सुनामी का अर्थ
अन्त: सागरीय भूकंपों के कारण सागरीय जल में तीव्र वेग वाली ऊंची तरंगें या लहरें उत्पन्न होती हैं, जिसे सुनामी कहा जाता है। अतः सुनामी भूकंप से उत्पन्न सागरीय लहरें हैं, जिसकी ऊंचाई सामान्यतः 3 से 4 फिट होती है, परंतु तीव्र भूकंप की स्थिति में इसकी ऊंचाई सैकड़ों फीट हो जाती है।
सुनामी की उत्पत्ति के कारण
सुनामी की उत्पत्ति सागर के तली में अचानक परिवर्तन होने तथा अव्यवस्था होने के कारण सागरीय जल में विस्थापन होने से होता है। सागर तली में परिवर्तन होने से जल वृहत् मात्रा में उच्च नितल से निम्न नितल की ओर प्रवाहित होते हैं, फलस्वरुप सागरीय जल में ऊंची तरंगें उठने लगती हैं।
सागरीय तली में परिवर्तन के महत्वपूर्ण कारणों में
- तली में भ्रंशन
- प्लेटो की गतिशीलता
- अंतः ज्वालामुखी क्रिया से कॉल्डेरा का निर्माण
- अंतः सागरीय भूस्खलन आदि प्रमुख हैं।
सागरीय तली में परिवर्तन के फलस्वरुप यदि सागर तली में अवतलन होता है, तो एक वृहद गर्त का निर्माण होता है, जिससे चारों ओर से सागरीय जल गर्त की ओर तीव्रता से बढ़ता है, जिससे तीव्र वेग वाली भयंकर सुनामी की उत्पत्ति होती है, सागरीय तली में परिवर्तन के फलस्वरुप यदि सागर तली में ऊपर की ओर उभार होता है, अर्थात सागरीय तली में जल चारों ओर प्रवाहित होता है, जिससे तीव्र सागरीय लहरें अर्थात सुनामी उत्पन्न होती है।
सुनामी के साथ जल की गति सामान्यतः गहराई तक होती है। इस कारण तीव्र सुनामी लहरें प्रवाहित होती हैं तथा दूर जाने पर लहरों के वेग में कमी आती है, लेकिन जब लहरे छिछले जल वाले भाग, मग्न तटीय क्षेत्रों, संकरे सागरीय द्वार या संकरी खाड़ी में पहुंचती है, तो उनकी ऊंचाई अचानक अधिक हो जाती है, जिससे तटवर्ती प्रदेश में जान माल का नुकसान होता है। तटवर्ती क्षेत्रों में लहरों की ऊंचाई 30 से 40 मीटर तक हो जाती हैं।
विश्व के प्रमुख सुनामी
- जापान टून्च के पश्चिमी ढाल पर 1933 ईस्वी में तीव्र भूकंप के कारण तेवर सुनामी लहरें उत्पन्न हुई थी, जिसकी ऊंचाई लगभग 28 मीटर तक थी। पश्चिमी प्रशांत महासागर में विश्व में सर्वाधिक सुनामी आते हैं, यहां सुनामी का कारण अंतः सागरीय भूकंप की बारंबारता है।
- क्राकाटाओं में 1883 में ज्वालामुखी उद्गार के कारण 120 फीट (36.5 मीटर) ऊंची सुनामी लहरें उत्पन्न हुई थी। इस समय में 36000 व्यक्ति की मृत्यु हो गई थी।
- हिंद महासागर में इंडोनेशिया के तटवर्ती क्षेत्र से उत्पन्न सुनामी इतिहास का सर्वाधिक विनाशकारी सुनामी था। 26 दिसंबर 2004 को आए भूकंप का केंद्र सुमात्रा द्वीप के असेह नामक स्थान पर था। इससे इंडोनेशिया, भारत, श्रीलंका सहित अफ्रीकी देश भी प्रभावित हुए। लगभग 2.85 लाख व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इसका परमाणु रिएक्टर स्केल पर 8.9 था। इसका कारण भारतीय प्लेट एवं एशियाई प्लेट का टकराना था।
सुनामी चेतावनी प्रणाली
सुनामी की चेतावनी की शुरुआत 1948 में हुआ। इस समय हवाई द्वीप के होनोलूलू पर प्रशांत सुनामी चेतावनी केंद्र प्रारंभ हुआ। PTWC के सदस्य प्रशांत महासागरीय क्षेत्र के 25 देश हैं। यह विश्व के 50 ज्वारीय भूकंप स्टेशनों से भी जुड़ा है। सुनामी के अध्ययन का आधार यंत्र में स्थित दाब सेंसरों द्वारा लहरों की गति का पता लगाकर पूर्व चेतावनी देना हैं। भारत ने भी कनाडा, इजराइल से मिलकर, सुनामी चेतावनी व्यवस्था विकसित कर लिया है।