Keshavchandra Sen in Hindi | केशवचंद्र सेन का जीवन परिचय

केशवचंद्र सेन ब्रह्म समाज के बहुत महत्वपूर्ण नायक रहे हैं। जिस समय राजा राममोहन राय की मृत्यु हुई थी, उस समय ब्रह्मा समाज के सदस्यों में देवेंद्र नाथ टैगोर, केशव चंद्र सेन, अश्वनी कुमार दत्त व ईश्वर चंद्र विद्यासागर शामिल थे। केशव चंद्र सेन इन चारों सदस्यों में सबसे ज्यादा बुद्धिमान थे। यह अंतरराष्ट्रीय विचारधारा में विश्वास करते थे तथा इनकी मान्यता यह थी कि यह ब्रह्म समाज को विश्व स्तर पर लाना चाहते थे। मगर दूसरी ओर देवेंद्र नाथ टैगोर जो ब्राह्मण समाज को सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर रखना चाहते थे। बस इस विचार के कारण दोनों में मतभेद हो गया और 1865 में केशव चंद्र सेन को ब्रह्मा समाज से अलग होना पड़ा। 1866 में इन्होंने भारतीय ब्रह्म समाज की स्थापना की। वहीं दूसरी तरफ 1867 में देवेंद्र नाथ टैगोर ने ब्रह्म समाज का नाम बदलकर आदि ब्रह्म समाज कर दिया।
सन 1878 में केशव चंद्र सेन ने सभा के नियमों को तोड़ते हुए, अपनी ही बेटी, जिसकी आयु सिर्फ 13 वर्ष की थी। उसका विवाह बिहार कूच के राजा के साथ करा दिया। इनके इस कार्य के कारण उनके सहयोगी तथा भारतीय ब्रह्म समाज के सदस्यों ने इनका विरोध किया, जिसके कारण उन्होंने भारतीय ब्रह्म समाज को छोड़कर, पंडित शिवनाथ शास्त्री के नेतृत्व में 1878 में साधारण ब्रह्म समाज की स्थापना की।

केशव चंद्र सेन का जन्म 19 नवंबर, 1838 को कोलकाता में हुआ था। उनके पिता का नाम प्यारे मोहन था। महर्षि ने उन्हें ब्रह्मानंद की उपाधि से सम्मानित किया। 1870 में केशव चंद्र सेन ने इंग्लैंड की यात्रा की तथा पूर्वी एवं पश्चिमी देशों को एकजुट करने का प्रयास किया। 1875 में केशव चंद्र सेन ने ईश्वर के नवीन स्वरूप का संदेश दिया। चयन ने आत्माराम पांडुरंग के साथ 1867 में प्रार्थना समाज की स्थापना में विशेष योगदान दिया।

केशव चंद्र सेन के अनुसार, हमारा विश्वास विश्वधर्म है, जो समस्त प्राचीन ज्ञान का संरक्षक है एवं जिसमें समस्त आधुनिक विज्ञान ग्राह्य है, जो सभी धर्म गुरुओं तथा संतों में एकरूपता, सभी धर्मग्रंथों में एकता एवं समस्त रूपों में सातत्य स्वीकार करता है, जिसमें उन सभी का परित्याग है जो पार्थक्य तथा विभाजन उत्पन्न करते हैं एवं जिसमें सदैव एकता तथा शांति की अभिवृद्धि है, जो तर्क तथा विश्वास योग्य तथा भक्ति तपश्चर्या और समाजधर्म को उनके उच्चतम रूपों में समरूपता प्रदान करता है एवं जो कालांतर में सभी राष्ट्रों तथा धर्मों को एक राज्य तथा एक परिवार का रूप दे सकेगा।
इस समय ने कालांतर में देश के सामाजिक एवं शैक्षिक विकास में बड़ा योग दिया। केशवचन्द्र सेन के द्वारा टेबरनेकल ऑफ न्यू डिस्पेंसेशन (1868) तथा इण्डियन रिफार्म एसोसिएशन (1870) की स्थापना की गयी। केशवचंद्र 1884 में दिवंगत हुए।
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