हैं। सागर के मध्य में मध्यवर्ती कटक स्थित है, जिस पर कई द्वीप हैं- आइसलैंड, ओजोर्स, बारामुंडा आदि प्रमुख है। यह विश्व का सबसे ऊंचा जल युक्त सागर है, तापमान 3.73 डिग्री सेंटीग्रेड है, जबकि महासागरों का औसत तापमान 3.52 डिग्री सेंटीग्रेड है। इसकी लवणता सबसे अधिक है। इसकी जलीय संरचना पर भूमध्य सागर का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है। जब अटलांटिक महासागर का अपेक्षाकृत उष्ण जल भूमध्य सागर से मिलता है, तब वाष्पीकरण को प्रोत्साहन देता है, फलस्वरुप भूमध्य सागर की लवणता में वृद्धि होती है।

अतः उपरोक्त जलीय एवं स्थलाकृतिक विशेषताएं सम्मिलित रूप से महासागरीय जलधाराओं की उत्पत्ति एवं प्रवाह की दिशा को प्रवाहित करती है। उसकी उत्पत्ति और वितरण के कारकों को निम्न सारणी में देख सकते हैं –

प्रमुख कारक

  • खगोलीय कारक (Astronomical factor)
  • (I) पृथ्वी की घूर्णन गति (II) गुरुत्वाकर्षण (III) विक्षेप बल
  • वायुमंडलीय कारक (Atmospheric factor(I) वायु प्रवाह की दिशा एवं गति (II) वायुदाब (III) वर्षा की मात्रा एवं वाष्पीकरण की दर
  • समुद्री कारक (Maritime factor) (I) जल का तापक्रम (II) दब प्रवणता (III) लवणता (IV) हिमशिला खंडों का पिघलना
  • स्थलाकृतिक कारक (Topographical factor) (I) तट रेखा की आकृति (II) मध्य अटलांटिक कटक (III) द्वीप (IV) खाड़ियां

विभिन्न जलधाराओं के वितरण एवं दिशा को प्रभावित करने वाले कारकों को विभिन्न जल धाराओं के संदर्भ में स्पष्ट करते हैं।

जलधाराओं का वितरण

वितरण :  भौगोलिक वितरण की दृष्टि से जल धाराओं को दो भागों में बांटते हैं।

  • उत्तरी अटलांटिक की जलधारा
  • दक्षिणी अटलांटिक की जलधारा

दोनों के बीच विभाजन का कार्य प्रतिरोधी विषुवतीय गर्म जलधारा करती है। जिसकी उत्पत्ति का मूल कारण अंतराउष्ण अभिसरण क्रिया है। उत्तरी विषुवतीय गर्म जलधारा और दक्षिणी विषुवतीय गर्म जलधारा के बीच जब अभिसरण होता है, तो एक गर्त का निर्माण होता है, जो इन जलधाराओं के विपरीत दिशा में होता है। इसी गर्त की ढाल के अनुरूप अपवाहित होने वाले जल को प्रति विषुवतीय गर्म जलधारा कहते हैं। प्रति विषुवतीय धारा की औसत गति 18 नॉटिकल माइल प्रतिदिन है। यह निरंतर तथा बहुत ही स्थिर जलधारा है, चूकिं इस क्षेत्र (डोलड्रम) में चक्रवाती मौसमी दिशाओं का अभाव होता है। यह शांत पवन पेटी का क्षेत्र है। यह जलधारा ब्राजीलियन हार्न से प्रारंभ होकर पूर्व में गिनी के तटवर्ती भाग तक चलती है।

उत्तरी अटलांटिक की जलधाराएं

उत्तरी अटलांटिक में चार गर्म तथा तीन ठंडी जलधाराएं पायी जाती हैं। प्रशांत महासागर के समान उसकी जलधारायें भी एक दूसरे की पूरक है, तथा मध्य का जल शांत जल होता है, जिसे सारगैसो सागर कहते हैं।

गर्म जल धाराएं निम्न है।

  1. उत्तरी विषुवतीय गर्म जलधारा,
  2. गल्फ स्ट्रीम,
  3. उत्तरी अटलांटिक प्रवाह,
  4. नॉर्वे गर्म जलधारा

उत्तरी विषुवतीय गर्म जलधारा पश्चिमी अफ्रीका के निम्न भार के क्षेत्र से प्रारंभ होती है तथा इसका परिभाषित फैलाव 0 डिग्री से 12 डिग्री N अक्षांश के बीच देखने को मिलता हैं। जब यह जलधारा मध्य कटक के पास आती है, तो उच्चावच के प्रभाव से इस के मार्ग अवरुद्ध हो जाते हैं, तथा यह 25 डिग्री उत्तरी अक्षांश तक अपवाहित हो जाती है। इसके बाद मध्य कटक की ऊंचाई में कमी आती है, तब यह जलधारा मध्य कटक को पार करती है। और पुनः 0 डिग्री से 12 डिग्री N के बीच अपवाहित होते हुए दक्षिणी अमेरिका के उत्तरी तट पर अमेजन के मुहाने तक पहुंचती है। पुनः महाद्वीपीय अवरोध के कारण उत्तर की ओर मुड़ जाती है।

कैरीबियन सागर में यह कई शाखाओं में बंट जाती है, जो स्थानीय नामों से जानी जाती है। जैसे- जमैका धारा, टोबैगो धारा, फ्लोरिडा धारा, एंटलीज धारा इत्यादि। पुनः यें सभी धाराएं मेक्सिको की खाड़ी में जमा होती है, तथा एक ही दिशा में उत्तर की ओर उत्तरी अमेरिका के पूर्वी तट पर करीब 40 डिग्री N अक्षांश तक अपवाहित होने लगती है, यह गल्फस्ट्रीम की गर्म जलधारा कहलाती हैं। इसके पश्चात लैब्रोडोर ठंडी धारा मिलती है, जो उत्तर से आती है, इसके बाद यह उत्तर पूर्व की तरफ मुड़ जाती है। यह गर्म जलधारा है, जिसे उत्तरी अटलांटिक प्रवाह कहते हैं। गल्फ स्ट्रीम की सामान्य गति 10 से 15 नॉटिकल मील प्रति दिन है। जबकि फ्लोरिडा के तट पर यह 100 से 120 नॉटिकल मील प्रति दिन हो जाती है।

गल्फ स्ट्रीम के अनिश्चित व्यवहार के कारण फ्लोरिडा के तट पर इसकी सर्वाधिक गति होती है। UK के तट के निकट उत्तरी अटलांटिक गर्म जलधारा तीन भागों – उत्तरी, मध्यवर्ती एवं दक्षिण वर्ती में बट जाती है। उत्तरी धारा की दो उपशाखाएं होती हैं। एक बाल्टिक सागर में प्रवेश करती है, दूसरी नार्वे के तट पर अपवाहित होती है, जो श्वेत सागर में लुप्त हो जाती है। उसे ही नार्वे गर्म जलधारा कहते हैं। मध्यवर्ती भाग में अपवाहित होने वाली जलधारा अंततः इंग्लिश चैनल में पहुंचती है, तथा वहां से दक्षिण दिशा में अपवाहित होती है। आयरलैंड के दक्षिण से चलने वाली धारा विस्के की खाड़ी में अपवाहित होती है। यह रिनलधारा कहलाती है। यहां से यह कनारी ठंडी जलधारा का अंग बन जाती है। जो अनंत: उत्तरी विषुवतीय गर्म जलधारा में मिल जाती है। आइसलैंड के दक्षिण में इरमिंगर धारा प्रवाहित होती है।

ठंडी जलधाराएं निम्न है।

  1. लैब्राडोर ठंडी जलधारा
  2. ग्रीनलैंड धारा
  3. कनारी की ठंडी जलधारा

आर्कटिक महासागर से दो ठंडी जलधाराएं लैब्राडोर और ग्रीनलैंड जलधारा दक्षिण की ओर चलती है, जो एक दूसरे से मिल जाती है। न्यूफाउंडलैंड के पास यह जलधारा गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा से मिलती है। गल्फ स्ट्रीम से मिलने से इसका जल भी तुलनात्मक रूप से गर्म हो जाता है। तथा यह यूरोप के तट की तरफ अग्रसारित होने लगती है। पुनः विस्के की खाड़ी के बाद कनारी ठंडी जलधारा का प्रवाह दक्षिण की ओर होने लगता है।

व्यापारिक पवनों के कारण उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट के पास से जल पश्चिम की ओर चला जाता है, जिससे तली का ठण्डा जल उभरकर सतह पर कनारी धारा के रूप में प्रवाहित होता है।

दक्षिणी अटलांटिक की जलधारा

यहां दो प्रमुख गर्म जल धाराएं और तीन ठंडी जलधाराएं पाई जाती है।

गर्म जलधाराएं :

  1. दक्षिणी विषुवतीय गर्म जलधारा
  2. ब्राजील की गर्म जलधारा

ठंडी जलधाराएं :

  1. पश्चिमी वायु प्रवाह,
  2. बेंगुला धारा,
  3. फाकलैंड धारा

दक्षिणी विषुवतीय जलधारा संमार्गी पवनों का परिणाम है, यह जलधारा जब ब्राजीलियन हार्न के पास तटीय स्थिति के कारण बाधित होती है तो यह दक्षिणी दिशा में मुड़ जाती है और दक्षिण अमेरिका के तट के किनारे अपवाहित होते हुए करीब 40 डिग्री S अक्षांश तक जाती है। यह ब्राजीलियन गर्म जलधारा कहलाती है। इसके प्रभाव का सर्वाधिक क्षेत्र ब्राजील में है। 40 डिग्री S से 45 डिग्री S अक्षांश के बीच इस पर पछुआ वायु का तीव्र प्रभाव पड़ता है तथा यह दक्षिणी पूर्वी दिशा में मुड़कर पश्चिम वायु प्रवाह का अंग बन जाती है।

पश्चिमी वायु प्रवाह विश्वस्तरीय ठंडी जलधारा है, इसमें किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं होता है। इसके उत्तरी भाग का जल तुलनात्मक रूप से गर्म होता है, जिससे बेंगुला ठंडी जलधारा की उत्पत्ति होती है। इसकी उत्पत्ति का मुख्य कारण दक्षिण अटलांटिक के निम्नभार क्षेत्र से जल का प्रतिस्थापन है, इस प्रक्रिया से अंगोला एवं नामिबिया के तटवर्ती क्षेत्र में समुद्री जल की औसत ऊंचाई में गिरावट आ जाती है, जिसकी क्षतिपूर्ति के लिए बेंगुला की जलधारा का जल वहां पहुंचता है, जिससे उसमें तापीय वृद्धि होती है, और क्रमशः दक्षिणी विषुवतीय गर्म जलधारा का अंग बन जाती है। ठंडी जलधारा में फाकलैंड जलधारा का विशेष महत्व है।

दक्षिणी अमेरिका के दक्षिणी भाग में द्वीपों के प्रभाव से कुछ ठंडे जल का प्रभाव अर्जेंटीना के तट पर दक्षिण से उत्तर की ओर होने लगता है। फाकलैंड द्वीप के पास ठंडे और गर्म जलधारा का मिश्रण भी देखने को मिलता है। पुनः यह मिश्रित जल पछुवा वायु प्रवाह के अंग हो जाते हैं। उत्तरी अटलांटिक के समान यहां भी मध्यवर्ती जल शांत रहता है और सारगेसो सागर की तरह भौगोलिक परिस्थिति बनती है।

तटवर्ती जलवायु पर जलधाराओं का प्रभाव

अन्य महासागरों के समान अटलांटिक महासागर के तटवर्ती भागों की जलवायु पर इसकी जलधाराओं का व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसमें सर्वाधिक प्रभाव उत्तरी अटलांटिक प्रवाह तथा नार्वे की जलधारा का पड़ता है। ये दोनों जलधाराएं उत्तरी पश्चिमी यूरोप के तटवर्ती भाग को सदैव हिमांक से ऊपर रखते हैं, क्योंकि गर्म जलधारा तटीय प्रदेशों के ताप में तापमान में पर्याप्त वृद्धि करती है। जिसके कारण यहां के बंदरगाह गोटेननवर्ग, हैमरफेस्ट, मारमास्क वर्ष भर खुले रहते हैं। जबकि इन्हें अक्षांश ऊपर कनाडा और उत्तरी अमेरिका के बंदरगाह हिम के जमाव के कारण जाड़े में बंद रखते हैं। ऐसा लैब्राडोर ठंडी जलधारा के कारण होता है। जो वहां के तटीय जलवायु के तापमान को घटा देती है, अतः जलधाराएं अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित करती है।

लैब्राडोर एवं गल्फस्ट्रीम के मिलने वाले क्षेत्र धुंध और कोहरा का क्षेत्र होता है, साथ ही मत्स्य उत्पादन के लिए अनुकूल भौगोलिक वातावरण का निर्माण करता है। ग्रांड बैंक न्यूफाउंडलैंड के पास तथा जार्जेज बैंक प्रमुख क्षेत्र है जो मत्सयन के विकास के लिए आदर्श स्थिति रखते हैं। क्योंकि गर्म एवं ठंडी जलधाराओं के मिलने के क्षेत्र प्लैंकटन के विकास के लिए उपयुक्त होते हैं, जो मछलियों का भोजन होता है। अतः तटवर्ती क्षेत्रों के आर्थिक क्रियाकलापों, व्यवसाय एवं व्यापार पर जल धाराओं का व्यापक प्रभाव पड़ता है।

कनारी ठंडी जलधारा के कारण तटवर्ती प्रदेश में सालों भर उच्च दाब की स्थिति बनी रहती है। जिसके कारण पश्चिमी अफ्रीका के तट पर शुष्कता के कारण मरुस्थलों का फैलाव हो चुका है, जबकि गल्फ स्ट्रीम गर्म जलधारा के कारण तटवर्ती एवं आसपास का क्षेत्र गर्म रहता है, जिससे वर्षा की संभावना अधिक रहती है।

दक्षिणी गोलार्द्ध में ब्राजीलियन गर्म जलधारा के प्रभाव से ब्राजील के संपूर्ण पूर्वी तटवर्ती क्षेत्र में पूर्ण या आंशिक रूप से वर्षा होती है। अतः तटवर्ती प्रदेश में उष्णकटिबंधीय वर्षा वन जैसी वनस्पति पाई जाती है। फाकलैंड ठंडी या ब्राजीलियन गर्म जलधारा के मिलने से फाकलैंड द्वीप के पास कुहरे भरे वातावरण का निर्माण होता है। पुनः मिश्रित जल पूर्व की ओर अपवाहित होकर पश्चिमी वायु प्रवाह का अंग हो जाता है। इस पश्चिमी वायु प्रवाह से बेंगुला नाम की ठंडी जलधारा उत्पन्न होती है, जो अंगोला के तट पर समाप्त हो जाती है। यह नामीबिया की मरुस्थल एवं शुष्कता के लिए अंशत उत्तरदायी होता है। इसके बाद जल गर्म हो जाता है और विषुवतीय गर्म जलधारा का अंग बन जाता है।

अतः ऊपर के तथ्यों से स्पष्ट है कि ठंडी एवं गर्म जलधाराओं तथा मिश्रित जलधाराओं का प्रभाव विभिन्न प्रकार से तटवर्ती प्रदेश की जलवायु पर पड़ता है और वह स्थानीय जलवायु, आर्थिक क्रियाकलाप, व्यवसाय, रहन-सहन को प्रभावित करता है। उत्तर-पूर्वी यूरोप के वर्तमान आर्थिक विकास का प्रमुख कारण एवं आधार उत्तरी अटलांटिक प्रवाह का तटीय क्षेत्रों पर सकारात्मक आर्थिक प्रभाव ही माना जाता है। बेंगुला ठंडी धारा के प्रभाव से ही नामीबिया और कालाहारी मरुस्थल का विकास हुआ है। अतः जलधाराओं का सकारात्मक एवं नकारात्मक दोनों ही प्रभाव तटवर्ती क्षेत्रों पर पड़ते हैं।

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