बच्चे में होने वाले परिवर्तन | उम्र के अनुसार बच्चे में होने वाले परिवर्तन

नवजात शिशु के क्रियाकलाप


नवजात शिशु के अधिकतर क्रियाकलाप उसके भूख से संबंधित होते हैं, जब भी उसे भूख लगती है तो वह रोने लगता है तो मां समझ जाती है कि उसे भूख लग रही है। इसके अलावा ज्यादा गर्मी, ज्यादा सर्दी या कपड़े का गीलापन के कारण भी शिशु रोने लगता है।

2 से 3 माह तक का शिशु :  जब शिशु की आयु 2 या 3 महीने हो जाती है तो उसके क्रियाकलाप पहले के मुकाबले कुछ बदल जाते हैं जैसे – 

  1. मां के चेहरे को पहचानने की शुरुआत हो जाती है।
  2. परिचित को देखकर मुस्कुराना शुरू कर देता है।
  3. आंख से आंख मिलाना प्रारंभ कर देता है।
  4. 3 महीने के बाद शिशु पेट के बल लेटने पर सिर को उठाना प्रारंभ कर देता है।
  5. जब शिशु उत्तेजित होता है तब दोनों हाथ एवं पैर हिलाता है। जिसको अक्सर साधारण भाषा में बच्चे का खेलना कहते हैं।
  6. हाथ को खुला एवं ढीला रखना बच्चे को अच्छा लगता है। अगर बच्चे को एक ही स्थिति में रखा जाता है तो बच्चा रोने लगता है।

बच्चे को स्वास्थ्य एवं प्रसन्न रखने के लिए मां द्वारा किया गया लालन-पालन एवं सलाह – 

  1. कोमल हाथों से शिशु की मालिश करें तथा हाथों और पैरों की कसरत करवाएं।
  2. प्रतिदिन कुछ समय के लिए शिशु को पेट के बल लेटने के लिए प्रोत्साहित करें।
  3. रोज शिशु को गले से लगाए एवं उसके साथ खेले। गले लगाने या रोने पर लाड-प्यार देने से शिशु बिगड़ते नहीं हैं।
  4. अपनी मातृभाषा में शिशु से रोज बात करें।
  5. बच्चे से 1 फुट की ऊंचाई पर रंग-बिरंगे खिलौने लटकाए ताकि बच्चा उसे देखें और ध्यान केंद्रित करें।
  6. 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चे से डिजिटल उपकरण जैसे फोन, टीवी इत्यादि दूर रखें।

नोट – अगर बच्चा ऊपर लिखित निम्नलिखित क्रियाकलाप नहीं करता तो तुरंत शिशु विशेषज्ञ से मिले या आशा या आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को सूचित कर बच्चे को अस्पताल द्वारा प्राप्त टीकाकरण की किताब पर निम्नलिखित बिंदु पर निशान लगाएं।

3 महीने के बाद बच्चे का क्रियाकलाप


यदि आप अपने शिशु में निम्नलिखित क्रियाकलाप पाते हैं या नीचे दिए गए किसी भी एक चेतावनी को देखते हैं तब एएनएम या आंगनवाड़ी या स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से तुरंत संपर्क करें।

  1. परिचित व्यक्ति को देखकर भी शिशु का न मुस्कुराना
  2. अचानक जोर से आवाज होने पर भी बच्चे का न चहकना, रोना या डरना।
  3. दूध पिलाते समय या बात करते समय शिशु का मां से आंख न मिलाना।
  4. हाथ, पांव, सर व गर्दन की मांसपेशियों का अकड़ना व सर का पीछे की तरफ झुक जाना।
  5. 2 महीने की उम्र के बाद भी आंखों में भेंगापन।
  6. हाथ के अंगूठे को लगातार हथेली में दबाए रखना या मुट्ठी न खोलना।

4 से 6 माह तक का शिशु :  इस उम्र के बच्चे निम्नलिखित क्रियाकलाप करने लगते हैं जैसे –

  1. सीधा पकड़ने पर सिर संभालना एवं सहारे के साथ बैठ जाना।
  2. आवाज की दिशा में सिर घुमाना।
  3. किसी वस्तु तक पहुंचने और हाथ से पकड़ने का प्रयास करना।
  4. जोर से हंसना और खिलखिलाना।
  5. अ आ इ ई उ ऊ हो जैसी आवाज निकालना।

बच्चे को स्वास्थ्य एवं प्रसन्न रखने के लिए मां द्वारा किया गया लालन-पालन एवं सलाह –

  1. शिशु के साथ बात करें, उनकी आवाज की नकल करें, जब वह आपकी नकल करें तब उनकी प्रशंसा करें।
  2. बच्चे के लिए रोचक आकर्षक वस्तुएं फर्श पर रखें और शिशु को खुद से वहां पहुंचने में खेलने दे।
  3. बच्चे को घर के बाहर ले जाए और उन्हें बाहर की दुनिया से परिचित कराएं।
  4. छोटी उम्र में अंगूठा और उंगलियां चूसने से बच्चों को आराम मिलता है। इससे कोई नुकसान नहीं है, इसलिए इसे न रोकें।

अगर आपका शिशु नीचे दिए गए निम्नलिखित क्रियाकलाप करता है तो तुरंत एएनएम या आंगनबाड़ी या स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता को इसके बारे में सूचित करें।

  1. सिर को न संभाल पाना।
  2. अलग-अलग तरह की आवाज निकालना जैसे – आ अ इ इ आदि।
  3. सहारे के बावजूद भी न उठ पाना।
  4. गतिशील वस्तु को देखते समय सिर और आंखें एक साथ में घुमा पाना।
  5. अपनी पहुंच के अन्दर की वस्तुओं को भी न पकड़ पाना।
  6. पेट के बल लेटने पर सिर न उठा पाना।

7 से 9 माह तक का शिशु :  इस उम्र के बच्चे निम्नलिखित क्रियाकलाप करने लगते हैं। जैसे –

  1. दोनों दिशाओं में करवट बदलना।
  2. खिलौना उठाने के लिए सभी उंगलियों का प्रयोग करना।
  3. परिचित चेहरे या खिलौने को देखने के लिए सिर घुमाना।
  4. अपने सामने छुपाए हुए खिलौने को ढूंढना।
  5. अपना नाम बुलाने पर प्रतिक्रिया देना या देखना।

बच्चे को स्वास्थ्य एवं प्रसन्न रखने के लिए मां द्वारा किया गया लालन-पालन एवं सलाह –

  1. बच्चों को वस्तुओं को बार-बार गिराने, पकड़ने एवं फेंकने दें। नम्रता एवं धैर्य दिखाएं।
  2. बच्चे को साफ सुथरे एवं सुरक्षित बर्तन खेलने के लिए दें।
  3. लुका छुपी खेल खेले। बच्चों के मन पसंदीदा खिलौने छुपा दे और देखें कि बच्चा उसे खोज पाता है या नहीं।

9 महीने के बाद बच्चे का क्रियाकलाप


यदि आप अपने शिशु में निम्नलिखित क्रियाकलाप पाते हैं या नीचे दिए गए किसी भी एक चेतावनी को देखते हैं तब एएनएम या आंगनवाड़ी या स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से तुरंत संपर्क करें।

  1. पलट न पाना।
  2. सरल शब्द न बोल पाना।
  3. बैठने के लिए सहारे की जरूरत पड़ना।
  4. आवाज की दिशा में नहीं मुड़ना।
  5. वस्तु को देखने के लिए हर बार सिर को न झुकाना।

10 से 12 माह तक का शिशु :  इस उम्र के बच्चे निम्नलिखित क्रियाकलाप करने लगते हैं। जैसे –

  1. बिना सहायता के बैठना और बिना गिरे खिलौने को पकड़ पाना।
  2. गोद में जाने के लिए हाथ बढ़ाना।
  3. पसंदीदा खिलौने तक पहुंचने के लिए किसी वस्तु से बिना टकराए घुटने पर चल कर जाना।
  4. एक या दो शब्द अपनी मातृभाषा में बोलना।
  5. सामान्य निर्देश जैसे हां नहीं यहां आओ आदि पर प्रतिक्रिया करना।

बच्चे को स्वास्थ्य एवं प्रसन्न रखने के लिए मां द्वारा किया गया लालन-पालन एवं सलाह –

  1. खिलौने को पहुंच से थोड़ा दूर रखें और बिना सहयोग के बच्चे को उसे पकड़ने के लिए प्रोत्साहित करें।
  2. खेलते समय बच्चे दूसरों को गलती से चोट पहुंचा सकते हैं, उन पर नाराज न हो उन्हें सावधानी से खेलना सिखाए।
  3. अपने बच्चों को कहानियां सुनाएं और चित्र वाली किताबें पढ़कर सुनाएं। आसपास की वस्तुओं को दिखाएं और उनका नाम बताएं।

10-11 महीने के बाद बच्चे का क्रियाकलाप


यदि आप अपने शिशु में निम्नलिखित क्रियाकलाप पाते हैं या नीचे दिए गए किसी भी एक चेतावनी को देखते हैं तब एएनएम या आंगनवाड़ी या स्वास्थ्य देखभाल प्रदाता से तुरंत संपर्क करें।

  1. उंगली और अंगूठे से छोटी चीजें न उठा पाना।
  2. गोद में जाने के लिए हाथ न बढ़ाना।
  3. नाम बुलाने पर भी नहीं सुनना या कोई भी प्रतिक्रिया न करना।
  4. अपने सामने छुपाए हुए खिलौने को भी नहीं खोजना।
  5. लुका-छुपी खेल न खेलना।

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