औद्योगिक प्रदेश से तात्पर्य ऐसे प्रदेश से हैं, जहां कई प्रकार के उद्योग और कई औद्योगिक केंद्रों का विकास होता है और औद्योगिक भू-दृश्य का निर्माण होता है अर्थात औद्योगिक प्रदेश किसी विस्तृत क्षेत्र में औद्योगिक वातावरण को बताता है। उद्योगों की विविधता और औद्योगिक क्षेत्र में रोजगार इसकी मुख्य विशेषता है। हालांकि, इस क्षेत्र में सभी उद्योगों का परस्पर संबंधित होना अनिवार्य नहीं है। पुणे क्षेत्र की जनसंख्या प्राथमिक, द्वितीयक, तृतीयक एवं चतुर्थक सभी प्रकार के व्यवसाय में लगी रहती है। जैसे छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश में लोहा-इस्पात उद्योग, उर्वरक सीमेंट उद्योग के साथ ही लाख उद्योग एवं बीड़ी उद्योग में भी जनसंख्या लगी हुई है। लेकिन इन सभी उद्योगों में अंतर संबंध नहीं पाया जाता है। इस प्रकार औद्योगिक प्रदेश में विभिन्न प्रकार के उद्योग स्वतंत्र रूप से विकसित होते हैं।
भारत में औद्योगिक प्रदेश का विकास स्वतंत्रता के पूर्व ही प्रारंभ हो चुका था, लेकिन स्वतंत्रता के बाद नवीन औद्योगिक प्रदेशों का विकास हुआ, क्योंकि नवीन औद्योगिक केंद्रों और औद्योगिक क्षेत्रों की संख्या में तीव्र वृद्धि हुई। वर्तमान में भारत में 6 प्रमुख एवं 8 संभावित औद्योगिक प्रदेश है। औद्योगिक स्कूलों की संख्या 60 से अधिक है।
प्रमुख औद्योगिक प्रदेश भारत के बड़े औद्योगिक प्रदेश हैं, जिनमें उद्योगों की विविधता पाई जाती है और यहां सभी पर विभिन्न औद्योगिक केंद्र एवं औद्योगिक संकुल का भी विकास हुआ है।
बड़े औद्योगिक प्रदेश निम्नलिखित हैं :
- हुगली औद्योगिक प्रदेश
- मुंबई अहमदाबाद पुणे उद्योग के प्रदेश
- मुम्बई पुणे औद्योगिक प्रदेश
- अहमदाबाद बड़ोदरा औद्योगिक प्रदेश
- छोटा नागपुर औद्योगिक प्रदेश
- चेन्नई कोयंबटूर बेंगलुरु औद्योगिक प्रदेश
- दिल्ली औद्योगिक प्रदेश
(1) हुगली औद्योगिक प्रदेश
यह भारत का सर्वाधिक पुराना औद्योगिक प्रदेश है। इसका विकास स्वतंत्रता के पूर्व ही हो चुका था, लेकिन विकास की तीव्र प्रक्रिया स्वतंत्रता के बाद प्रारंभ हुई। सर्वप्रथम 1818 में फोर्ड ग्लास्टर (पश्चिम बंगाल) में सूती वस्त्र उद्योग का कारखाना लगा था, लेकिन उद्योगों के विकास की वास्तविक शुरुआत 1855 में रिशरा में जूट उद्योग के स्थापना के साथ हुई। यह औद्योगिक प्रदेश हुगली नदी के क्षेत्र में दोनों ओर 5-7 किमी की चौड़ाई में लगभग 120 किमी में विस्तृत है। उत्तर में वांस वेरिया से दक्षिण में हल्दिया तक एक पट्टी में यहां उद्योगों का विकास हुआ है। यहां विभिन्न औद्योगिक केंद्र स्थित है।
इस औद्योगिक प्रदेश में मुख्यतः जूट उद्योग, सूती वस्त्र उद्योग, कागज उद्योग, दियासलाई उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग तथा मशीनरी उद्योग का विकास हुआ है। स्वतंत्रता के समय तक देश के कुल औद्योगिक उत्पादन का लगभग 45% इसी प्रौद्योगिक प्रदेश से प्राप्त होता था। परंतु वर्तमान में मुंबई-अहमदाबाद औद्योगिक प्रदेश के बाद यह प्रमुख औद्योगिक प्रदेश है। यहां से लगभग 15-20% उद्योग का उत्पादन होता है।
हुगली औद्योगिक प्रदेश के विकास के कारण निम्नलिखित है।
- ब्रिटिश भारत की राजधानी होने के कारण यहां विकास की प्रक्रिया प्रारंभ हुई।
- 17 वीं शताब्दी से ही प्रमुख व्यापारिक केंद्र होने के कारण पूंजी की उपलब्धता रही और बाहरी पूंजी निवेश हुआ।
- आंतरिक और बाह्य परिवर्तन की सुविधा, आंतरिक जल परिवहन एवं रेलवे परिवहन की सुविधा तथा हल्दिया पतन के कारण बाहरी परिवर्तन की सुविधा।
- समुद्री पत्तन और स्थिति के कारण आयात-निर्यात में सुविधा।
- भारत का सबसे बड़ा इंटरलैंड ट्रस्ट प्रदेश कोलकाता है। अतः बड़ा बाजार और सस्ते श्रमिकों की सुविधा यहां है।
- कच्चे माल की सुविधा विशेषकर जूट की उपलब्धता यहां प्रमुख रूप से पाई जाती है।
उपरोक्त कारणों से हुगली औद्योगिक प्रदेश का विकास तीव्र से हुआ व यहां विविध प्रकार के उद्योग विकसित हुए।
यह औद्योगिक प्रदेश भारत का विकसित औद्योगिक प्रदेश है और प्राचीन उद्योग के साथ ही आधुनिक उद्योगों की स्थापना भी यहां हो रही है। यहां विकास की प्रक्रिया जारी है, लेकिन साथ ही कई समस्याएं भी यहां पाई जाती है। जैसे –
- अत्यधिक जनसंख्या दवाब की समस्या।
- नियोजन का अभाव फलस्वरुप नगरीय अधिवास के समस्या, मलिन बस्ती की समस्या।
- श्रमिक संघों की अधिकता के कारण औद्योगिक विवाद की समस्या।
- परिवहन सुविधाओं में कमी की समस्या, विशेषकर पृष्ट प्रदेशों और संलग्न राज्यों में पिछड़ेपन की समस्या और यातायात की समस्या पाई जाती है।
(2) मुंबई-अहमदाबाद-पुणे औद्योगिक प्रदेश
इस औद्योगिक प्रदेश का विकास भी स्वतंत्रता के पूर्व हुगली औद्योगिक प्रदेश के साथ ही प्रारंभ हुआ थाा। यहां 1854 में मुंबई में आधुनिक सूती वस्त्र के कारखाने के साथ उद्योगों के विकास की प्रक्रिया प्रारंभ हुई और यह भारत का सबसे बड़ा सूती वस्त्र उत्पादक प्रदेश बन गया। सन 1900 तक मुंंबई, स्वेज नहर के पूर्व विश्व का सबसे बड़ा केंद्र हो गया था। मुंबई के अतिरिक्त अहमदाबाद, सूरत, पुणे, कल्याण व ठाणे जैसे केंद्रों में भी उद्योग का विकास हुआ। वर्तमान में यह प्रदेश दो बड़े औद्योगिक प्रदेश की मान्यता प्राप्त कर चुका है।
- मुंबई – पुणे प्रदेश
- अहमदाबाद – बड़ोदरा प्रदेश
वर्तमान में मुंबई और अहमदाबाद क्रमश: बड़े सूती वस्त्र के केंद्र हैं। वस्त्र उद्योग के अंतर्गत ऊनी वस्त्र, रेशमी वस्त्र, कृत्रिम धागे पर आधारित वस्त्र एवं पोशाक उद्योग का भी पूर्ण विकास हुआ है। यहां कोयली, ट्रॉम्बे, मुंबई एवं जामनगर में पेट्रोलियम शोधनशाला और पेट्रोकेमिकल का केंद्र है। इन्हें स्थानीय पेट्रोलियम या कच्चा पेट्रोलियम प्राप्त है। अन्य उद्योगों में रसायन उद्योग, औषधि उद्योग, मशीन, औजार, जलयान, वायुयान, मोटर गाड़ी, उद्योग का भी विकास हुआ है। आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर उद्योग भी विकसित हो रहे हैं। सूरत में हीरा कटाई का उद्योग विकसित है। नासिक में वायुयान का ढांचा बनाया जाता है।
स्पष्ट है कि यह औद्योगिक प्रदेश देश का विकसित औद्योगिक प्रदेश है, जिसका आधार मुख्यता कपास एवं सूती वस्त्र उद्योग है। काली मिट्टी का बड़े क्षेत्र कपास के लिए अनुकूल है। पुनः समुद्री जलवायु, सूती वस्त्र के लिए अनुकूल है। इस प्रदेश को समुद्री यातायात की सुविधा भी प्राप्त है। वर्तमान में यह प्रदेश सर्वाधिक पूंजी निवेश को आकर्षित कर रहा है। अतः इस औद्योगिक प्रदेश के विकास में और भी तीव्रता आएगी, हालांकि कुछ समस्याएं भी हैं।
- नगरीय जनसंख्या विस्फोट की समस्या के कारण नगरीय प्रदूषण, मलिन बस्ती की समस्या, नगरीय सुविधाओं में कमी की समस्या यहां पाई जाती है।
- उत्तम रेशे के कपास की कमी की समस्या।
- आधुनिकीकरण की समस्या।
- पर्यावरणीय और औद्योगिक प्रदूषण की समस्या।
अतः इन समस्याओं के समाधान के लिए उचित नीतियां बनाई जानी चाहिए ताकि विभिन्न क्षेत्रों में होने वाले पूंजी निवेश से इस प्रदेश को पर्याप्त लाभ होने की संभावना है। उदारीकरण के बाद इस औद्योगिक प्रदेश में विकास की गति और वृद्धि हुई है।
(3) छोटानागपुर औद्योगिक प्रदेश
इस औद्योगिक प्रदेश में उद्योग की स्थापना 1907 मेंं TISCO की स्थापना के साथ हुई थी। पुनः 1937-38 में जे.के नगर एवं मुरी में एलुमिनियम उद्योग की स्थापना हुई, लेकिन इस औद्योगिक प्रदेश का विकास स्वतंत्रता के बाद ही हो सका। यह भारत का एक मात्र खनिज आधारित औद्योगिक प्रदेश है। यहां लोहा, कोयला, अभ्रक, मैग्नीज, यूरेनियम जैसे महत्वपूर्ण खनिजों की बहुलता है। अतः यहां खनिज आधारित उद्योग का केंद्रीकरण या संकेन्द्रण मुख्यत: दामोदर एवं स्वर्ण नदी घाटी क्षेत्रों में ही हैै। सामान्यतया दामोदर घाटी में कोयला और अभ्रक आधारित उद्योग जबकि स्वर्णरेखा नदी में धात्विक खनिज आधारित उद्योग विकसित हैं।
लोहा-इस्पात उद्योग के केंद्र बोकारो, दुर्गापुर, कुलटा वर्णपुर एवं जमशेदपुर में है। झरिया एवं रानीगंज में कोयला उद्योग, सिंदरी एवं आसनसोल में उर्वरक उद्योग, मुरी जे.के नगर में एल्युमिनियम उद्योग, गोमिया में बारूद उद्योग, कोडरमा-गिरिडीह में अरख उद्योग, चाईबासा-चांडिल्य-सिन्दरी में सीमेंट उद्योग, जादूगोड़ा में यूरेनियम उद्योग, रांची में भारी इंजीनियरिंग उद्योग प्रमुख है। इसके अतिरिक्त रांची के नामकुम में लाख उद्योग, जनजातीय क्षेत्रों में बीड़ी उद्योग एवं अन्य वन आधारित कुटीर उद्योग का भी विकास हुआ है।
इस प्रदेश में खनिज संसाधनों की बहुलता के बावजूद पिछड़ेपन की स्थिति पाई जाती है। विभिन्न उद्योगों की स्थापना के बावजूद इस औद्योगिक प्रदेश का संतुलन विकास नहीं हो पाया है। अतः खनिजों के उचित दोहन की नीति एवं नवीन औद्योगिक केंद्रों की स्थापना पर बल दिया जाना चाहिए। पूंजी निवेश की प्रक्रिया यहां प्रारंभिक अवस्था में है। इस प्रदेश में उचित औद्योगिक विकास की नीति अपनाई जाए तो यह प्रदेश विश्व के वृहत्तम और विकसित औद्योगिक प्रदेशों में से एक हो जाएगा। आधारभूत संरचना की कमी, साक्षरता का अभाव, जनजाति क्षेत्रों में तनाव की समस्या, यहां की प्रमुख समस्याएं हैं, जिन्हें दूर किया जाना आवश्यक है। वर्तमान में विदेशी पूंजी निवेश के कई प्रभाव यहां आए हैं, जिससे विकास की गति तीव्र होने की संभावना है।
(4) चेन्नई, कोयंबटूर, बंगलौर औद्योगिक प्रदेश
यह औद्योगिक प्रदेश स्वतंत्रता के बाद विकसित हुआ है। हालांकि उद्योगों की स्थापना स्वतंत्रता के पूर्व ही प्रारंभ हो चुकी थी। 1904 में चेन्नई में सीमेंट उद्योग, 1905 में रानी पेट में रासायनिक उर्वरक उद्योग की स्थापना हुई। लेकिन इस औद्योगिक प्रदेश का विकास जल विद्युत उत्पादन और इसके उपयोग के बाद हुआ। यह दक्षिण भारत का एकमात्र बड़ा औद्योगिक प्रदेश है। यहां विविध प्रकार के कच्चे माल पाए जाते हैं। अतः उद्योगों में विविधता पाई जाती हैं।
कृषि आधारित उद्योगों में सूती वस्त्र और चीनी उद्योग प्रमुख हैं। इनके प्रमुख केंद्र कोयंबटूर हैं। सूती वस्त्र के अन्य केंद्र बेंगलुरु, चेन्नई, मदुरई और चीनी उद्योग के अन्य केंद्र तिरुचिरापल्ली, ग्रामीण बेंगलुरु तथा मैसूर है। वन आधारित उद्योगों में रेशमी वस्त्र उद्योग मैसूर एवं बेंगलुरु में कागज उद्योग, मैसूर, चेन्नई में तथा कास्टशिल्प उद्योग मैसूर में विकसित है। यहां के चंदन आधारित कास्टशिल्प का विश्व स्तरीय मांग है। खनिज आधारित उद्योग सलेम में लोहा-इस्पात उद्योग, सलेम, मैटूर एवं चेन्नई में एल्युमिनियम उद्योग, चेन्नई में तेल शोधन उद्योग एवं सीमेंट उद्योग का विकास हुआ है। इस प्रदेश में पशु संसाधन आधारित उद्योग में महानगरीय क्षेत्रों में दुग्ध उद्योग, बैंगलोर, चेन्नई में मांस उद्योग, चमड़ा उद्योग पुणे, तटवर्ती क्षेत्रों में मत्स्य उद्योग का भी विकास हुआ है।
उपरोक्त उद्योगों के अतिरिक्त यह प्रदेश आधुनिक उद्योगों के लिए महत्वपूर्ण है। यहां बैंगलोर में घड़ी, मशीन, वायुयान उद्योग, टेलीफोन उद्योग एवं सॉफ्टवेयर उद्योग का विकास हुआ है। पेराम्बूर में रेलवे का कारखाना है। अतः स्पष्ट है कि यह औद्योगिक प्रदेश विविध उद्योग के लिए प्रमुख है और आधुनिक उद्योगों में भी यहां विकास की पर्याप्त संभावना है लेकिन कर्नाटक और तमिलनाडु के क्षेत्र में इसकी स्थिति के कारण आपसी समन्वय आवश्यक है. यहां विदेशी पूंजी और निजी पूंजी निवेश की दर भी अधिक है, जो प्रदेश के औद्योगिक विकास को तीव्र करेगा।
(5) दिल्ली औद्योगिक प्रदेश/Images Site of Delhi NCR
यह भारत का नवीन औद्योगिक प्रदेश है, जो स्वतंत्रता के बाद लघु औद्योगिक प्रदेश के रूप में विकसित होता हुआ वृहद औद्योगिक प्रदेश बन गया है यह मुख्य बाजार आधारित औद्योगिक प्रदेश है। इसके विकास का मुख्य कारण उत्तर भारत में केंद्रीय स्थिति राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तथा पूंजी की सुविधा देश के प्रत्येक क्षेत्र से परिवहन सुविधाओं से जुड़ा होना व्यापक पृष्ट प्रदेश एवं सस्ते श्रमिकों की उपलब्धि इत्यादि है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के विकास के साथ ही दिल्ली एवं इसके आसपास विविध उद्योगों के कई औद्योगिक केंद्रों का विकास हुआ। यहां औद्योगिक केन्द्रो का विकास नियमित रूप से हुआ है।
विभिन्न औद्योगिक केन्द्रो में फरीदाबाद, गुड़गांव, नोएडा, गाजियाबाद तथा ओखला इत्यादि है। यहां सैटलाइट टाउन के अवधारणा के अंतर्गत दिल्ली के चारों और औद्योगिक केंद्रों का विकास किया जा रहा है ताकि दिल्ली महानगर पर जनसंख्या के दबाव को कम किया जा सके और आसपास के क्षेत्रों में रोजगार के द्वारा जनसंख्या को आकर्षित किया जा सके। यहां बड़े नए औद्योगिक केंद्रों के विकास की भी प्रबल संभावना है। यहां विविध उद्योगों में सूती वस्त्र, ऊनी वस्त्र, वस्त्र उद्योग, पोशाक उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक सॉफ्टवेयर, इलेक्ट्रिकल मोटर गाड़ी एवं उपकरण उद्योग मशीनरी आदि मुख्य हैं।
लघु औद्योगिक उद्देश्य
उपरोक्त बड़े औद्योगिक प्रदेश के अतिरिक्त लघु उद्योग प्रदेश भी है, जो भविष्य में बड़े औद्योगिक प्रदेश बनने की प्रक्रिया में है। इस प्रकार है।
- लुधियाना जालंधर क्षेत्र : सूती वस्त्र कृषि उपकरण दूध उद्योग खेलकूद का सामान आदि के लिए प्रसिद्ध है।
- जयपुर औद्योगिक क्षेत्र : सूती वस्त्र, नकाशी उद्योग, ज्वेलरी आदि के लिए।
- इंदौर ग्वालियर क्षेत्र : सूती वस्त्र उद्योग, सीमेंट उद्योग, मशीन टूल, उद्योग आदि प्रमुख।
- कोटा उद्योग : यहां सूती वस्त्र उद्योग के साथ-साथ शिक्षा उद्योग भी बड़े पैमाने पर हो रहा है।
- नागपुर वर्धा क्षेत्र : सूती वस्त्र उद्योग प्रमुख है।
- विशाखापत्तनम : जहाजरानी, लोहा इस्पात, सीमेंट, उर्वरक, तेल शोधन आदि प्रमुख हैं।
- कानपुर लखनऊ क्षेत्र : सूती वस्त्र उद्योग और चमड़ा उद्योग।
- हैदराबाद सिकंदराबाद क्षेत्र : सूती वस्त्र उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक, सॉफ्टवेयर, उद्योग चमड़ा एवं मांस उद्योग आदि।
स्पष्ट है कि भारत में उद्योग के सकेंद्र के साथ ही विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया भी प्रारंभ हुई है। हालांकि विभिन्न राष्ट्रीय संसाधनों का उचित और पूर्ण उपयोग अभी भी नहीं हो पाया है, लेकिन विश्व के 10 औद्योगिक राष्ट्रों में भारत का सम्मिलित होना तथा लोहा इस्पात में 9 व उर्वरक में तीसरा जूट में प्रथम, सूती वस्त्र उद्योग में दूसरा, दूध में पहला एवं सीमेंट उद्योग में 5वा स्थान भारत के औद्योगिक विकास की प्रक्रिया को बताता है।
भारत में औद्योगिक विकास