बच्चे का भोजन | बच्चे का पोषण कैसा होना चाहिए?

प्राचीन काल से ऐसा माना जाता है कि मां ही बच्चे का अध्यापक, गुरु एवं संरक्षिका होती है। मां के पास ही वह शक्ति है, जिसके द्वारा वह अपने बच्चे को कायर, बलवान या साहसी बना सकती है। क्योंकि बच्चा एक कोरे कागज के समान होता है, जिस पर लिखने का सबसे पहले हक उसकी मां के पास होता है। इसलिए मां को न केवल जननी बल्कि एक अच्छा गुरु भी कहा जाता है।
बच्चे को स्तनपान कराते वक्त मां को निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

शिशु को स्तनपान कराना, उसके साथ खेलना तथा बात करना उसके विकास में सहायक होता है तथा उसके शारीरिक तथा बौद्धिक क्षमताओं का विकास करता है। शिशु को भोजन कराते वक्त निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।

  1. जन्म के समय आपके शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं होता। इसलिए वह केवल मां का दूध ही बचा सकता है। कभी-कभी बच्चा इसलिए रोता है क्योंकि उसे आपकी गोदी की गर्माहट की आवश्यकता होती है। आप अपने नवजात शिशु को अपने शरीर से चिपकाकर रखें। अपना दूध पिलाते समय बच्चे की ओर देखकर मुस्कराए, उससे बात करें, ध्यान दें कि उसे दूध पिलाते समय झुलाएं नहीं।
  2. जन्म के तुरंत बाद 1 घंटे के अंदर अपने बच्चे को अपना दूध पिलाएं। ऐसा करने से आपका बच्चा आपका दूध ही पाएगा और उसका आपसे लगाव भी बढ़ेगा।
  3. मां का पहला गाढ़ा पीला दूध बच्चे को रोगों से लड़ने की ताकत प्रदान करता है।
  4. दिन हो या रात बच्चे को उसकी आवश्यकता अनुसार अपना दूध पिलाएं। बार-बार दूध पिलाने से मां के दूध की मात्रा बढ़ती है।
  5. 6 महीने से 2 वर्ष तक स्तनपान कम से कम 2 साल तक जारी रखें। 6 महीने पूरा होने पर अच्छी तरह से मसला हुआ खाना भी दें।

 

6 माह तक के बच्चे का भोजन


  1.  स्तनपान जारी रखें
  2.  6 माह पूरा हो जाने पर 2-3 चम्मच अच्छी तरह से मसला हुआ खाना दिन में 2-3 बार दे।
  3.  खाद्य पदार्थों से एक-एक करके परिचित कराएं, जैसे कि मसला हुआ फल, सब्जी, अनाज एवं, दालें।
  4. धीरे-धीरे खाने की मात्रा बढ़ाएं।
  5. बच्चे को आयरन सिरप दें। ताकि उसे एनीमिया से बचाया जा सके और उसका शारीरिक और मानसिक विकास पूरी तरह से हो सके।

6 से 9 महीने तक शिशु का भोजन


  1. स्तनपान जारी रखें।
  2. खाने का गाढ़ापन बढ़ाएं और बच्चे को दिन में 3-4 बार खाने को दें।
  3. दिन में 2-3 बार खाने को दें और 1-2 बार नाश्ता दें।
  4. भोजन की मात्रा एवं विविधता बढ़ायें।
  5. एक बार में एक नए खाने की शुरुआत करें जैसे कि खिचड़ी, दलिया आदि।
  6. बच्चे के खाने में कम से कम 4 तरह के खाद्य पदार्थों का प्रयोग करें, उदाहरण के लिए –
  • अनाज
  •  हरे पत्तेदार सब्जियां व फल
  •  घी, तेल व तिलहन मछली
  •  मसली हुई दाल या अंडा (उबला हुआ अंडा)
  •  मछली आदि।
  • आयरन का सिरप दें ताकि उसे एनीमिया से बचाया जा सके व उसका शारीरिक व मानसिक विकास पूरी तरह से हो सके।

 

9 से 12 माह तक के बच्चे का भोजन


  • स्तनपान जारी रखें।
  • 9 महीने पूरा होने पर कम से कम आधा कटोरी खाना दें जिसे चबाने की आवश्यकता पड़े।
  • 12 महीने का होने पर परिवार के लिए बने भोजन से 3/4 से 1 कटोरी खाना, 1 दिन में 3 से 4 बार दें। इसके साथ-साथ दिन में 1-2 बार नाश्ता भी दे।
  • बच्चे को बारीक/महीना कटा या नरम पका हुआ खाना दे। उसे अपने आप खाने दें। चाहे वह उसके साथ खेलते हुए खाएं।
  • आंखों की रोशनी तेज करने के लिए विटामिन-A का घोल पिलाएं।
  • बच्चों को आयरन का सिरप दें ताकि उसे एनीमिया से बचाया जा सके व उसका शारीरिक व मानसिक विकास पूरी तरह से हो सके

सामान्य सलाह


  • खाना बनाने व खाना खिलाने से पहले हाथ साबुन से धोएं।
  • यदि अंडा खिलाया जा रहा है तो सुनिश्चित करें कि अंडा अच्छी तरह से उबला हुआ हो।
  • सब्जियों और फलों को अच्छी तरह से धोकर ही प्रयोग करें।
  • खाना अच्छी तरह से पकाएं। साफ पानी का ही प्रयोग करें। बचे हुए खाने को दोबारा प्रयोग न करें, बल्कि फेंक दें।
  • केवल आयोडीन युक्त नमक का ही प्रयोग करें। आयोडीन बच्चे के मस्तिष्क के विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व है।
  • बच्चे को आयरन का सिरप दें ताकि उसे एनीमिया से बचाया जा सके व उसका शारीरिक व मानसिक विकास पूरी तरह से हो सके।

नोट :  मां के दूध में पानी व पोषक तत्व की मात्रा पूरी होती है। इसलिए पहले 6 महीने में केवल मां का ही दूध दे। उसे खाने और पीने के लिए कोई अन्य पदार्थ बिल्कुल न दें। जैसे –  पानी या शहद तथा किसी प्रकार की घुट्टी का प्रयोग न करें। अपने घर की किसी भी बुजुर्ग स्त्री के कहने पर बच्चे की आंखों में किसी प्रकार की स्याही या सूरमा का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे आंखें खराब हो सकती हैं।


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