- गंध – निर्गंध, संन्यासी – गृहस्थ, गरल – अमृत/सुधा
- गरिमा – लघिमा, गहन – विरल, ग्रथित – विकीर्ण
- गुरुत्व – लघुत्व, गूढ़ – प्रकट, ग्राह्य – त्याज्य
- खीझना – रीझना, खंडन – मंडन, खास – आम
- खेचर – भूचर, खग – मृग, खल – सज्जन/साधु
- कापुरुष – पुरुषार्थी, कलंकित – निष्कलंक
- कलुष – निष्कलुष, कृपण – उदार/दानी
- कर्कश – सुशील, कुलदीप – कुलांगर
- कृष्ण – श्वेत, कुमारी – विवाहिता, कुटिल – ऋजु/सरल
- कृत्रिम – प्राकृत, कनिष्ठ – ज्येष्ठ, कृष्ण – शुक्ल
- कुसुम – वज्र, कर्मठ – निकम्मा, कृश – पुष्ट
- क्रम – व्यतिक्रम, कोप – कृपा, क्रिया – प्रतिक्रिया
- कठोर – मृदु, अंकुश – निरंकुश, अभय – भयभीत
- अग्र – पश्च, अर्जन – विसर्जन, अह – निश
- अरि – मित्र, अथ – इति, अधिक – न्यून
- अन्य – अनन्य, अपार – परिमित, अज्ञ – विज्ञ
- अंत – आदि, अवलम्ब – निरालम्ब, अवयव – निरवयव
- अबेर – सबेर, अग्रज – अनुज, असीम – सीमित
- अधम – श्रेष्ठ, अवनति – उन्नति, अद्भुत – साधारण
- अदेह – सदेह, अनुरक्ति – विरक्ति, अल्पज्ञ – बहुज्ञ
- अनुलोम – प्रतिलोम, अधुनातन – पुरातन
- अर्थी – प्रत्यर्थी
- अर्वाचीन – प्राचीन, अल्प – अति
- अडिक – डावांडोल
- अवनि – अम्बर, अवकाश – व्यस्तता, अधीन – स्वाधीन
- अस्थि – मांस, अग – जग, अगम – गम्य
- अनिवार्य – वैकल्पिक, अतीत – वर्तमान, असार – संसार
- अनुभवी – नौसिखिया, अकाम – सुकाम
- अमर – मर्त्य
- अतल – वितल, अश्रु – हास
- अनुग्रह – विग्रह
- आतुर – अनातुर, आज्ञा – प्रार्थना/अवज्ञा
- आवश्यक – अनावश्यक
- कोप – कृपा/अनुग्रह
- आधार – निराधार, आविर्भूत – तिरोभूत
- निंदा – स्तुति
- निर्दय – सदय, नीरुजता – रुग्णता
- निर्भय – भयभीत
- नूतन – पुरातन, निर्मल – मलिन
- नश्वर – शाश्वत
- नेकी – बदी, नाम – अनाम, निद्यं – बंद्य
- ध्रुव – अस्थिर, धृष्ट – विनीत/विनम्र
- धरा – गगन
- धवल – श्याम, दक्षिण – उत्तर
- दानी – कृपण/कंजूस
- दुर्दान्त – शांत, दानव – देव, दाता – सूम
- द्धन्द्ध – निर्द्धन्द्ध, नीरज – सरस
- निर्भीक – भयभीत
- निषिद्ध – विहित, नीरुजता – रुग्णता,
- दुष्कर – सुकर/सरल
- द्वेष – सद्भावना, दाखिल – खारिज
- दीर्घ – ह्रस्व/लघु
- देह – विदेह, दक्ष – अदक्ष, थकावट – स्फूर्ति
- तिमिर – प्रकाश, तप्त – शीतल, तृषा – तृप्ति
- तुच्छ – महत्वपूर्ण/महान, तेजस्वी – निस्तेज
- तृष्णा – वितृष्णा, क्रम – व्यतिक्रम
- तिक्त – मधुर, तीक्ष्ण – कुंठित, त्याज्य – ग्राह्य
- तट – मझधार, तन्वी – स्थूल, तन्द्रा – जागरण
- व्यक्त – ग्रहीत, तामसिक – सात्विक
- ताना – भरनी
- तरुण – वृद्ध, ढांढस – त्रास, ढाल – तलवार
- ढीठ – विनम्र, ढालू – समतल, डाल – पत्ती
- टीका – भाष्य, टकसाली – सामान्य, झकझकाहट – धुंधला
- झंकृत – निस्तब्ध | झंझा – तूफान | जागरण – शयन/निद्रा
- जागना – सोना | ज्योतिर्मय – तमोमय | ज्योति – तम
- जागृत – सुषुप्त | छरहरा – थुलथुल | छल – निश्छल
- छादन – प्रकाशन | छाया – आतप | छिन्न – संलग्न
- चंचल – स्थिर | चिर – अचिर | चर – अचर
- चिन्मय – जड़ | चिरायु – अल्पायु | चिरंतन – नश्वर
- चिरस्थायी – अल्पस्थायी | चतुर – मूढ़
- चाटुकार – स्वाभिमानी | भंजक – योजक
- चोर – साहूकार | घना – छितरा | घृणा – प्रेम
- छटना – बढ़ना | घटक – समुदाय | घात – प्रतिघात
- गत – आगत | गम्भीर – वाचाल | गृहीत – त्यक्त
- हेय – ग्राह्य | क्षणिक – शाश्वत | क्षर – अक्षर
- त्रिकुटी – भृकुटी | त्रिकोण – षटकोण | श्रांत – प्रसन्न
- श्रवण – दर्शन | हास – रुदन | संग – नि:संग
- समाज – व्यक्ति | सुराज – पुराज | समास – व्यास
- स्वजाति – विजाति | सुनाम – दुर्नाम | सुधा – गरल
- स्वपन – जागरण | संश्लिष्ट – विश्लिष्ट | सार – असार
- स्तुति – निंदा | सूम – दाता | सनातनी – प्रगतिवादी
- सामायिक – असामायिक | समूल – निर्मूल | सुदूर – निकट
- सन्निविष्टन – निस्तारण | सौम्य – उग्र | सुकाल – दुष्काल
- षंड – मर्द | शब्द – नि:शब्द | शक्ति – क्षीणताशासक – शासित | शुक्ल – कृष्ण | षंडत्व – पुंसत्व
- शायद – अवश्य | शालीन – धृष्ट | शूर – भीरु
- श्लाघा – निन्दा | श्वास – उच्छ्वास | वंद्य – निंद्य
- वन – मरू | विनीत – उद्धत | विपद् – सम्पद्
- वैमनस्य – सौमनस्य | विशालकाय – क्षीणकाय
- विरत – निरत/शत | भूगोल – खगोल
- व्यस्त – अकर्मण्य | विषाद – आह्वाद | वन्य – पालित
- विकर्ष – आकर्ष | व्यक्तिगत – सार्वभौम | विपुल – स्वल्प
- विनत – उद्दण्ड | विवाद – निर्णय/निर्विवाद | वृद्ध – तरुण
- विधि – निषेध | विरह – मिलन | विस्मरण – स्मरण
- वेदना – परमानन्द | विदाई – स्वागत | रूढ़िबद्ध – रूढ़िमुक्त
- रुक्ष – मृदु | रौद्र – सौम्य | रदद् – बहाल
- रीता – भरा | रुदन – हास्य | राहत – प्रकोप
- रचना – ध्वंस | रचनी – दिन | ललित – कुरुप
- लाघव – गौरव | लुप्त – व्यक्त | लुभावना – घिनौना
- लोकागीत – साधारण | यौवन – बुढ़ापा | योग – वियोग
- याचक – अयाचक | युज्य – विछोह | यथार्थ – कल्पित
- यादृश – तादृश | योजक – विच्छेदक/भंजक | मन्द – त्वरित
- मनुज – दनुज | मित – अपरिमित | मूढ़ – ज्ञानी
- मृदुल – कठोर | मैत्री – अमैत्री | मूल – निर्मूल
- मूल्यवान – मूल्यहीन | मौन – मुखर
- मरहूम – जीवित | मसृण/मृदुल – रूक्ष
- मुख – प्रतिमुख/पृष्ठ | मनोरम – असुन्दर | ममता – निर्ममता
- मानवता – दानवता/नृशंसता | मिलन – विरह | महीन – मोटा
- मर्त्य – अमर | मंगल – अमंगल | मलिन – निर्मल
- महामना – क्षुद्रमना | भीषण – सौम्य | भ्रान्त – निर्भ्रान्त
- भगवान – भगवती | भय – साहस/निर्भय
- भूलोक – घुलोक | बंध्या – उर्वरा | बिम्ब – प्रतिबिम्ब
- विहान – सन्ध्या | बाह्य – आभ्यंतर | बैर – प्रीति
- बद – नेक | बद्ध – मुक्त | बलिष्ठ – दुर्बल
- बचपन – यौवन | बेमेल – संगत | बंधुत्व – शत्रुत्व
- पूर्णता – अभाव | पूर्व – उत्तर | पौस्तय – पाश्चात्य
- परितुष्ट – कुठित | प्रकट – गुप्त
- प्रवेश – निकास/निर्गम | प्रसारण – संकुचन
- प्रफुल्ल – दुःखी | प्रगति – प्रतिगमन | पृथक् – संयुक्त
- पूर्ववर्ती – परवर्ती | प्रतीची – प्राची | प्रभु – भृत्य
- प्रावैगिक – स्थैतिक | पुरोगामी – पश्चगामी
- पदोन्नत – पदावनत | पापी – निष्पाप | पूत – अपूत
- प्रगल्भ – अप्रगल्भ | प्रायः – बहुधा | प्रीति – द्वेष
- पात्र – कुपात्र | परुष – कोमल | परिश्रम – विश्राम
- पारितोष – दण्ड | परा – अपरा | पैना – भौथरा
- पाश्चात्य – पौर्वात्य | प्रसाद – विषाद | फुल्ल – म्लान
- फाटक – हाटक | फूलना – मुरझाना | नैसार्गिक – कृत्रिम
- नीरस – सरस | नगर – ग्राम | निश्चल – चंचल
- नत – उन्नत | निरामिष – सामिष/आमिष
- नागरिक – ग्रामीण | निषिद्ध – विहित | निर्लज्ज – सलज्ज
- निद्रा – जागरण | निषेध – विधि | निर्धनता – धनाढ्यता
- अंगीकार – अस्वीकार | अंदरुनी – बाहरी
- अंधकार – प्रकाश/आलोक | अकर्मण्य – कर्मण्य/कर्मठ
- अकाल – सुकाल | अकेला – साथ | अगम – सुगम/गम
- अघ/पाप – अनघ/पुण्य | अचर – चर | अजेय – जेय
- अतल – वितल | अतिकाय – कृशकाय | अतिथि – आतिथेय
- अतिवृष्टि – अनावृष्टि | अतुकांत – तुकांत | अत्रत्य – तत्रत्य
- अयद्यतन – पुरातन/अनद्यतन | अधम – श्रेष्ठ/उत्तम
- अधिक – न्यून/कम | अधीर – धीर
- अनिवार्य – ऐच्छिक/वैकल्पिक | अनुग्रह – दंड/कोष
- अनुनासिक – निरनुनासिक | अनुमोदन – विरोध
- अनुयायी – विरोधी | अनुराग – द्वेष/विराग
- अनुशासन – अननुशासन | अपयश – सुयश
- अपेक्षित – अनपेक्षित/उपेक्षित | अभिमुख – विमुख/पराड्मुख
- अभियुक्त – अभियोगी | अभ्यस्त – अनभ्यस्त
- अमर – मर्त्य | अर्जन – वर्जन | अर्पण – ग्रहण
- अर्पित – गृहीत | अलभ्य – प्राप्य/लभ्य
- अल्प – अति/महा/प्रचुर/अधिक/बहु
- अल्पायु – दीर्घायु/चिरायु | अवकाश – व्यस्तता/अनवकाश
- अवतल – उत्तल | अवरोध – अनवरोध
- अवश्य – संभवतः | अवसाद – प्रफुल्लता
- अस्त – उदय | अस्तेय – स्तेय | आकुंचन – प्रसारण
- आक्रांत – अनाक्रांत/आक्रांता | आगत – अनागत
- आगमन – निर्गमन/गमन | आगामी – विगत
- आचार – अनाचार | आज्ञापालन – अवज्ञा
- आत्मनिर्भर – अनुजीवी/परजीवी | आदर – निरादर
- आदृत – तिरस्कृत/अनादृत/निरावृत
- आमिष/सामिष – निरामिष | आलसी – कर्मठ/कर्मण्य
- आवर्तन – प्रत्यावर्तन | आवास – प्रवास
- आविर्भाव – तिरोभाव (लोप) | दह – पर
- आविर्भूत – तिरोभूत/तिरोहित | आह्लाद – विषाद
- आह्वान – विसर्जन | ईषत् – अलम् (पर्याप्त)
- ईहा (इच्छा) – अनीहा | उऋण – ऋणी
- उग्र – सौम्य | उत्खनन – निखनन | उत्तम – अधम
- उत्पत्ति – विनाश | उदात (ऊंचा) – अनुदात
- उदार – कृपण (अनुदार) | उदघाटन – समापन
- उद्धत – विनीत | उन्मीलन – निमीलन
- उपजाऊ – बंजर | उपजीण्य – उपजीवी
- उपत्यका – अधित्यका | उपर्युक्त – अधोलिखित
- उभरा – धंसा | ऊर्ध्व – अध/अधर | ऋत – अनृत
- ऊर्ध्वगामी – अधोगामी | ऊर्ध्वमुख – अवाडमुख
- ऋजुता – वक्रता | एकत्र – विकीर्ण | एकल – सकल
- एकाकी – समग्र | ओजस्वी/तेजस्वी – निस्तेज
- कमी – बेसी/बाहुल्य | कर्कशा – सुशीला
- कर्ता – अकर्ता | कलुषित – निष्कलुष | कल्पना – यथार्थ
- कापुरुष – पुरुषार्थी | कुत्सा – प्रशंसा | कृपा – कोप
- कुलभूषण – कुलदूषण | कृत्रिम – प्राकृतिक/अकृत्रिम
- कृपा – कोप | कृश – पुष्ट/स्थूल | कृष्ण – शुक्ल/धवल
- अच्छाई – बुराई | अतुल – तुल्य | अक्षत – विक्षत/क्षत
- अंगीकरण – अनंगीकरण | अन्तर्द्वन्द्व – बहिर्द्वन्द्व
- अंत – आदि | अगम – सुगम
- अतिवृष्टि – अनावृष्टि/अल्पवृष्टि | अग्रज – अनुज
- अमृत – विष | अज्ञ – विज्ञ/प्रज्ञ
- अंतरंग – बहिरंग | अकंटक – कंटकित
- अक्षत – विक्षत | अकर्मक – सकर्मक
- अतिक्रमण – अनतिक्रमण | अग्रगामी – पश्चगामी
- अमर – मर्त्य | अति – न्यून
- अंगीकार – अनंगीकार/अस्वीकार
- अंतिम – अनंतिम/आरंभिक | अक्षम – सक्षम
- अखंडनीय – खंडनीय | अटल – डांवाडोल/चलायमान
- अग्र – पश्च | अपेक्षा – उपेक्षा