शब्द का अर्थ :
निश्चित अर्थ प्रकट करने वाले स्वतंत्र वर्णों के समूह को शब्द कहते हैं, जैसे दुकान और किताब। वर्णों के समूह को तभी शब्द कहा सकता है, जब उसका पृथक रूप सेेे कोई अर्थ हो। जिस वर्ण समूह से कोई निश्चित अर्थ ना निकले उसे शब्द नहीं कहा जा सकता, जैसे – कानम कोई शब्द नहीं है
शब्द के प्रकार :
शब्द चार प्रकार के होते हैं।
रचना के आधार पर : ये तीन प्रकार के होते हैं।
- रूढ़
- यौगिक
- योगरूढ़
उत्पत्ति के आधार पर : ये पांच प्रकार के होते हैं।
- तत्सम
- तद्भव
- देशज
- विदेशी
- संकर
अर्थ के आधार पर : ये दो प्रकार के होते हैं।
- सार्थक
- निरर्थक
विकार के आधार पर : ये दो प्रकार के होते हैं।
- विकारी : ये चार प्रकार के होते हैं – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण व क्रिया
- अविकारी : ये पांच प्रकार के होते हैं – निपात, क्रियाविशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक व विस्मयादिबोधक
- रूढ़ शब्द : जो शब्द एक अर्थ विशेष या वस्तु विशेष के लिए प्रयुक्त हो या जो अपने मूल रूप में व्यवहार में लायें जाए, उन्हें रूढ़ शब्द कहते हैं, जैसे – कुर्सी, फूल, पत्थर, पेड़, मेंढक, स्त्री, दूध, मिट्टी, लकड़ी, धूप, हंसी, गर्मी, बाल, रोटी व पानी आदि।
- यौगिक शब्द : जो शब्द दो या अधिक शब्दों के मेल से बने हो उन्हें योगिक शब्द कहते हैं, जैसे- हिमालय, प्रधानमंत्री, जलधारा, नवयुवक, प्रतिदिन, महर्षि, लोकप्रिय, महासागर, विद्यालय, कृषकपुत्र, वाचनालय, समतल, रातदिन व चतुर्भुज आदि।
- योगरूढ़ शब्द : दो शब्द दो शब्दों के मेल से बने हैं परंतु किसी अन्य अर्थ विशेष का बोध करवाते हैं, एक निश्चित अर्थ के लिए प्रयुक्त होते हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं, जैसे – चारपाई, दशानन, पितांबर, चतुर्भुज, नकटा, सिरफिरा, जलज व त्रिपुरारि आदि।
- तत्सम शब्द : संस्कृत भाषा के वे शब्द जो हिंदी में ज्यों के त्यों प्रयोग होते हैं। जैसे अंधकार, आश्चर्य, अमावस्या, अर्क, कण्टक, कूप, कृष्ण व आश्रय आदि।
- तद्भव शब्द : जो शब्द संस्कृत, पालि, प्राकृत, अपभ्रंश के दौर से गुजरकर वक्त के साथ-साथ परिवर्तित होकर हिन्दी में प्रचलित है, वह तद्भव कहलाते हैं। जैसे अजान, अंधियारा, अंगीठी, अफीम व अट्ठारह आदि।
- देशज शब्द : ऐसे शब्द जो किसी स्थान विशेष पर ही बोले तथा प्रयोग किए जाते हैं। जैसे गड़बड़, टन-टन, सांय-सांय, झंझट, ठेठ, लोटा, पगड़ी, परात, काच, ढोर, खचाखच, फटाफट, मुक्का, खोपड़ी, ऊधम, खुरपा, लपलपाना, चुटकी, चाट, ठठेरा, खटपट, ऊटपटांग, खर्राटा, कदली, केला, कपास, कौड़ी, तांबूल, परवल, बाजरा, भिंडी, कुटी, चिकना, ताला, लूंगी, डोसा, इडली, खटखट, चमचमाना, की चींचाहट, झमकना, फर्राटा, धड़ाधड़ व थैला आदि।
- विदेशी (आगत) शब्द : ऐसे शब्द जो विदेशी हैं लेकिन हिंदी भाषा में इस तरह प्रीत हो गए हैं कि उनका हिंदी से पृथक अस्तित्व दिखाई नहीं देता जैसे – अंग्रेजी, अरबी, फारसी, तुर्की तथा पुर्तगाली आदि।
- हिन्दी में प्रयुक्त होने वाले ‘अंग्रेजी’ शब्द : गार्ड, ऑफिस, स्टेशन, मनीी ऑर्डर, पोस्टकार्ड, पार्सल, टिकिट, ब्रेक, स्कूटर, मोटर, ट्रेन, इंजन, चॉकलेट, बिस्कुट, टॉफी, ब्लाउज, कप, प्लेट, जग, हैट, कॉलर, लाइब्रेरी, पेपर, डिप्टी, पुलिस, मजिस्ट्रेट, कोर्ट, अपील, डॉक्टर, मलेरिया, कोट व साइकिल आदि।
- हिन्दी में प्रयोग होने वाले ‘फारसी’ शब्द : आफत, आबरू, आराम, आमदनी, आवाज, आवारा, उम्मीद, खुदा, खामोश, खुराक, गरम, ताजा, तेज, दंगल, दीवार, दुकान, नापाक, परदा, पुल, बारिश, बुखार, मजा, नापसंद, सरकार, जलेबी, गिरफ्तार, मजदूर, अनार, अमरूद, आईना, आजादी, आमदनी, आसमान, आसान, उम्मीदवार, कबूतर, कमजोर, खानदान, खबरदार, खून, खूबसूरत, गिरवी, गुलदस्ता, चकबंदी, चाकू, जुकाम, जमीन, जादू, जानवर, तरक्की, तमंचा, ताजा, दर्जी, दवा, दीवार, दिल, पाकीजा, बंदरगाह, बीमा, बेवकूफी, हिंदी, होशियार व गज आदि शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
- हिन्दी में प्रयोग होने वाले ‘अरबी’ शब्द : हौसला, लिफाफा, मुकदमा, मौसम, वारिस, हक, हाजिर, हलवाई, फिक्र, शादी, नापसंद, तेज, जिन्दगी, जलेबी, आबरू, आतिशबाजी, आराम, उस्ताद, खुदा, कुश्ती, गिरफ्तार, जादू, कमीना, तमाशा, दुकान, चालाक, कारीगर, गुलाब, मकान, बर्फी, अखलाक, अख्तियार, अजब, अदब, अदा, अदालत, अमन, अहसास, आशिक, इंतकाम, इंतजार, इनाम, इन्सान, इलाज, इस्तेमाल, कमीज, कलम, काजी, काफी, किताब, किराया, किला, किस्त, किस्मत, कुरसी, गरीब, तहसील, ताज, ताश, दौलत, नकल, नकलची, नकद, फसल, फैसला, मसाला, मुकदमा, मुसलमान, मुमकिन, मुहावरा, रकम, सही, हलवाई व सितार आदि शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
- हिन्दी में प्रयोग होने वाले ‘तुर्की’ शब्द : स्कूल, लाइब्रेरी, पेंशन, जज, पुलिस, गलीचा, कुली, कुर्ता, कमरा, चेचक, तलाश, तोप, दरोगा, नौकर, बहादुर, मुगल, चम्मच, लाश, बीबी, बारूद, सौगात, ताश, काबू, खच्चर व तोप आदि शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
- हिन्दी में प्रयोग होने वाले ‘पुर्तगाली’ शब्द : अलमारी, इस्पात, कमीज, कमरा, कर्नल, काफी, काजू, गमला, गोदाम, चाबी, तौलिया, पपीता, बाल्टी, बोतल, अचार, अनानास, आलपीन, आलू, इस्पात, कोको, काजू, गमला, गोभी, चाबी, पतलून, पादरी, पीता, संतरा व साबुन आदि शब्द प्रयोग के जाते हैं।
- संकर या मिश्रित शब्द : उप-बोली, भोजन-गाड़ी, रात्रि-उड़ान, विज्ञापनबाजी, छायादार, लोकशाही, कमर-पट्टी, खरीदना, जेबकतरा, बाडौल, अखबारवाला, अजायबघर, आम चुनाव, हवा-चक्की, मालगाड़ी, किताबघर, कलम-चोर, पॉकेट-खर्च, सिनेमा-शौकीन, सिविलनाफरमानी, टैंक-युद्ध, मशीनीकरण, लाठीचार्ज, रेलगाड़ी डबल रोटी कठोर दान चमकदार मसालेदार किराएदार छापाखाना, थानेदार, पंचायतनामा, गोताखोर, तहसीलदार व अकलमन्द आदि शब्द प्रयोग किए जाते हैं।
तत्सम तदभव के उदाहरण :
- शलाका – सलाई | एकल – अकेला
- अकथ्य – अकथ | शश – सुस्सा (खरगोश)
- अग्निनिष्ठका – अंगीठी | शशिन् – ससि
- अहि-फेन – अफीम | शाक – साग
- स्तुति – अस्तुति | शाप – सराप/श्राप
- अष्ठादश – अट्ठारह | शिक्षा – सीख
- अर्द्ध – अद्धा/आधा | शिला – सिला
- आत्मन् – अपना | शिष्य – सिक्ख
- अंगुष्ठिका – अंगूठी | शुक – सुआ
- अग्रहायण – अगहन | शुंड – सूंड
- आशीष – असीस | शुष्क – सूखा
- अगम्य – अगम | शूकर – सुअर
- अश्रु – आंसू | शून्य – सूना
- अक्षर – अच्छर | आखर, नैया – सेज
- अन्यत्र – अनत | शोभन – सोहन
- अन्न – अनाज | श्मशान – मसान
- आर्द्रक – अदरक | श्मश्रु – मूंछ
- आकाश – अकास | श्यामल – सांवला
- अंजलि – अंजुली | श्यालक – साला
- अंगप्रौछा – अंगोछा | श्राद्ध – सराध
- अमावस्या – अमावस | श्रावण – सावन
- आश्चर्य – अचरज | आभीर – अहिर
- हड्डी – अस्थि | अगणित – अनगिनत
- अनार्य – अनाड़ी | आखेट – अहेर
- अग्रणी – अगुवा | अंगुलि – अंगुरी
- अधर्म – अधरम | अस्नेह – अनेह
- अलग्न – अलग | अट्टालिका – अटारी
- अक्षोभ – अछोह | अमृत – अमिय
- अगम्य – अगम | आम्रचूर्ण – अमचूर
- अमूल्य – अमोल | अक्षोट – अखरोट
- अग्रणी – अंगाड़ी | अंकुर – अंखुआ
- अंगुष्ठ – अंगूठा | अक्षवाट – अखाड़ा
- अनर्थ – अनरथ | अनशन – अनसन
- अग्रपद – अगुआ | अपादहस्त – अपाहज
- अपठ – अपढ़ | अंगिका – अंगिया
- आचमन – अचवन | अन्यत्र – अनत
- अंनुत्थ – अनूठा | अर्क – अरक
- आषाढ़ – असाढ़ | यवनिका – अजवाइन
- अलक्षण – अलच्छन | अंश – अंस
- अलवण – अलोना | अक्षत – आखत
- अर्चि – आंच | आदेश – आयसु
- अद्य – आज | आम्र – आम
- आदर्श – आरसी | अक्षि – आंख
- आकार – आंकर | आमलक – आंवला
- अंत्र – आंत | आभूषण – आभूसन
- आंचल – आचर | आलस्य – आलस
- अग्नि – आग | अंगण – आंगन
- अर्द्ध – आधा | आश्रय – आसरा
- आपाक – ओवां | अष्ट – आठ
- इयत – इतना | एकलपुत्र – इकलौता
- एकत्र – इकट्ठा | एकविंशति – इक्कीस
- ईर्ष्या – ईषा | अमलीका – इमली
- एकत्रिंशत् – इक्तीस | इक्षु – ईख
- इष्टिका – ईंट | उत्तिष्ठ – उठ
- उपवास – उपास | उद्गम – उगना
- उर्द्वतन – उबटन | उद्वालन – उबालना
- उद्गलन – उगलना | हुलास – उल्लास
- उत्थान – उठान | उच्छ्वास – उसास
- उच्च – ऊंचा | उत्साह – उछाह
- ऊर्ण – ऊन | उद्खल – ऊखल
- इमि – एवम | ऐक्य – एका
- ईदृश – ऐसा | उपल – ओला
- अवतार – औतार | अवगुण – औगुन
- उपालम्भ – उलाहना | उद्घाटन – उघाड़ना
- उलूक – उल्लू | उष्ट्र – ऊंट
- ओष्ठ – ओठ | उपशाल – ओसार
- अपर – और | अवमूर्ध – औंधा
- स्कन्धधार – कहार | कर्पट – कपड़ा
- कुठार – कुल्हाड़ा | कैवर्त्त – केवट
- काण: – खाना | कंकती – कंघी
- कृष्ण – कान्हा | कपित्थ – कैथा
- कज्जल – काजल