चंद्र ग्रहण एवं सूर्य ग्रहण को संक्षिप्त में समझाएं।

चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse)

चंद्र और सूर्य के बीच पृथ्वी के आ जाने के बाद पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिसे चंद्र ग्रहण कहते हैं।

  • चंद्र ग्रहण की तिथि पूर्णमासी (Full moon) को होता है, जब सूर्य, पृथ्वी एवं चंद्रमा एक सीध में होते हैं।
  • प्रत्येक पूर्णमासी को चंद्र ग्रहण नहीं होता, क्योंकि चंद्रमा एवं पृथ्वी के कक्षा तल भिन्न भिन्न है, और चंद्रमा की कक्षा पृथ्वी की कक्षा को दो स्थानों पर काटती है। इस स्थान पर जब चंद्रमा आता है, तभी उस पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण होता है।
  • चंद्रमा का संपूर्ण भाग पृथ्वी की छाया में पड़ता है, तब पूर्ण चंद्रग्रहण और जब आंशिक भाग पर छाया पड़ती है, तब आंशिक चंद्रग्रहण पड़ता है।

सूर्य ग्रहण (Solar Eclipse)

पृथ्वी की परिक्रमा करते हुए जब अमावस्या के दिन चंद्रमा पृथ्वी एवं सूर्य के बीच आ जाता है, तब पृथ्वी पर चंद्रमा की छाया पड़ती है, जिससे सूर्य का संपूर्ण प्रकाश पृथ्वी तक नहीं पहुंच पाता, इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं।

  • इसमें सूर्य की आकृति पर चंद्रमा की छाया पड़ती है।
  • जब चंद्रमा सूर्य को पूर्णतया ढक देता है, तब पूर्ण सूर्य ग्रहण कहते हैं और जब आंशिक भाग ही ढकता है तो आंशिक सूर्यग्रहण कहते हैं।
  • सूर्य ग्रहण प्रत्येक अमावस्या को नहीं पड़ता, बल्कि उसी स्थिति में पड़ता है, जबकि चंद्रमा, पृथ्वी के कक्षा तल में आ जाता है, तथा पृथ्वी, सूर्य एवं चंद्रमा एक सीधी में होते हैं।
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