- गर्भावस्था के दौरान नियमित जांच अनिवार्य है।
- मूत्र जांच द्वारा गर्भावस्था परीक्षण।
पंजीकरण : गर्भधारण करने के बाद प्रत्येक स्त्री को अपने नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर आशा या ANM की मदद से अपना पंजीकरण कराना चाहिए।
- रक्तचाप, रक्त एवं पेशाब की जांच : प्रत्येक जांच के समय रक्तचाप यानी ब्लड प्रेशर, खून एवं पेशाब की जांच करना आवश्यक है ताकि समय होते किसी प्रकार की बीमारी का सामना न करना पड़े।
- वजन की जांच : प्रत्येक जांच के समय अपना वजन आवश्यक चेक कराएं। गर्भावस्था में कम से कम 9 से 10 किग्रा वजन बढ़ना चाहिए। गर्भावस्था के अंतिम 6 महीने में हर महीने कम से कम 1 किग्रा वजन अवश्य बढ़ना चाहिए। इससे यह पता चलता है कि मां और होने वाला बच्चा दोनों स्वस्थ हैं।
- टेटनस टाक्सोयड के टीके : टेटनस टाक्सोयड के 2 टीके लगवाएं। पहला टीका गर्भावस्था की पुष्टि होने पर तथा दूसरा टीका एक महीने के बाद। टी.टी. की एक खुराक दीजिए। यदि पिछले 3 साल में टीका लगाया गया था।
- आयरन की गोलियां : कम से कम 6 महीने (द्वितीय एवं तृतीय मासिक में) तक प्रतिदिन आयरन एवं फोलिक एसिड की एक गोली अवश्य खाएं। कुल मिलाकर कम से कम 180 गोलियां खाना आवश्यक है।
- पहली तिमाही के बाद कम से कम 6 महीने के लिए प्रतिदिन कैल्शियम की गोलियां ले।
- पहले तिमाही के बाद टेबलेट एल्बेंडाजोल 400 मिलीग्राम की एक खुराक ले।
गर्भावस्था के दौरान देखभाल
- विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों का सेवन करें, जिसमें फोर्टीफाइड आटा, तेल शामिल हो।
- अधिक मात्रा में भोजन करें लगभग सामान्य आहार से एक चौथाई ज्यादा।
- आंगनवाड़ी केंद्र से मिले पूरक पोषाहार को नियमित रूप से खाएं।
- भोजन खाने के बाद कुल्ला अवश्य करें और कम दिन में कम से कम 2 बार ब्रश करें।
- दिन में कम से कम 2 घंटे आराम करें। इसके अलावा रात में 8 घंटे सोए।
- केवल आयोडीन युक्त नमक या आयरन एवं आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग करें
प्रसव पूर्व देखभाल
पूर्व गर्भावस्था में प्रसूति संबंधी जटिलताएं क्या-क्या आती है, जिनकी जांच की जाने चाहिए।
- ए पी एच
- एक्लेम्पशिया
- पी आई एच
- रक्त की कमी
- बाधित प्रसव
- पी पी एच
- सिजेरियन ऑपरेशन
- जन्मजात दोष
- गर्भपात
प्रसव के पूर्व जांच
- गर्भधारण की अवधि
- वजन
- नब्ज की गति
- रक्तचाप या ब्लड प्रेशर
- एनीमिया या खून की कमी
- पैरों में सूजन
- पीलिया
प्रसव पूर्व पेट की जांच
- पूर्ण या बच्चे की लंबाई सप्ताह प्रति सेंटीमीटर में
- बनावट एवं गर्भ की स्थिति
- गर्भ में शिशु का हिलना डुलना
- गर्भ में शिशु की हृदय धड़कन प्रति मिनट
- हिमोग्लोबिन या रक्त की मात्रा
- मूत्र जांच – एल्ब्यूमिन
- मूत्र जांच – शुगर या शर्करा
- HIV स्क्रीनिंग
- सिफलिस स्क्रीनिंग
- अल्ट्रासाउंड
- गर्भकालीन मधुमेह जांच
- रक्त ग्रुप एवं Rh प्रकार की जांच
- थायराइड की जांच
- HbsAg की जांच
नवजात शिशु की देखभाल के लिए निम्नलिखित तथ्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। जैसे :
- शिशु को गर्म रखें
- जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान शुरू करें
- शिशु को केवल मां का ही दूध पिलाएं
- पहले 48 घंटे तक शिशु को स्नान न कराएं
- नाल को सुखा रखें
- शिशु को बीमार लोगों से दूर रखें
- यदि वजन 2.5 किग्रा से कम है, तो उसकी विशेष देखभाल करें।
- मां का दूध न पी पाना
- दौड़े पड़ना
- सांस की गति 60 प्रति मिनट से ज्यादा
- सांस लेते समय छाती का धंसना
- काग एवं बगल का तापमान 37.5 डिग्री से अधिक
- काग एवं बगल का तापमान 35.5 डिग्री सेल्सियस से कम
- केवल उकसाने पर ही हलचल करना या हलचल बिल्कुल न करना आदि।
नोट – प्रसव के पश्चात 6 महीने तक प्रत्येक दिन आयरन की 1 गोली का सेवन करें तथा प्रसव पश्चात 6 महीने तक प्रतिदिन कैल्शियम के 2 गोलियों का सेवन अवश्य करना चाहिए ताकि खून की कमी न हो तथा कैल्शियम की मात्रा पूरी हो जाए।
नोट : शिशु का वजन 2 किग्रा से कम होने पर ANM से स्तनपान एवं कंगारू मदर केयर संबंधी सहायता के लिए संपर्क करें।
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