BCG का टीका

हमारे शरीर में संक्रमणों या बिमारियों से बचने के लिए प्राकृतिक सुरक्षा होती है। इसे प्रतिरक्षण क्षमता (इम्युनिटी) कहा जाता है। जब हम बीमार होते है, तो इससे लड़ने के लिए हमारा शरीर विभिन्न रसायनों का उत्पादन करता है, जिन्हें एंटीबॉडीज कहा जाता है।

संक्रमण के ठीक होने के बाद भी ये एंटीबॉडीज हमारे शरीर में ही रहते हैं। यह प्रतिरक्षण क्षमता थोड़े समय के लिए या फिर जिंदगी भर भी हमारे साथ बनी रह सकती है।

टीकाकरण के जरिये हमारे शरीर का सामना संक्रमण से कराया जाता है, ताकि शरीर उसके प्रति प्रतिरक्षण क्षमता विकसित कर सके। कुछ टीके मौखिक रूप से (Drop) दिए जाते हैं। जैसे – पोलियो का टीका। वहीं कुछ टीके इंजेक्शन के जरिये दिए जाते हैं।

टीके का फायदा यह है कि संक्रमण के प्रति प्रतिरक्षित होने के लिए हमें पूरी तरह बीमार होने की जरुरत नहीं है। हल्का संक्रमण होने से भी टीकाकरण के जरिये हम उसके खिलाफ प्रतिरक्षित हो सकते हैं। इसी वजह से हम उस बीमारी के होने से पहले ही उसके प्रति सुरक्षित हो जाते हैं। तथा अपने शरीर को बिमारी से बचा सकते हैं।

जन्म से और 1.5 साल तक बच्चे को विभिन्न प्रकार के टीके लगाए जाते हैं। जो इस प्रकार है –

  1. BCG : यह टीका टीबी रोग से बचाता है जो शिशु के जन्म के समय लगता है
  2. HepB : यह टीका हेपेटाइटिस-बी रोग से बचाता है। यह भी शिशु के जन्म के समय ही लगता है।
  3. OPV : यह टीका पोलियो से शिशु की रक्षा करता है तथा जन्म से और 1.5 साल तक इसकी खुराक दी जाती है।
  4. IPV : यह टीका भी शिशु को पोलियो रोग से बचाता है तथा इसकी खुराक शिशु के 1.5 महीने पर तथा 3.5 महीने पर दी जाती है।
  5. PENTA : यह टीका शिशु को काली खांसी, डिप्थीरिया, टिटनेस हेपेटाइटिस-बी एवं हिब इंफेक्शन से बचाता है तथा इसकी खुराक 1.5 से 3.5 महीने होने पर तक दी जाती है।
  6. PCV : यह टीका शिशु को निमोनिया रोग से बचाता है तथा शिशु के 1.5 महीने, 3.5 महीने एवं 9 महीने के होने पर दिया जाता है।
  7. ROTA : यह टीका शिशु को दस्त रोग से बचाता है। तथा यह शिशु को 1.5 महीने से 3.5 महीने तक दिया जाता है।
  8. MR : इस टीके का प्रयोग खसरा एवं रूबेला रोग से बचाने के लिए किया जाता है। तथा यह शिशु को 9वे एवं 1.5 साल का होने पर दिया है।
  9. JE : यह टीका शिशु को दिमागी बुखार रोग से बचाता है। तथा यह शिशु को 9वे एवं 1.5 साल का होने पर दिया है।
  10. DPT : काली खांसी, डिप्थीरिया एवं टिटनेस से यह शिशु को बचाता है। जब शिशु डेढ़ वर्ष का हो जाता है तो डीपीटी का टीका लगाया जाता है।

इस प्रकार स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के द्वारा पोलियो का सफाया कर दिया गया एवं मातृ एवं नवजात टिटनेस का उन्मूलन कर दिया गया। 

इस प्रकार सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वास्थ्य संबंधी सभी योजनाओं का ध्यान रखें तथा अपने शिशु के प्रत्येक टीकाकरण को समय पर लगवाएं ताकि आपका शिशु विभिन्न प्रकार के संक्रमण से दूर रहे। इसकी जानकारी आशा या एएनएम या स्वास्थ्य केंद्र पर आपको समय के अनुसार मिलती रहेगी।

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