नवरात्र का त्योहार | Navratra festival

नवरात्रि का त्यौहार हिंदू धर्म में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दिनों में बाजारों को तथा व्यापारी अपने दुकान को पूरी तरह से सजाते हैं। यह पूरे भारत में ही मनाया जाता है, जिसे वर्ष में दो बार स्त्रियां तथा पुरुष दोनों बड़े शौक से मनाते हैं। यह 9 दिन चलने वाला व्रत है, जिसमें स्त्री तथा पुरुष दोनों ही व्रत रखते हैं।

व्रत के अंतर्गत जो 9 दिन का व्रत रखते हैं। वह अन्न से संबंधित बनी हुई कोई भी चीज को ग्रहण नहीं कर सकते। इसमें आलू, दूध तथा फल से संबंधित वस्तुओं को ही ग्रहण किया जाता है। कुछ स्त्री और पुरुष दोनों पूरे 9 दिन तक बिना किसी फल खाए सिर्फ पानी के बल पर इस व्रत को पूरा करते हैं तथा कहीं-कहीं पर पेट पर जौ उगाने की प्रथा भी होती हैै।

अब आने वाला व्रत सितंबर-2023 में 15 अक्टूबर/Sunday से शुरू होंगे और 24 अक्टूबर/Tuesday तक चलेंगे। हिंदू धर्म की प्रथाओं के अनुसार इन नवरात्रों के दिनों में ऐसा माना जाता है कि अगर कोई भी वस्तु नयी खरीदी जाती है तो वह शुभ होगी। यहां तक कि हिंदू धर्म के विवाह संबंधी प्रथाएं जैसे रिश्ता करना, बच्चे का मुंडन करना तथा नामकरण आदि कार्यक्रम भी नवरात्रों में शुभ माने जाते हैं। बहुत से लोग प्रॉपर्टी में इन्वेस्ट करना तथा नया व्यापार शुरू करना, नवरात्रों के दौरान बहुत अच्छा मानते हैं। इस दौरान स्त्री देवी की पूजा की जाती है। जैसे दुर्गा मां सरस्वती, मां वैष्णो आदि।
हिंदू धर्म में तो यहां तक माना जाता है कि नवरात्रों के दौरान स्त्री और पुरुष का संभोग करना शुभ नहीं माना जाता। यहां तक की हिंदू धर्म में किसी प्रकार का मांस, मछली, अंडा या मांसाहारी से संबंधित किसी प्रकार की वस्तु को खाना वर्जित है। इन दिनों में मांसाहारी संबंधित वस्तुओं से दूर रहा जाता है। तथा घर में किसी प्रकार की हत्या या किसी जानवर को मारना पाप माना जाता है। धर्म के अनुसार इन 9 दिनों में काफी धन दान किया जाता है। 

जब नवरात्र शुरू होते हैं तो उनसे पहले 15 दिन श्राद्ध के दिन मनाया जाते हैं। जिस दौरान हिंदू धर्म में अपने पूर्वजों को याद किया जाता है तथा उनके लिए दिन प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के भोजन बनाकर उनको प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है। इस दौरान कोवे तथा कुत्तों की पूजा की जाती है। इन्हें अपना पूर्वज मानकर भोजन कराया जाता है, ताकि हमारे आने वाले भविष्य के लिए सुख शांति बनी रहे। इस प्रकार नवरात्रों से पहले हम अपने पूर्वजों की याद में 15 से 16 दिन बिता चुके होते हैं। यें दिन बहुत ही दुख भरे होते हैं। इसमें भी किसी वस्तु को खरीदना या बेचना या किसी जानवर को मारना शुभ नहीं माना जाता। इस दौरान घर में किसी भी प्रकार की नई वस्तु को लाना शुभ नहीं माना जाता।
इन्हीं श्राद्ध दिनों के तुरंत बाद ही नवरात्रों का त्यौहार आता है जिसमें हम वह सभी नई वस्तुओं को खरीद सकते हैं जो श्राद्ध के दौरान नहीं खरीदी जाती।
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