Pregnancy में कौन-सी जांच की जाती है | गर्भावस्था में होने वाली जांचें

  • गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच अनिवार्य है।
  • मूत्र जांच द्वारा गर्भावस्था परीक्षण।

पंजीकरण : गर्भधारण करने के बाद प्रत्येक स्त्री को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर आशा या ANM की मदद से अपना पंजीकरण कराना चाहिए।

प्रसव पूर्व जांच :  पंजीकरण के बाद कम से कम 3 बार प्रसव पूर्व जांच अवश्य करना चाहिए। 
  1. रक्तचाप, रक्त एवं पेशाब की जांच :  प्रत्येक जांच के समय रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर, खून एवं पेशाब की जांच करना आवश्यक है ताकि समय होते किसी प्रकार की बीमारी का सामना न करना पड़े।
  2. वजन की जांच :  प्रत्येक जांच के समय अपना वजन आवश्यक चेक कराएं। गर्भावस्था में कम से कम 9 से 10 किग्रा वजन बढ़ना चाहिए। गर्भावस्था के अंतिम 6 महीने में हर महीने कम से कम 1 किग्रा वजन अवश्य बढ़ना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि मां और होने वाला बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
  3. टेटनस टाक्सोयड के टीके :  टेटनस टाक्सोयड के 2 टीके लगवाएं। पहला टीका गर्भावस्था की पुष्टि होने पर तथा दूसरा टीका एक महीने के बाद। टी.टी. की एक खुराक दीजिए। यदि पिछले 3 साल में टीका लगाया गया था।
  4. आयरन की गोलियां :  कम से कम 6 महीने (द्वितीय एवं तृतीय मासिक में) तक प्रतिदिन आयरन एवं फोलिक एसिड की एक गोली अवश्य खाएं। कुल मिलाकर कम से कम 180 गोलियां खाना आवश्यक है।
  5. पहली तिमाही के बाद कम से कम 6 महीने के लिए प्रतिदिन कैल्शियम की गोलियां ले।
  6. पहले तिमाही के बाद टेबलेट एल्बेंडाजोल 400 मिलीग्राम की एक खुराक ले।

गर्भावस्था के दौरान देखभाल


  •  विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिसमें फोर्टीफाइड आटा, तेल शामिल हो।
  •  अधिक मात्रा में भोजन करें लगभग सामान्य आहार से एक चौथाई ज्यादा
  •  आंगनवाड़ी केंद्र से मिले पूरक पोषाहार को नियमित रूप से खाएं।
  • भोजन खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें और कम दिन में कम से कम 2 बार ब्रश करें।
  • दिन में कम से कम 2 घंटे आराम करें। इसके अलावा रात में 8 घंटे सोए।
  • केवल आयोडीन युक्त नमक या आयरन एवं आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करें

प्रसव पूर्व देखभाल


पूर्व गर्भावस्था में प्रसूति संबंधी जटिलताएं क्या-क्या आती है, जिनकी जांच की जाने चाहिए।

  • ए पी एच
  • एक्लेम्पशिया
  • पी आई एच
  • रक्त की कमी
  • बाधित प्रसव
  • पी पी एच
  • सिजेरियन ऑपरेशन
  • जन्मजात दोष
  • गर्भपात

प्रसव के पूर्व जांच


  1. गर्भधारण की अवधि
  2. वजन
  3. नब्ज की गति
  4. रक्तचाप या ब्लड प्रेशर
  5. एनीमिया या खून की कमी
  6. पैरों में सूजन
  7. पीलिया

प्रसव पूर्व पेट की जांच


  • पूर्ण या बच्चे की लंबाई सप्ताह प्रति सेंटीमीटर में
  • बनावट एवं गर्भ की स्थिति
  • गर्भ में शिशु का हिलना डुलना
  • गर्भ में शिशु की हृदय धड़कन प्रति मिनट
 कुछ आवश्यक जांच जो शिशु के जन्म से पूर्व की जाती है। जैसे –
  1. हिमोग्लोबिन या रक्त की मात्रा
  2. मूत्र जांच – एल्ब्यूमिन
  3. मूत्र जांच – शुगर या शर्करा
  4. HIV स्क्रीनिंग
  5. सिफलिस स्क्रीनिंग
  6. अल्ट्रासाउंड
  7. गर्भकालीन मधुमेह जांच
  8. रक्त ग्रुप एवं Rh प्रकार की जांच
  9. थायराइड की जांच
  10. HbsAg की जांच

नवजात शिशु की देखभाल के लिए निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे :

  • शिशु को गर्म रखें
  • जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करें
  • शिशु को केवल मां का ही दूध पिलाएं
  • पहले 48 घंटे तक शिशु को स्नान न कराएं
  • नाल को सुखा रखें
  • शिशु को बीमार लोगों से दूर रखें
  • यदि वजन 2.5 किग्रा से कम है, तो उसकी विशेष देखभाल करें।
 स्वास्थ्य कर्मचारी या डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, यदि शिशु को इस तरह की समस्याएं आ रही है।
  1. मां का दूध न पी पाना
  2. दौड़े पड़ना
  3. सांस की गति 60 प्रति मिनट से ज्यादा
  4. सांस लेते समय छाती का धंसना
  5. काग एवं बगल का तापमान 37.5 डिग्री से अधिक
  6. काग एवं बगल का तापमान 35.5 डिग्री सेल्सियस से कम
  7. केवल उकसाने पर ही हलचल करना या हलचल बिल्कुल न करना आदि।

नोट – प्रसव के पश्चात 6 महीने तक प्रत्येक दिन आयरन की 1 गोली का सेवन करें तथा प्रसव पश्चात 6 महीने तक प्रतिदिन कैल्शियम के 2 गोलियों का सेवन अवश्य करना चाहिए ताकि खून की कमी न हो तथा कैल्शियम की मात्रा पूरी हो जाए।

नोट : शिशु का वजन 2 किग्रा से कम होने पर ANM से स्तनपान एवं कंगारू मदर केयर संबंधी सहायता के लिए संपर्क करें।


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