हिंदू धर्म मान्यताओं की मानें तो सावन का महीना सबसे हरा भरा होता है। इसलिए इस त्यौहार को हरियाली के नाम से भी जाना जाता है। इस महीने से हिंदू धर्म में त्यौहार आने शुरू होते हैं। अगर कहे तो तीजों के त्यौहार को सभी त्योहारों का स्वागत बिंदु माना जाता है। श्रावण मास या सावन के महीने में खेतों में हरियाली भी देखने को मिलती है। इस समय खरीफ की फसल का समय होता है। मौसम भी बारिश का होता है, जिसके कारण सभी पेड़-पौधे साफ हो जाते हैं। अगर बात करें तो यह सभी नजारे भारतीय गांव में देखने को मिलेंगे। भारत की संस्कृति का असली मजा तो गांव में बसता है। वहीं पर सभी त्योहारों के आने और जाने का एहसास होता है। और त्यौहार से लगभग 10 दिन पहले आपको यह देखने को मिल जाएगा कि त्यौहार कितने नजदीक है।
तीज के त्यौहार पर यानी सावन के महीने में शादीशुदा स्त्रियां अपने मां-बाप के यहां त्यौहार मनाने जाती हैं। उनके भाई या पिता इस त्योहार पर अपनी बहनों या बुआ को घर बुलाकर लाते हैं तथा उन्हें शगुन के तौर पर पैसे तथा कपड़े भी देने का रिवाज होता है।
इस त्यौहार में भोजन में पूरी, कचौड़ी तथा मिष्ठान से संबंधित खाना बनाया जाता है। वैसे तो यह महीना भगवान शंकर का होता है। ऐसा माना जाता है कि सावन के महीने में अपने घर के सबसे नजदीक किसी भी नदी का जल भरकर भगवान शिव पर चढ़ाना चाहिए, जिससे आपके घर में खुशियां बनी रहे। ऐसा कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि सावन का महीना यानी आर्द्र मौसम होने के कारण मौसम में चिपचिपा पन पाया जाता है जिसके कारण जानवरों में संभोग करने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है।
तीज का त्यौहार उत्तर भारत के राज्यों जैसे हरियाणा, पंजाब उत्तर प्रदेश, राजस्थान के साथ-साथ नेपाल में भी मनाया जाता है।
इस दिन भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन स्त्रियां नए वस्त्र धारण करके गांव से बाहर नृत्य करती हैं तथा गीत गाती है। इसी त्यौहार पर स्त्रियां अपने हाथों पर मेहंदी भी लगाती हैं तथा श्रृंगार करके झूला झूलती हैं। दरअसल इस त्यौहार पर झूला झूलने का रिवाज है। स्त्रियां इकट्ठा होकर झूला झूलती है तथा नृत्य करती हुई गीत गाती हैं। इस त्यौहार के अंतर्गत न केवल शिव की पूजा की जाती है बल्कि आने वाले त्योहारों का भी स्वागत किया जाता है, ताकि आने वाले सभी त्योहार खुशियों के साथ आएं।
नोट : इस बार तीज त्यौहार 7 सितंबर, 2024 को मनाया जाएगा।