मुगल साम्राज्य एक तुर्की-मंगोल साम्राज्य था। जिसकी शुरुआत बाबर ने 1526 में पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी को हराकर की थी। बाबर के पास सैनिकों की संख्या काफी कम थी। मगर जो थी वह कुशल सैनिक थे तथा उसके पास तोप जैसे घातक हथियार थे, जो भारतीय उपमहाद्वीप में प्रथम बार प्रयोग किया गया। इस प्रकार तोप का प्रयोग सबसे पहले बाबर ने किया था। बाबर द्वारा लड़े गए युद्ध।
- पानीपत का प्रथम युद्ध (21/4/1526) : बाबर और इब्राहिम लोदी के बीच, जिसमें बाबर की जीत हुई तथा हिंदुस्तान पर मुगल साम्राज्य की स्थापना।
- खानवा का युद्ध (17/3/1527) में राणा सांगा की हार हुई थी।
- चंदेरी का युद्ध (29/3/1528) : यह युद्ध चंदेरी और बाबर के बीच हुआ था, जिसमें चंदेरी की हार हुई।
1530 में बाबर का बेटा हुमायूं उत्तराधिकारी बना लेकिन शेरशाह सूरी के हाथों से पराजय का सामना करना पड़ा। शेरशाह (फरीद खां) द्वारा कराए गए कुछ महत्वपूर्ण कार्य –
- ग्रैंड ट्रंक रोड का निर्माण
- रोहतासगढ़ किला बिहार
- पटना शहर का पुनर्निर्माण
- भूमि की नापतोल
- जनहितकारी शासन प्रणाली
- पुलिस एवं खुफिया विभाग
- पहला रुपया जारी किया
- भारतीय डाक या पोस्टल विभाग
22/5/1545 में चंदेल सासक राजपूतों के खिलाफ कालिंजर किले पर लड़ते हुए शेरशाह सूरी की मौत हो गई। उनका मकबरा सासाराम में स्थित है।
शेरशाह की मृत्यु के बाद हुमायूं 1555 में दिल्ली को पुनः जीतने में सफल हुआ। इसी बीच उनकी पत्नी हमीदा बानो से बेटे जलालुद्दीन का जन्म हुआ, जो बाद में अकबर के नाम से प्रसिद्ध हुआ। अकबर की देखभाल उसके चाचा अस्करी ने की। कुछ समय बाद पुस्तकालय की सीढ़ियों से गिरकर हुमायूं की मृत्यु हो गई। 14 फरवरी 1556 को दिल्ली के सिंहासन के लिए सिकंदरशाह सूरी के खिलाफ एक युद्ध के दौरान 13 वर्ष की आयु में गुरदासपुर में अकबर का तिलक हुआ। अकबर द्वारा चलाया गया धर्म दीन-ए-इलाही जो हिंदू-मुस्लिम दोनों के बीच की दूरी को कम करने के लिए था। अकबर ने हिंदुओं पर लगने वाला जजिया कर समाप्त कर दिया। अकबर 13 वर्ष की आयु में गद्दी पर बैठा।
पानीपत के द्वितीय युद्ध में अकबर ने हेमू को पराजित किया। उसने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंध भी बनाए। बैरम खां अकबर के संरक्षक था। पानीपत के द्वितीय युद्ध के बाद, अकबर अपनी राजधानी को दिल्ली से आगरा के निकट फतेहपुर सीकरी ले गया। मगर पानी की कमी के कारण वह राजधानी हटाकर लाहौर ले गया और फिर उसने अपनी राजधानी आगरा बनवाई तथा शासन संभाला। अब आगरा शहर का नाम अकबराबाद हो गया, जो साम्राज्य का सबसे बड़ा शहर था।
लोधी द्वारा लगाई गई गारे की ईटो में अकबर ने लाल पत्थर का प्रयोग किया। जिसके कारण इस किले का नाम लाल किला पड़ा। आगरा का वर्तमान किला अकबर के पुत्र, शाहजहां ने बनवाया था।
आमेर के राजा भारमल ने अपनी बेटी हरखा बाई का विवाह अकबर के साथ कराया, जो बाद में मरियम उज़-ज़मानी कहलाई। इससे शाहजहां का जन्म हुआ। इसका बचपन का नाम सलीम था। इसका विवाह मानबाई से हुआ, जो आमेर के राजा भगवानदास की पुत्री थी, तथा मान सिंह की बहन थी। दूसरा विवाह जगतगोसाई से हुआ जो मारवाड़ के राजा उदय सिंह की पुत्री थी।
सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव को फांसी दे दी गई। क्योंकि इन्होंने जहांगीर के पुत्र खुसरो की मदद की थी। जहांगीर के समय में ही अंग्रेज सर टॉमस रो राजदूत भारत आया था। जहांगीर ने अपनी आत्मकथा तुजुक-ए-जहांगिरी लिखी। इससे पहले बाबर ने भी बाबरनामा में अपनी आत्महत्या का वर्णन किया है। जहांगीर चित्रकला का शौकीन था। जहांगीर के समय को चित्रकला का स्वर्ण काल कहा जाता था। कश्मीर से लौटते वक्त उसकी मृत्यु हो गई। फिर उसका बेटा शाहजहां उत्तराधिकारी बना। शाहजहां ने आगरा में ताजमहल 1636-1653 बनवाया शुरू किया, जो फारसी वास्तुकार उस्ताद अहमद लाहौरी द्वारा शाहजहां की पत्नी मुमताज महल के लिए कब्र के रूप में बनवाया गया था। हिंदुओं को मुसलमान बनाने का एक अलग विभाग बनाया गया। पुर्तगालियों से युद्ध का खतरा होने पर उसने आगरा के गिरजाघर को तुड़वा दिया। आगरा में बनी जामा मस्जिद का निर्माण (जहांआरा) शाहजहां की पुत्री ने करवाया।
उसकी मृत्यु के बाद उसका पुत्र औरंगजेब राजा बना। जिसने गैर-मुस्लिमों पर कर लगाया। उसने हिंदुओं को सबसे ज्यादा पद दिए तथा गुरु तेगबहादुर को दारा शिकोह के साथ मिलकर बगावत करने के जुर्म में मरवा दिया। उसने कुरान के अनुसार शासन किया तथा नौरोज का त्यौहार मनाना, भांग की खेती करना, गाना बजाना आदि पर पाबंदी लगा दी। इसके साथ ही सती प्रथा बंद कर दी, हिंदू त्यौहार बंद कर दिए, हिंदू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दे दिया गया तथा वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर तथा मथुरा के केशवराय मंदिर को नष्ट करवा दिया। जजिया कर को फिर लागू किया गया। हिंदुओं को मुसलमान बनाया गया।
औरंगजेब के शासनकाल के बाद साम्राज्य में गिरावट आई। इन शासकों ने नादिरशाह और अहमद शाह अब्दाली जैसे हमलावरों को सहा। शाहआलम द्वितीय ने औपचारिक रूप से कंपनी का संरक्षण स्वीकार किया। कंपनी ने 1857 में अंतिम मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर को मुगल पद से हटा दिया तथा उसे बर्मा के लिए निर्वासित कर दिया। 1862 में उसकी मृत्यु हो गई। इस प्रकार मुगल वंश का अंत हुआ।